A I की गाथा फाइल में ( भाग -9 )

 


 

[ पूर्वावलोकन - अभी तक आप ने पढ़ा है कि A I निर्माण संबंधी फ़ैक्स सन्देश प्राप्त होता है।विज्ञान विभाग के प्रमुख सचिव को फ़ैक्स की प्रति चीफ़ साहब द्वारा भेजी जाती है। निरंतर प्रयास के बाद मुख्यमंत्री जी से संक्षेप में मार्गदर्शन प्राप्त होता है कि हमारा आ I वेदों एवं संस्कृत साहित्य में उपलब्ध नैतिकता को ध्यान में रखते हुए निर्मित किया जायेगा।यह ज्ञात किया जाये कि A I के विषय मे वेदों ,ऋचाओं में क्या कुछ कहा गया है। विभाग में हड़कंप मच जाता है। धड़ाधड़ बैठकों का क्रम शुरू हो जाता है। चीफ साहब भी अपने स्तर पर अति सतर्क हैं। मुख्यमंत्री जी ने इच्छा व्यक्त की थी कि एक प्रारंभिक बैठक भी करेंगे और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। बैठक के लिए सामग्री जुटाने ,स्लाइड तैयार करने ,विभिन्न यूनिवर्सिटीज से सम्पर्क कर सामग्री संचयन की कार्यवाही भी गतिमान है। गोरक्ष धाम की लाइब्रेरी में भी वेदों व अन्य ग्रंथों की उपलब्धता के लिये टीम रवाना हो चुकी है और जगतगुरु रामभद्राचार्य जी से चीफ साहब की दूरभाष पर वृहद वार्ता भी हो चुकी है। चीफ साहब मुख्यमंत्री की बैठक को लेकर थोड़ा चिंतित हैं।रह रह कर उनका रक्तचाप बढ़ जा रहा है  जिसे नियन्त्रित करने के सद्प्रयासों में देव दुर्लभ पेय का नियमित सेवन प्रारम्भ कर दिये हैं जिससे ऊर्जा भी मिल रही है और नूतन अवधारणाएं भी सतह पर आ रही हैं। आगे की गाथा नीचे दी जा रही है।]...

  बीती रात जब ' कामधेनु ' सुरभि ने  ' लक्ष्मी ' प्रियांशी को जन्म दिया था तभी चीफ़ साहब के मन में आशा की एक किरन आयी थी कि आगे कुछ शुभ होना है।  आज जब दफ़्तर आये तब भी मन बहुत प्रफुल्लित था।सुबह की दफ़्तर वाली पूजा करके जब वे अपनी कुर्सी पर बैठ कर फाइलों का निस्तारण करने लगे तब भी उन्हें विशेष स्फूर्ति का एहसास हो रहा था। उनकी दाहिनी आँख भी फड़क रही थी जो शुभ संकेत का द्योतक स्वीकारी जाती है। नित्य प्रति अत्यावश्यक कार्यों को अंजाम देने के लिये जिस भी स्टॉफ ऑफिसर की ड्यूटी होती है वह 10.30 बजे उपस्थित होता है। आज मंजीत ही ड्यूटी कर रहा था।वह चैम्बर में आया ,चरण स्पर्श किया और निर्देशों की प्रतीक्षा करने लगा। चीफ़ साहब ने उसे मात्र एक ही काम सौंपा - A I संबंधी मुख्यमंत्री जी की बैठक के लिये आधारभूत टिप्पणी तैयार करने की। मंजीत के विदा होते ही चपरासी कल्लन सिंह  डाक पैड लेकर कमरे में प्रवेश किये ,झुक कर सलाम ठोंका और मेज के दाहिनी ओर दोनों डाक पैड रख कर चले गए। दो डाक पैड की व्यवस्था चीफ़ साहब ने ही कर रखी है। लाल रंग के डाक पेड में अत्यावश्यक पत्रादि होते हैं जिन पर लाल पीली झंडियां लगी होती हैं।लाल रंग जोश का भी प्रतीक होता है और ख़तरे का भी। दूसरा डाक पैड नीले रंग वाला होता है जिसमें जनरल डाक होती है।  भारत सरकार से प्राप्त होने वाले पत्रों के लिये केसरिया रंग का डाक पैड भी चीफ साहब के निर्देशन में ही तैयार किया गया है। डाक पैड  रोज प्रस्तुत नहीं किया जाता है क्योंकि बहुधा भारत सरकार से कम ही सन्दर्भ प्राप्त होते हैं।

          चपरासी कल्लन सिंह वॉटर कन्टेनर से धातु वाली गिलास में पानी निकाल कर मेज पर सजा गये क्योंकि सुबह वाली चाय का समय हो रहा था। साहब चाय के पहले नियमित रूप से मेडिकेटेड वॉटर का सेवन करते हैं। चाय ख़त्म कर के चीफ साहब लाल डाक पैड खोलते हैं तो पहला पत्र मुख्यमंत्री जी के कार्यक्रमों वाला दिखाई पड़ता है। उसे आद्योपांत पढ़ना जरूरी होता है ताकि आगे आने वाली आपदा से समय रहते बचाव कार्य किया जा सके। कार्यक्रम सूचना पढ़ते पढ़ते  अचानक उनकी बांचे खिलने लगती हैं।कल सुबह दस बजे मुख्यमंत्री जी अयोध्या राम मन्दिर परिसर में होंगे। मन्दिर के शिखर पर पूजित कलश की स्थापना का पुनीत कार्य होना है। कलश की स्थापना के बाद जमीन से मन्दिर के शीर्ष की ऊँचाई 161 फिट हो जायेगी। इस शुभ अवसर पर मन्दिर के मुख्य पुजारी के अतिरिक्त अन्य धर्मात्मा गण भी होंगे और यजमान की भूमिका में स्वयं मुख्यमंत्री जी होंगे। कलश स्थापना के बाद गर्भ गृह में पूजा अर्चना के पश्चात हेलीकॉप्टर से मुख्यमंत्री जी बिहार में एक विशाल जनसभा को सम्बोधित करने चले जायेंगे। ज्ञातव्य है कि बिहार में नवम्बर 2025 को ही विधान सभा चुनाव होने हैं। विरोधी दलों के नेता गण अपने प्रचार में लग भी गये हैं।मुख्यमंत्री जी सदैव ही स्टार प्रचारकों में रहने वाले महत्वपूर्ण नेता हैं। चीफ साहब इस लिए प्रसन्न हुए की अब A I वाली बैठक स्थगित रहेगी। प्रमुख सचिव विज्ञान को भी सूचना देना जरूरी नहीं था क्योंकि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम सभी विभागीय प्रमुखों को निश्चित रूप से भेजा ही जाता है।

         दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी।चीफ़ साहब की नज़र दरवाजे की ओर गयी।उनका निज़ी सचिव ,पाण्डेय एक फाइल बोर्ड पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के हस्ताक्षर से निर्गत एक अशासकीय पत्र लेकर प्रकट हुआ ,सादर अभिवादन के बाद चीफ साहब को हस्तगत करा कर वापस लौट गया। पत्र में यह कहा गया था कि '.मुख्यमंत्री जी की अन्यत्र व्यस्तता के कारण A I निर्माण संबंधी बैठक अग्रतर आदेशो तक स्थगित कर दी गयी है। मुख्यमंत्री जी की यह भी अपेक्षा है कि उक्त बैठक नियत समय पर मुख्य सचिव कर लें और कार्यवृत की प्रति उनके अवलोकनार्थ उपलब्ध करा दें। तदनुसार कार्यवाही निवेदित है।' मुख्यमंत्री जी के आदेश से चीफ साहब को एक ही समय हर्ष और विषाद दोनों की ही अनुभूति हुई। हर्ष इसलिए कि सनातन और संस्कृति के मामले में मुख्यमंत्री जी को झेलना कठिन होता है और विषाद इस लिए की अब उनके ऊपर ज्यादा जिम्मेदारी थोप दी गयी है। चीफ साहब ने संबंधित पत्र पर ही निर्देश लिख दिये " S O ( M )- कृपया बैठक की तैयारी करें। प्रमुख सचिव विज्ञान को भी बैठक की नोटिस जारी करें।निदेशक एवं वैज्ञानिकों की पूरी टीम बैठक में प्रतिभाग करे। बैठक की समयावधि दो घण्टे की होगी।इस समय की पूर्व नियत बैठकें स्थगित कर दी जाएं।". चीफ साहब ने लाल वाले फोन पर बज़र देकर प्रमुख सचिव विज्ञान से बात कराने के निर्देश अपने निजी सचिव को दिये। थोड़े समय बाद ही 'शर्मा जी लाइन पर हैं '  कह कर पी0 एस0 ने चीफ साहब को कनेक्ट कर दिया। चीफ साहब शर्मा जी के गुड मॉर्निंग का उत्तर देते हुए बोले - " पार्टनर ,तुमने बैठक की तैयारी तो करा ही लिया होगा।तुम्हे यह भी ज्ञात हो गया होगा कि कल सी0 एम0 मुख्यालय से बाहर ही रहेंगे पर उनका यह भी आदेश प्राप्त हुआ है कि बैठक मेरी अध्यक्षता में कर ली जाये और कार्यवृत्त यथाशीघ्र उन्हें उपलब्ध करा दिया जाये। बैठक की नोटिस जाती रहेगी ,मैंने सोचा तुम्हें बता दूँ। बैठक चार बजे शाम से छह बजे शाम तक मेरे सभा कक्ष में होगी। निदेशालय की टीम के साथ व अभिलेखों सहित बैठक में आ जाना। थैंक यू।" शर्मा जी ने ' जी सर ,बहुत अच्छा ' कह कर सलाम ठोंका।'.

         उधर प्रमुख सचिव विज्ञान ने आनन फानन में सचिवालय स्तर के अधिकारियों की आपात बैठक बुला कर विचार विमर्श करना शुरू कर दिया था। अनुभाग अधिकारी शिशिर झा एवं संयुक्त सचिव डॉ0 शालिनी मिश्रा को जो काम सौंपा गया था उसकी अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गये। विशेष सचिव प्रखर पंत को समन्वय करने का निर्देश दिया गया। निदेशक डॉ0 श्रीधरन को भी फोन पर सब तैयारी करने एवं नियत समय पर बैठक में प्रतिभाग करने को आदेशित किया गया। तैयार की गई प्रश्नावली के प्रत्येक बिन्दु पर एक संहत रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजने की अपेक्षा की गई। निदेशालय स्तर पर भी हड़कम्प मच गया।निदेशक के तीखे तेवरों से सभी अधिकारी सकते में आ गए। सभी वैज्ञानिकों को जो काम सौंपे गए थे ,उस पर सम्यक टिप्पणी बना कर प्रस्तुत करने के लिए निदेशक ने आदेश जारी कर दिया था। समय कम ही बचा था अतः सब लोग अपने अपने काम मे जी जान से जुट गए।

      इधर चीफ साहब ने स्टॉफ अफसर मंजीत को तलब कर लिया और प्रगति पूछने लगे। मंजीत सिंह ने क्रमबद्ध तरीके से  बताना शुरू किया।आधारभूत टिप्पणी की प्रति भी प्रस्तुत कर दिया।चीफ़ साहब के लिये बनाई गई टिप्पणी भी प्रस्तुत किया। सब देखने के बाद चीफ़ साहब ने गहरी सांस लिया ।उन्होंने कहा - " मंजीत ,तुमने एक कहावत सुनी होगी कि Hit the iron when it is red hot अर्थात उचित समय पर सही वार करना फलीभूत होता है। मुख्यमंत्री जी एवं प्रधानमंत्री जी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है ससंस्कृत सनातनी A I का निर्माण। तुम इन दोनों टिप्पणी में से उपयुक्त सामग्री लेकर अपने लिये टिप्पणी तैयार कर लो। में तुम्हें भी बैठक में बोलने का मौका दे दूँगा। दूसरा काम करो कि बैठक का ऑडियो तैयार करा लो फिर काट छाँट कर महज 15 मिनट का ऑडियो फ़ाइनल कराओ जिसमें थोड़ी थोड़ी सबकी बातें शामिल हों।कार्यवृत के साथ ऑडियो भी सी0 एम0 को भेज दिया जायेगा।उपयुक्त अवसर पर तुम्हें डी0 एम0 बनाने का प्रस्ताव मैं भेज दूँगा। डी0 एम0 गाजियाबाद की बहुत शिकायतें भी आ रही हैं ,उसे शिफ़्ट करने का मन मुख्यमंत्री जी बना लिये हैं। आगे हरि इच्छा।  मेरे लिये अध्यक्षीय भाषण तैयार करने की जरूरत नहीं है। मुझे तो वक्ताओं से सहमति / असहमति भी व्यक्त करनी होगी।".

            मंजीत सिंह चीफ़ साहब की दक्षता एवं प्रशासनिक सूझ बूझ के सम्मुख नतमस्तक थे। मन में लड्डू फूट रहे थे। ख़ुद को डी0 एम 0 गाजियाबाद की कुर्सी पर विराजने की कल्पना मात्र से  रोमांचित हो रहे थे। चीफ़ साहब से विदा लेकर दुगुने उत्साह से सौंपे गये कार्य को अंजाम देने में तल्लीन हो गये। जब मुख्यमंत्री जी मुख्यालय से बाहर होते हैं तो चीफ साहब को बहुत राहत मिलती है। दफ़्तर थोड़ा जल्दी बन्द करा देते हैं और परिवार को कुछ अधिक समय देते हैं। चीफ़ साहब इत्मीनान से रात गुजारे। अगले दिन उन्हें महत्वपूर्ण मीटिंग करनी थी।

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