नौजवानों के नाम एक संदेश ( ज्ञान) :: विकुति
आप जानते हैं जितना भी अच्छा या बड़ा ज्ञान हमें मिला है वह सब मुफ्त में मिला है। हमारे ऋषियों ,मुनियों और महापुरुषों द्वारा दिया गया समस्त ज्ञान इसी श्रेणी में आता है। मैं भी आपके हित में एक ऐसे ही ज्ञान का उद्घाटन करने जा रहा हूं। जाहिर है यह भी निशुल्क होगा। में केवल करुणा बस इस ज्ञान को प्रकट कर रहा हूं। श्रद्धा पूर्वक ग्रहण करेंगे तो फायदे में रहेंगे। इसमें मेरा किसी प्रकार का कोई स्वार्थ नहीं है।
सबसे पहले मैं आपसे एक प्रश्न करता हूं । आपकी सबसे बड़ी समस्या क्या है? प्रश्न यह भी हो सकता है कि आप करते क्या हैं? आप कह सकते हैं कि मैं सिनेमा देखता हूं ,मोबाइल पर , Youtube ,व्हाट्सएप या फेसबुक को , उलटता, पलटता हूं क्रिकेट देखता हूं ,प्रधानमंत्री की रैली, रोड शो में जाता हूं नारा लगाता हूं ,
मोदी- मोदी चिल्लाता हूं, दशहरा, दिवाली, रामनवमी ,महावीर जयंती आदि मनाता हूं और क्या करता हूं? आपका यह जवाब बहुत सही है और यही नहीं यदि आपके मां-बाप थोड़े भी जागरूक रहे होंगे ,तो आपके पास बीए,एम ए B.Ed, ला, ,आदि की डिग्रियां भी होगी। लेकिन बुरा मत मानिएगा इसमें आपका योगदान बहुत कम है इसका असली , श्रेय तो उन विद्यालयों महाविद्यालय विश्वविद्यालययो को जाता है जो यत्र-तत्र संचालित हैं ।यदि आप समय से फीस आदि का भुगतान करते रहे होंगे ,तो इन संस्थाओं ने भी डिग्री देने में कोताही
नहीं बरती होगी ।
ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है। मनोरंजन या अन्य कार्य से आप भी समय-समय पर विद्यालय में दर्शन तो दिए ही होंगे। इस प्रकार आपने डिग्री तो प्राप्त कर ली ,किंतु इस डिग्री का क्या? कोई रोजगार या नौकरी तो मिली नहीं । इसमें आपकी कोई गलती मैं तो नहीं मानता। जब विज्ञापन ही नहीं आएगा तो आप फार्म कहां भरेंगे? मान लीजिए नौकरी का विज्ञापन आ भी गया और अपने फार्म भी भर दिया तो परीक्षा में तो वहीं पास होंगे जिन्होंने मोबाइल के बदले किताबों में समय लगाया होगा । और अंत में वही किताबी कीड़े सफल भी होंगे। अभी इस पुरातन पंथी दुनिया को यह समझने में बहुत देर लगेगी की व्हाट्सएप ज्ञान के बिना मनुष्य कूपमंडूक बना रह जाता है, जिसकी नए भारत में कोई उपयोगिता नहीं है।
फिर मान लीजिए यदि परीक्षा हो भी गई तो वह कैंसिल हो जाएगी। कभी-कभार परीक्षा का रिजल्ट भी आ जाता है लेकिन उसकी त्रुटियों को देखते हुए न्यायालय इसे कैंसल कर देता है। अब यह तो ज्यादती है कि परीक्षा भी कराओ और उसमें त्रुटि भी ना हो। बेचारी सरकार!
इसके अतिरिक्त इस प्रक्रिया में एक घोरअकादमिक त्रुटि भी है। आई ए एस या सिविल सेवा परीक्षा और प्राइमरी स्कूल अध्यापक की परीक्षा में कोई विशेष अंतर भी नहीं है दोनों , मैं लगभग एक बराबर चरण है ,बल्कि प्राथमिक शिक्षक चयन में तो चयन परीक्षा से पूर्व बीटीसी प्रवेश परीक्षा के लिए भी घनघोर संघर्ष करना पड़ता है । इसी में कई बार , B.Ed वाले भी घुसे चले आते हैं। कोई क्या करें? मैं आपका संघर्ष समझता हूं ,इसलिए हाजिर हुआ हूं । मेरे पास एक धांसू करियर ऑप्शन है जो आज की स्थिति में पूर्ण रूप से समय के अनुकूल है । शासन प्रशासन और राजनीति पूरी तरह से इसके साथ है और सहयोगी भी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस कैडर में पदों की संख्या नियत नहीं है यह असंख्य है और हर समय इसमें अनंत पद रिक्त भी रहते हैं। इसका कोई विज्ञापन नहीं आता ,कोई परीक्षा भी नहीं होती । शैक्षिक अर्हता कुछ भी नहीं ,है, आईआईटी से प्राइमरी ड्रॉप आउट सभी अह्र माने गए हैं। प्राप्तियां भी निश्चित नहीं है यह कुछ नहीं ,से करोड़ों, अरबो तक हो सकती है। प्रारंभिक ,कुछ नहीं स्तर पर भी बहुत कुछ है। सुस्वाद, भोजन, वस्त्र एवं, इच्छा के अनुरुप,सुंदर भवन की गारंटी है और “पर्क” में अविरल आनंद का बाहुल्य है। सम्मान का तो कहना ही क्या ईश्वर तुल्य सम्मान हर पल बरसता रहता है। इस नश्वर संसार के कीट सम प्राणी सदैव चरणों में लोटे रहते हैं। यह आपको अद्भुत सामर्थ्य प्रदान करने का उपक्रम है । आप सर्वज्ञ होंगे और हर समस्या के समाधान , करता भी होंगे। लेकिन आपको अपना जीवन स्वयं ही बनाना होगा। पहले चरण में तो आपको हिम्मत से इस कैरियर को आप्ट करना होगा। आगे सब मंगल होगा यह मेरी गारंटी है। यह युगो-युगो से आजमाया करियर है।
अब मैं रहस्य को अनावृत्त करता हूं। सस्पेंस को लंबा खींचने से कहानी बिगड़ती है मैं , पूरे विश्वास से कहता हूं कि आप “साधु “बन जाइए। अभी और यही here and now. । इसमें कोई कठिनाई नहीं है और यह अत्यंत सुगम, है। इसमें कोई खर्चा भी नहीं है केवल कुछ वस्त्र बदलना होगा इसमें अधिक से अधिक एक मोबाइल रिचार्ज का खर्चा होगा। मोबाइल को आप अपने पास रख सकते हैं, इसमें कोई अड़चन नहीं है आजकल अच्छे बाबा मोबाइल रखते हैं और उससे भी बड़े और अच्छे बाबा तो आईफोन रखते हैं। वस्त्र के अलावा 10 –12 माला का भी प्रबंध कर लीजिए। कुछ को गले में डालिए और कुछ को कलाई में लपेट लीजिए। बाल की चिंता न करें यह आपकी इच्छा पर है मुड़वा लीजिए या छोड़ दीजिए।। दोनों स्थितियां लोगों को स्वीकार हैं । वैसे परंपरा बस जटा वाले बाबा, ईश्वर के ज्यादा करीब दिखाई पड़ते हैं। क्लीन सेव( बाल और मूंछ दाढ़ी सब) बाबा बौद्ध भंते प्रतीत हो सकते हैं। लेकिन इससे कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता इस बारे में बहुत गंभीर होने की जरूरत नहीं है। तिलक के बारे में थोड़ी सावधानी की आवश्यकता होती है ,पूरे मनोयोग से इसका चयन कीजिए आधुनिक भारत में तिलक या टीके के, कैटलॉग भी उपलब्ध होने चाहिए उसमें से छांट लीजिए। किंतु इसके आलेपन की विधि आपको किसी अनुभवी महात्मा से सीखनी होगी। यही थोड़ी सी उलझने हैं इनको शीघ्रता से सुलटा लीजिए। क्योंकि आपके लिए आगे आनंद का सागर लहरा रहा है। इसी समय कुछ और बातों की चर्चा भी जरूरी है नहीं तो आप आगे दुविधा में पड़ जाएंगे। आरंभ में ही यह तय कर लेना आवश्यक होगा कि आप संस्थानिक सन्यासी बनेंगे या “फ्रीलांस “करेंगे। संस्थानिक सन्यास प्रारंभ तथा अंत में सुविधाजनक माना गया है इसमें आप भोजन वस्त्र आवास आदि की चिंता छोड़कर भजन में लीन हो सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको कोई मठ या मंदिर खोजना पड़ेगा और वहां आपको अपनी साख बैठानी पड़ेगी। फ्रीलांस मार्ग कठिन और दुरुह है यहां आपको भोजन आदि की चिंता करते हुए ही भगवत भजन के लिए समय निकालना होगा। यह जीवन भिक्षाटन के ज्यादा करीब होगा। किंतु चिंता न करिए अपने यहां भिक्षाटन एक सम्मानित वृत्ति मानी गई है। हम भिक्षुओं को स्वामी अर्थात मलिक मानते आए हैं। फिर जब अहंकार ही न रहा तो मांगने में शर्म कैसी? इसी प्रकार एक और निर्णय आपको अभी लेना पड़ेगा। आप सुखमर्गी सन्यासी होंगे या दुख मार्गी होंगे? सुख मार्ग तो अत्यंत सरल है सहज भाव में रहते हुए आनंद उठाना है किंतु दुख मार्ग अवश्य कठिन है । आपको प्रसन्नता पूर्वक दुख की कोई विधा ढूंढनी होगी। इसमें बहुत सी चीजैं हो सकती हैं जैसे कांटों पर सोना एक पैर पर खड़ा रहना, एक या दोनों हाथ उठाए रखना, धूप में अग्नि के सामने बैठे रहना आदि। इसमें प्रचुर कष्ट तो होगा लेकिन सफलता तत्काल मिलेगी । अधिक से अधिक दो महीने में भक्तों की भीड़ लगने लगेगी फिर कोई आपकी, गति रोक नहीं पाएगा। आप इस पर स्थिर मन , से विचार कर लीजिए, जो भी अच्छा लगे।
एक और मार्ग पर भी विचार कर लेना उचित होगा। इस मार्ग में विशुद्ध आनंद बहता है, इसमें आपको कुछ खास करना नहीं है, जो होता है उसके ठीक उलट करना है इसे बाम मार्ग, या तंत्र मार्ग ,कहते हैं , यद्यपि यह आजकल फैशन में नहीं है लेकिन है शास्त्र सम्मत। अगर आपको ठीक लगे तो फैशन –वैसन को छोड़िए जो मार्ग ईश्वर तक ले जाए उसको अपनाने में क्या हर्ज है? इस मार्ग से तत्काल अर्थ, धर्म और काम के पुरुषार्थ की सिद्धि होती है। अन्य दूसरे मार्ग तत्काल धर्म और अर्थ की उपलब्धि कराते हैं। मोक्ष को तो कौन जानता है? यह प्रभु की कृपा से मिलता है किंतु मेरा तो मानना है कि यदि जिंदगी में परमेश्वर की कृपा से अर्थ धर्म और काम उपलब्ध हो जाए तो, वही तो मोक्ष है।
मेरे द्वारा उपदेशित मार्ग पर चलने से जीवन स्वत सफल हो जाता है आप इस उत्कृष्ट मार्ग से मुंह फेर कर कहां चाकरी या जॉब के लिए मारे मारे फिर रहे हैं।
अब मैं अंत में आपको उत्साहित करने के लिए उन महापुरुषों का उल्लेख करना चाहूंगा जो इस क्षेत्र के चमकते सितारे हैं । नित्यानंद जी महाराज ,आसाराम बापू जी महाराज और राम रहीम साहब को इस देव भूमि पर कौन नहीं जानता? अर्थात सभी जानते हैं । आप लोगों में से कुछ अधर्मी किस्म के लोग कहेंगे कि इनमें से दो बाबा तो जेल में है ,और एक बाबा फरार है। अरे मूढो़ उनके लिए क्या जेल? क्या बाहर? वह तो स्वेच्छा से बाहर आते ,जाते रहते हैं ये लोग तो भक्तों की भीड़ से त्रस्त होकर बीच-बीच में एकांत साधना के लिए अंदर चले जाते हैं । लेकिन वहां भी उन्हें कहां चैन मिलता है ?आए दिन कोई ना कोई चुनाव आ जाता है और भक्त इनको उठाकर बाहर ले आते हैं और न चाहते हुए भी इनको भक्तों के अनुनय विनय पर वोट मांगना पड़ता है ।आप सब तो जानते ही हैं भगवान तो भक्तों के बस में रहते हैं भगवान भक्तों को कहां टाल सकते हैं ,? जहां तक बाबा नित्यानंद का प्रश्न है वह तो कैलाश पर्वत पर अखंड समाधि में लीन है ,दीमकों ने उनके शरीर पर माद बना रखी है ,इसलिए वह दिखाई नहीं पड़ते । बाबा का निर्दोष , मन फरारी– वरारी क्या जाने? अंत में मैं अगर इस क्षेत्र के उभरते हुए सितारे भिभागेश्वर बाबा का जिक्र न करूं तो यह अन्याय होगा उनका भविष्य अत्यंत उज्जवल है बड़े-बड़े लोग उनको अपना छोटा भाई बन चुके हैं, इसलिए अभी उनके अंदर जाने की कोई संभावना दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ती है इसलिए उनका उदाहरण ज्यादा जीवंत है, और सब को छोड़िए तो इन्हीं के जीवन से क्यों नहीं प्रेरित होते हैं ? आपको पता नहीं है, इन्हीं बाबा की अध्यक्षता में एक नया प्रोजेक्ट शुरू होने वाला है ,बाबा प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रशासन को उस दिन होने वाली दुर्घटनाओं,, की सूची उपलब्ध करा देंगे जिससे प्रशासनिक अधिकारी समय पर दुर्घटना को टाल सके। इसके दो फायदे होंगे एक तो दुर्घटना स्थल पर मंत्रियों और प्रधानमंत्री जी को दौरा करने की आवश्यकता नहीं रहेगी क्योंकि कोई घटना तो, टल गई,
इससे किराया भाड़ा तो बचेगा ही माननीय प्रधानमंत्री जी को तीन-चार बार कपड़े बदलने की जहमत भी नहीं उठानी पड़ेगी।
अब मैं अपना प्रवचन समाप्त करता हूं जो हमारी बात से सहमत हैं वे धन्य भागी, है जो असहमत है, उनको क्या कहूं उनको अभाग ने घेर रखा है। अब वे लिली -लिली करते हुए मोदी या राहुल के पास जाएंगे। मोदी कहेंगे पकोड़ा तलो और राहुल बोलेंगे आंदोलन करो ,तो भैया , जाओ गर्मी में पकौड़ा तलो और धूप में आंदोलन करो ,तुम्हारी तकदीर में भोग लिखा ही नहीं है। अपना-अपना भाग्य!
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