एक प्रतिक्रिया वादी कहानी :: विकुति
___________________ ( अग्रिम क्षमा प्रार्थना सहित) वह महिला बहुत हड़बड़ी में श्रृंगार कर रही थी। श्रृंगार करते हुए वह कुछ खीझती हुई बड़- बड़ा भी रही थी, इसका कारण यह था कि इस समय दोपहर में ,उसके आराम का समय था किंतु संस्था वालों ने सेमिनार का समय, इस दोपहर में तय कर दिया था। उनकी मजबूरी यह थी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला वादी विद्वान, अपने भारत दौरे के दौरान इस शहर में अपने व्यस्त कार्यक्रम में इस समय ही उपलब्ध हो पा रही थी। इसीलिये सेमिनार इसी समय आयोजित हो सकता था । क्यूंकि यह महिला इस शहर की मानी हुई महिलावादी थी ,इसलिए सेमिनार में उनकी उपस्थिति प्रायः अनिवार्य ही थी। अपने बाल सवारते हुए उन्होंने वहीं से चिल्ला कर नौकर को आवाज दी “सीताराम गाड़ी लगवाओ, जल्दी'’। सेमिनार शहर के ही एक पांच सितारा होटल में आयोजित था ,साथ में लंच की भी व्यवस्था थी। अंतिम रूप से अपना रूप निहार कर वह महिला अपना पर्स और एक फाइल संभालते हुए जल्दी से निकली। पोर्च में गाड़ी खड़ी थी और बावर्दी ड्राइवर गेट खोले हुए खड़ा था । पर्स और फाइल अंदर सीट पर फेंकते हुए वह बैठ गई ,...