लीला -ए -मोबाइल( अंतिम अंक) :: विकुति

 


 

एकवचन

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उठते ही उसने झपटकर मोबाइल उठाया। फिर उंगली से सहला सहला कर रात की आवक सर- सरी तौर पर देखता रहा। रात में शायद कुछ मजेदार नहीं आया था वैसे 3:00 बजे तक तो वह खुद ऑनलाइन था ही और सोने से पहले तक का सब आया गया ,चेक कर ही वह सोने गया था। फिर वह अंगड़ाई लेता हुआ उठा और मोबाइल को चार्ज में लगा दिया। यह रोज का उसका पहला काम होता है। उसके बाद वह किचन में गया और एक कप चाय बना ले आया। वह जल्दी चाय पी गया ,फिर बाथरूम में घुस गया ,फिर अचानक पीछे मुड़कर बाहर आया ,और मोबाइल लेकर अंदर चला

गया । बाथरूम में उसे बहुत देर नहीं लगी

इस बीच एकाध छोटी-मोटी काल ,और मैसेज आए ।  बाहर आकर वह चारपाई के किनारे बैठकर मोबाइल को सहलानेलगा ,अचानक उसे कीमती ज्ञान के एक महत्वपूर्ण सूत्र से साक्षात्कार हुआ । क्या चमत्कार है ,इस छोटे यंत्र को सहलाते ही क्या-क्या चीज साक्षात हो जाती हैं । अभी इस सूक्ति पर वह विचार कर ही रहा था की फोन बजने लगा । वह फोन उठा कर बात करने लगा। किसी दोस्त का फोन था  , देर तक बात होती रही बीच-बीच में काफी हंसी मजाक भी था। वार्ता के बीच में उसकी बहन आई और उसकी धूल भरी मेज पर नाश्ता रख गई। बात खत्म हुई और वह जल्दी-जल्दी नाश्ता करने लगा । नाश्ता खत्म करके उसने अपने कपड़े उतारे ,लेकिन कपड़े पहनने से पहले उसे कुछ याद आया और वह फोन मिलाने लगा। जल्दी ही वह अपनी आसन्न, परीक्षा के बारे में किसी से बात कर रहा था। उसका मूल प्रश्न यह था कि किस गाइड से आजकल ज्यादा प्रश्न फंस रहे हैं ।वार्ता खत्म कर उसने कपड़े पहन लिए। सबसे पहले उसने जेब में मोबाइल रखा फिर एक पेन ढूंढ कर उसे भी रख लिया, हाथ में उसने एक डायरी पकड़ ली। फिर खूंटी से बाइक की चाबी उतार कर एक उंगली में गोल-गोल घूमाते हुए निकाला। बाइक पर बैठकर उसने दोनों कानों में ईयर , फोन लगाया और बाइक स्टार्ट कर निकल गया। रास्ते में एक फोन आया और वह बाइक चलाते हुए बात करता रहा। कॉलेज पहुंचकर वह क्लास में जाकर पीछे की सीट पर बैठ गया। फिर डायरी मेज पर रखकर उस पर पेन रख दिया। अंत में वह मोबाइल निकाल कर फेसबुक स्क्रोल करने लगा। इसी बीच टीचर कक्षा में आए , अनमने ढंग से वह मोबाइल छुपाते हुए खड़ा हुआ ,और खाना -पूरी कर बैठ गया। अब वह आराम से मोबाइल देख सकता था। वह मोबाइल देखता रहा और फोन आने पर फुसफुसाकर बातें भी करता रहा। इसी तरह तीन पीरियड बीत गए तब कहीं जाकर लंच हुआ। लंच में वह हमेशा की तरह जाकर पेड़ के नीचे बैठ गया ,जहां चबूतरा बना हुआ था। अब उसने एक गहरी सांस ली शुक्र है ,अब वह खुलकर बात कर सकता था। लंच के बीच उसने कई फोन किया और काफी देर तक मोबाइल पर खेलता रहा। लंच का डिब्बा उसने खोला ही नहीं क्योंकि उसे भूख नहीं थी। अचानक उसकी नजर बगल वाले लड़के पर पड़ी वह बटन वाले मोबाइल से खेल रहा था । उसने उसकी ओर, हिकारत भरी नजर से देखा और नजर फेर कर आई फोन वाले लड़के को हसरत भरी नजर से देखने लगा। इसी बीच लन्च खत्म हुआ और वह फिर क्लास में पहुंच गया ।अब उसका मन उदास हो गया था।  उसकी स्मृति में बार-बार आईफोन वाला लड़का आ जा रहा था। क्या तकदीर पाई है , उस पठ्ठे ने, यह सोच सोच कर वह मरा जा रहा था। यही सब सोचते सोचते उसे अपनी बाप की गरीबी पर तरस आने लगा। जिंदगी में आईफोन हाथ में न हो तो कैसी जिंदगी? यह सोचकर उसका दिल तड़प गया ।मन बहलाने के लिए वह मेज के नीचे मोबाइल खोलकर कुछ देखने लगा। क्लास चलती रही, अंत में जैसे तैसे तीनों पीरियड खत्म हो गए और वह मोबाइल कान में लगाएं बाहर निकाला । बाइक पर बैठने से पहले उसने कान में इयर फोन लगा लिए और बात करते-करते घर पहुंच गया । बात ही करते-करते वह अपने कमरे में पहुंचा और चारपाई पर धडा़म से गिर पड़ा। थकान के मारे उसे जल्दी ही नींद आ गई ,लेकिन वह थोड़ी देर ही सो पाए इसके पहले ही एक कॉल आ गई और उसे फोन उठाना पड़ा। वह उठकर बैठ गया और बात करने लगा। इसी तरह शाम बीत गई और खाने का वक्त हो गया। खाना खाते समय उसने मोबाइल म्यूट करके चार्ज में लगा दिया। लेकिन उसका मन मोबाइल में ही लगा हुआ था ,इसकी जलती बुझती लाइटो

 

 को देखकर वह लगातार ही खीझ रहा था ,किंतु पिता की उपस्थिति में वह मोबाइल उठा नहीं पा रहा था ।घर वाले, बातें कर रहे थे  लेकिन उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। ले देकर किसी तरह खाना खत्म हुआ और वह अपना मोबाइल प्लग से खींच कर अपने कमरे में घुस गया, तब जाकर के उसकी सांस में सांस आई। थका होने के कारण, वह लेट कर मोबाइल से खेलता रहा और लगभग 2:00 बजे उसे नींद आ गई, और वह निढल पड़ गया। सपने में उसने देखा कि वह आईफोन लिए हुए हार्ले डेविडसन बाइक पर हवा की रफ्तार से भाग जा रहा है ,किताबों के पन्ने सूखे पत्तों की तरह झड़ रहे हैं, उसे जिंदगी से जो कुछ चाहिए था सब मिल गया था।

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