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Showing posts from August, 2025

लीला -ए -मोबाइल( अंतिम अंक) :: विकुति

    एकवचन —------------------- उठते ही उसने झपटकर मोबाइल उठाया। फिर उंगली से सहला सहला कर रात की आवक सर- सरी तौर पर देखता रहा। रात में शायद कुछ मजेदार नहीं आया था वैसे 3:00 बजे तक तो वह खुद ऑनलाइन था ही और सोने से पहले तक का सब आया गया ,चेक कर ही वह सोने गया था। फिर वह अंगड़ाई लेता हुआ उठा और मोबाइल को चार्ज में लगा दिया। यह रोज का उसका पहला काम होता है। उसके बाद वह किचन में गया और एक कप चाय बना ले आया। वह जल्दी चाय पी गया ,फिर बाथरूम में घुस गया ,फिर अचानक पीछे मुड़कर बाहर आया ,और मोबाइल लेकर अंदर चला गया । बाथरूम में उसे बहुत देर नहीं लगी इस बीच एकाध छोटी-मोटी काल ,और मैसेज आए ।  बाहर आकर वह चारपाई के किनारे बैठकर मोबाइल को सहलानेलगा ,अचानक उसे कीमती ज्ञान के एक महत्वपूर्ण सूत्र से साक्षात्कार हुआ । क्या चमत्कार है ,इस छोटे यंत्र को सहलाते ही क्या-क्या चीज साक्षात हो जाती हैं । अभी इस सूक्ति पर वह विचार कर ही रहा था की फोन बजने लगा । वह फोन उठा कर बात करने लगा। किसी दोस्त का फोन था  , देर तक बात होती रही बीच-बीच में काफी हंसी मजाक भी था। वार्ता के बीच में उसकी बहन...

लीला -ए -मोबाइल ( द्वितीय अंक ) :: विकुति

    द्विवचन ________________________ आज मैं बहुत प्रसन्न था, कारण यह की मेरा एक लंगोटिया यार बेंगलुरु से यहां आने वाला था, हम दोनों की मुलाकात लगभग 4 वर्षों के बाद होने वाली थी। पढ़ाई खत्म होने के बाद मेरा दोस्त बेंगलुरु में जॉब करने लगा था और मैं इसी शहर में रह गया था। तय, यह हुआ  कि वह मुझसे ऑफिस में लंच के समय मिलेगा । हम साथ लंच करेंगे और वह वहीं से एयरपोर्ट चला जाएगा शाम , 5:00 बजे उसकी फ्लाइट थी। मैं उत्साह के मारे आज ऑफिस समय से पहले ही पहुंच गया जबकि दोस्त को, लंच के समय आना था। काम में मेरा मन नहीं लग रहा था ,और मैं बार-बार समय देख रहा था। 11:00 बजे उसका फोन आया कि वह शहर में आ गया है और 1:00 बजे के आसपास मेरे ऑफिस में आ जाएगा। मैं प्रतीक्षा करने लगा। अंत में लगभग 1:15 पर वह मेरे कमरे में फोन कान पर लगाएं धड़ धड़ाते हुए घुसा और सोफे पर बेपरवाह पसर गया। मैं उठकर खड़ा हो गया, वह बात करता रहा, मैं उसे बात करते हुए देखता रहा ,करीब 15 मिनट के बाद उसने फोन कान से हटाया  ,तपाक से उठकर खड़ा होकर, आगे बढ़कर गले लगते हुए कहा “बास का फोन था, यार क्या करता” ? मैंने कहा...