चंगेजी च्यवनप्राश का सौदागर : ViKuTi

 


वह बाजार के बीच एक छोटी सी खाली जगह पर दुकान लगाए खड़ा था । उसका काम लगभग सांडे का तेल, हींग , जाफरान या खानदानी शफाखाने की ताकत की दवाई बेचने वालों जैसा ही था। लेकिन उसकी धज अलग थी, सिर पर शानदार पगड़ी और बदन पर सुन्दर रंगीन कुर्ता-पजामा,  कीमती सदरी साहित सजे थे । वह लगातार बोल रहा था ….... । हाजरीन मैं , ईरान , तूरान ,पारस ,अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए आज हिंदुस्तान की सरजमीं पर हाजिर हुआ हूँ। कदरदान, मेहरबां, मेरे पास न तो सोना है, न चांदी है, न हीं हीरे जवाहरात या अफगानिस्तान के मेवे है। मेरे पास तो बस खुदा की नियामत यह डिब्बा है जो मैं कौड़ियों के मोल बेच रहा हूँ । अब आप पूछेंगे इसमें है क्या ? तो हज़रात आपको यकीन आए या ना आए इसमें खाली उसी नुस्खे का च्यवनप्राश है, जो शाहेजहाँ चंगेज खान हुजूर नौश फरमाया करते थे । अपनी हर लड़ाई से पहले आली हुजूर इसका एक लुक्मा जरूर गटकते थे और फतेह हासिल करते थे ।

अब आप जरूर पूछेंगे, यह नुस्खा मुझे मिला कहाँ से?  हुजूर यह एक दुख भरी कहानी है, मुद्दतोंपीरो के पैरों की पीर दबा कर मैंने ये दुआ हासिल की हैसालो जंगल, पहाड़ , नदी पार करते मैं मंगोल देश पहुंचा और उस पीर ए आजम की खोज करने लगा जो बादशाह चंगेज खान के उस्ताद हुआ करते थे उन्हीं खुदा के प्यारे ने इस च्यवनप्राश का नुस्खा चंगेज को अता फरमाया था । पैरों में छाले पड़े बीवाइयाँ फटी , उंगलियां गली पर मैंने राह न छोड़ी और एक  दिन उस पाक पीर के खानकाह पर पहुँच गया फकीर उस वक्त अल्लाह हुज़ूर से गुफ्तगू में मशगूल थे यह गुफ्तगू करीब छह महीने तक जारी रही । तब मैं क्या करता मैं उस खानकाह का  झाड़ूदार बन करके छह महीने तक सेवा की और इंतज़ार किया फकीर की गुफ्तगू खत्म होते ही मैं उनके पैरों में गिर पड़ा उन्होंने मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा उठ मेरे शागिर्द तेरी दुआ कबूल हुई इतना कहकर फकीर एक अंधेरे कमरे में घुस गए और यही डिब्बा लेकर बाहर निकले और बोले बस एक ही शर्त है यह नुस्खा सतयुगी है अभी तक इसको किसी कलयुगी आदमी ने चखा नहीं है इसलिए इसकी आजमाइ तुम्हारे ऊपर करनी होगी यह देखना पड़ेगी की तू इसकी गर्मी बर्दाश्त कर सकता है या नहीं

 मेरे पास कोई चारा नहीं था उन्होंने च्यवनप्राश का एक लुक्मा मेरे मुँह में ठूंस दिया  गजब स्वाद था! मैं तो एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया 5 मिनट में मेरी शरीर में गजब का बदलाव हुआ मेरा 36 इंच का सीना झट 56 इंच का हो गया शरीर में ऐसी ताकत नुमायां हुई कि जी करता था,  शेर मिल जाए तो उसको फाड़ डालू मैं घुटने पर बैठ गया और अर्ज किया हुजूर,  एक और लुक्मा  की इनायत हो। फकीर हंस पड़े और बोले बहुत हुआ । यह तेरा शरीर आगे बर्दाश्त नहीं कर पाएगा क्योंकि तब तेरा यह सीना जब 112 इंच का हो जाएगा और तू फट जाएगा । बस अब तू इसे ले जा और  इस खुदाई नुस्खे को आम लोगों में बांट ताकि उनके अच्छे दिन आ जाए। मैं तो अब बूढ़ा हुआ 14 -15 सौ साल की उम्र हो गई है । अब दो चार सौ साल और जीना है। मुझे यही इबादत करने दें। अभी तेरे शरीर में जो तबदीली हुई है उसे तो तू देख रहा है लेकिन जो रूहानी तब्दीलियां हुई है उसे तू नहीं देख सकता। अब तू कैसा भी झूठ बोले लोग उसे आंख मूँद कर सच मानेंगे और अगर तू किसी को 10 डंडा भी मारे गए तो वे पलटकर कहेंगी हकीम साहब दो और । जा अपनी दुनिया में ऐश कर मैं आज गली-गली घूमकर उसी फकीर को दिया कौल निभा रहा हूँ ।जिस भाई को यह चंगेजी च्वयनप्राश चाहिए हाथ बढ़ाकर मांग लेंगे। आज केवल नमूने के कुछ डिब्बे लाया हूँ । अगर हजरात को पसंद आया तो कल गाड़ी में भरकर लाऊंगा । सारे डिब्बे हाथों हाथ बिक गए और आज ये 12 साल से बिक रहे हैं । उसकी हर बात लोगों को खुदाई फरमान लगती है। उसकी गाली गलौज मारपीट लोग हंस-हंसकर सहते हैं और सलाम कर-कर के जाते हैं।

झूठी कहानी और फर्जी च्यवनप्राश धड़ल्ले से बिक रहा है!

अल्लाह पाक हम सब की मुश्किल आसान फरमा ।

Comments

Popular posts from this blog

मस्तिष्क में क्वांटम! चीन के वैज्ञानिकों ये क्या कर रहे हो ? ViKuTi

भए प्रकट कृपाला : विकुति