लीला -ए -मोबाइल ( द्वितीय अंक ) :: विकुति

 


 

द्विवचन

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आज मैं बहुत प्रसन्न था, कारण यह की मेरा एक लंगोटिया यार बेंगलुरु से यहां आने वाला था, हम दोनों की मुलाकात लगभग 4 वर्षों के बाद होने वाली थी। पढ़ाई खत्म होने के बाद मेरा दोस्त बेंगलुरु में जॉब करने लगा था और मैं इसी शहर में रह गया था। तय, यह हुआ  कि वह मुझसे ऑफिस में लंच के समय मिलेगा । हम साथ लंच करेंगे और वह वहीं से एयरपोर्ट चला जाएगा शाम , 5:00 बजे उसकी फ्लाइट थी।

मैं उत्साह के मारे आज ऑफिस समय से पहले ही पहुंच गया जबकि दोस्त को, लंच के समय आना था। काम में मेरा मन नहीं लग रहा था ,और मैं बार-बार समय देख रहा था। 11:00 बजे उसका फोन आया कि वह शहर में आ गया है और 1:00 बजे के आसपास मेरे ऑफिस में आ जाएगा। मैं प्रतीक्षा करने लगा। अंत में लगभग 1:15 पर वह मेरे कमरे में फोन कान पर लगाएं धड़ धड़ाते हुए घुसा और सोफे पर बेपरवाह पसर गया।

मैं उठकर खड़ा हो गया, वह बात करता रहा, मैं उसे बात करते हुए देखता रहा ,करीब 15 मिनट के बाद उसने फोन कान से हटाया  ,तपाक से उठकर खड़ा होकर, आगे बढ़कर गले लगते हुए कहा “बास का फोन था, यार क्या करता” ? मैंने कहा “कोई बात नहीं ऐसा होता है, ये सब बेवक्त ही फोन करते हैं”।

इतना कहते-कहते मेरा फोन बजने लगा ,स्क्रीन पर देखा तो मेरे बॉस का फोन था, मैंने फोन उठा लिया और इशारे से उसको बैठने को कहा   ,बात करते-करते मैं देख रहा था वह मोबाइल से खेल रहा है। मेरे बॉस का प्रवचन खत्म ही नहीं हो रहा था। वे एक ही बात को बार-बार समझा रहे थे। हर बार शब्दावली में थोड़ा फेरबदल कर देते थे । मुझे लग रहा था कि दोस्त बोर हो रहा होगा , लेकिन वह मोबाइल में मगन, था ।

 करीब 10 12 मिनट के बाद बॉस ने फोन रखा। अब मैंने निश्चित होकर ,अपना फोन रख कर ,  दोस्त की तरफ देखा। अब वह कोई नंबर मिला रहा था ,अचानक उसका नंबर मिल भी गया और वह बात करने लगा । अब मैं बैठे-बैठे उसे देख रहा था। बात लंबी होती देखकर मैंने सोचा अभी लंच से पहले क्यों ना एक चाय पी ली जाए   ,मैंने चपरासी को बुलाकर उसे चाय लाने को कहा ,साथ ही अपनी कैंटीन के मशहूर समोसे भी मंगवा लिए । दोस्त की वार्ता जारी थी ,शायद गर्लफ्रेंड का फोन रहा हो। थोड़ी ही देर में चपरासी आकर भेज पर चाय समोसे रखकर चला गया।

इसी समय मेरे एक क्लाइंट का फोन आ गया ,फोन उठाना पड़ा बात होने लगी फोन कान से लगाए –लगाए ही मैं दोस्त को चाय पीने का इशारा किया। उसकी बात खत्म हो गई थी और वह मोबाइल में कुछ कर रहा था। उसने एक समोसा उठाकर खाना शुरू किया ,मैनै भी एक समोसा हाथ में ले लिया। उसमें समोसा काटा और इसी समय फोन बजने लगा उसने जल्दी से समोसा निगला और फोन उठा लिया। इसी समय मेरी कॉल खत्म हुई ,और मैंने समोसा खाना शुरू किया एक बार काट कर निगलते निगलते कई मैसेज और अलर्ट आ गए ,मैं उनको देखने लगा। आधा समोसा हाथ में था । इनको देखते देखते फोन फिर घन-, घनाया, और मैं बात करने लगा। इसी समय दोस्त की बात खत्म हो गई ,उसने एक सांस भरकर कमरे को गौर से देखा। समोसा उसे शायद अच्छा लगा था ,इसलिए वह समोसा खाने लगा । उसने मेरी और कुछ इशारा किया लेकिन मैं समझ नहीं पाया ।

एक समोसा खाकर उसने पानी पिया अचानक उसे कुछ याद आया और वह मोबाइल में कुछ खोजने लगा। मेरी कॉल खत्म हुई   ,और मैं हाथ में रखा आधा समोसा खा लिया ।,मैंने उसे चाय पीने के लिए कहना चाहा ,लेकिन वह इतना व्यस्त था कि मुझे कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं हुई। वह खोजने में व्यस्त था ,मैं इंतजार कर रहा था कि वह खाली हो तो चाय साथ पी जाए । वह खाली नहीं हो पाया अपनी खोज के बाद उसने एक नंबर मिला लिया ,और बात करने लगा। मैं उसको देखते हुए इंतजार करने लगा। अंत में अधीर होकर उसने कहा ‘’”यार लंच के लिए बहुत-बहुत देर हो गई है चलते हैं “।उसने हाथ के इशारे से मुझे बैठने को कहा ।

10 15 मिनट के बाद उसकी कॉल खत्म हुई। वह मेरी और देखकर मुस्कुराया और कहा “लंच -वंच छोड़ो यार वैसे भी भूख नहीं है अब टाइम भी नहीं है ,एक घंटा एयरपोर्ट जाने में ही लगेंगे ,वैसे इतने दिन के बाद मिलकर बहुत अच्छा लगा“‘अब आगे यहां के चक्कर होते ही रहेंगे ,।उसके इतना कहते-रहते उसका फोन बज उठा। उसने फोन कान में लगाया और उछल कर खड़ा हो गया ,और बात करते-करते कमरे के बाहर निकल गया।

उसके बाहर निकलते ही चपरासी आया, और ठंडी चाय और बचे, समोसे , उठा ले गया।

 

 

(एकवचन  अगले अंक में क्रमशः)

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