बड़े भाई तो बड़े भाई, छोटे भाई सुभानल्लाह :: विकुति

 

 

शुरू से ही मुझे इसकी आशंका थी । इनके ज्ञान ,शीलऔर एकता को देखकर कोई भी कहता की दोनों सगे भाई हैं। लेकिन ऐसे ,ही कोई कैसे कह देता की दोनों भाई है,लेकिन एक दिन किसी शुभ अवसर पर जब बड़े भाई ,छोटे भाई के अड्डे पर गए हुए थे । प्रेम , विहवल होकर भरे गले से उन्होंने कह दिया ,यह मेरे छोटे भाई हैं। जनता पुलकित होकर ताली बजाने लगी। गजब राम भारत मिलन का अवसर बना ।

अब मैं संकोच के बिना दोनों भाइयों की तुलना कर सकता हूं। उनके गुण धर्म गिना  सकता हूं। सर्वप्रथम मैं आचार्य सोमेश्वर का मूल्यांकन प्रस्तुत करना चाहूंगा। आचार्य सोमेश्वर ने इनका चरित्र चित्रण दो सूत्रों के माध्यम से किया है ।सूत्र अत्यंत सारगर्भित हैं ।इन सूत्रों को पाणिनीके सूत्रों के समान मानने में कोई हर्ज नहीं है। आचार्य सोमेश्वर ने इनको निम्नवत परिभाषित किया है—

एक — बड़े भाई- अजैविक और अविनाशी हैं । इनको ,निम्नलिखित 3 “म” से परिभाषित किया जा सकता है।,

यथा- मंच ,माइक और मन की बात।

टिप्पणी–, यहां आचार्य ने टेलीप्रॉन्पटर का उल्लेख नहीं किया है। आचार्य से ऐसी त्रुटि की अपेक्षा तो नहीं की जा सकती है क्योंकि टेलीप्रॉन्पटर के बिना माइक का क्या महत्व? संभवत चूकी यह शब्द म से आरंभ नहीं होता है अतः आचार्य ने इसे जानबूझकर छोड़ दिया होगा । उनका आशय यह रहा होगा कि सुधी पाठक इसे स्वयं ही जोड़ लेंगे।

दो – छोटे भाई-, इनको इनको तीन “भ” से परिभाषित किया जा सकता है।

यथा –भगवा, भभूत ,और भविष्यवाणी।

आचार्य का सूत्र इतना ही है।

टिप्पणी कार होने के नाते मैं भी इन सूत्रों में किंचित परिवर्तन करने का अधिकार रखता हूं । मैं दोनों भाइयों के साथ एक-एक एक्स्ट्रा”म” एवं “भ” , लगाने की स्वीकृति चाहूंगा। इसके बाद यह सूत्र निम्नवत संशोधित माने जाएंगे।

बड़े भाई–, मंच ,माइक ,मन की बात ,मक्कार और भ्रष्टाचारी।

छोटे भाई– भगवा ,भभूत ,भविष्यवाणी, मक्कार और भ्रष्टाचारी।

अब इस शास्त्रीय चर्चा को छोड़कर सामान्य चर्चा पर आते हैं।

सामान्य चर्चा आगे बढ़ती उसके पहले ही एक अन्य विद्वान मित्रा ने आगाह किया की एक वर्ण आप भूल गए हैं। वह है झरना वाला” झ”, क्योंकि दोनों भाई के श्री मुख से अनवरत झरने जैसा झूठ झरता रहता है। मैं उनकी बात से इस स्पष्टीकरण सहित सहमत हूं कि बड़े भाई तो शौकिया झूठ बोलते हैं , लेकिन छोटे भाई की यह एक व्यावसायिक मजबूरी है उनका हर समय भविष्यवाणी करनी पड़ती है जो झूठ के बिना संभव नहीं है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बड़े भाई को भी राजनीतिक मजबूरी के तहत ही झूठ बोलना पड़ता है क्योंकि झूठ बोलना करके दिखाने से काफी आसान पड़ता है । कार्य तो प्रतिदिन 18 घंटे में भी पूरा नहीं होता है। मुझे इनके इस तर्क से सहमत होने में कोई आपत्ति नहीं है ।

अब हम दोनों भाइयों की प्रगति की रफ्तार पर विचार करते हैं। मेरा मानना है कि छोटे भाई की रफ्तार बड़े भाई की तुलना में काफी तेज है। जिस उम्र में बड़े भाई भीख मांग कर जीवन यापन कर रहे थे छोटे भाई इस उम्र में काफी महंगी जैकेट धारण कर “गुची” का चश्मा लगाए ऑस्ट्रेलिया के सागर तट पर बिहार कर रहे हैं ,तो अंतर तो बिल्कुल स्पष्ट है। हाथ कंगन को आरसी क्या? यह भी कहा जा सकता है की बड़े भाई की प्रगति में स्थायित्व था किंतु छोटे भाई की प्रगति में झोल है। यह कभी भी राम रहीम  की तरह अंदर जा सकते हैं। लेकिन बड़े भाई के प्रसाद पर्यंत यह संभव नहीं है। दोनों के भाई होने के बावजूद दोनों का कार्य क्षेत्र अलग-अलग है इसलिए इन पर परिवारवादी होने का आरोप तो नहीं लगाया जा सकता क्योंकि एक का कार्य क्षेत्र राजनीति है, तो दूसरे का कार्य क्षेत्र धर्म है । यद्यपि यह दोनों क्षेत्र अलग-अलग दिखाई पड़ते हैं लेकिन इनका अंतर संबंध बहुत प्रगाढ़ है। दोनों एक दूसरे के बिना पल्लवित नहीं होते ।दोनों के लिए उर्वर भूमि एक ही होती है और वह है अंध भक्तों की प्रचुर उपलब्धता । जिसकी इस पुण्य भूमि पर कोई कमी नहीं है। इस प्रकार दोनों भाई अलग-अलग दिखते हुए भी ,एक दूसरे के अनन्य सहयोगी है।

बड़े और महान लोगों के, बड़े और महान हो जाने के बाद उनके जीवन में ताक-झांक करना ठीक नहीं होता है, किंतु अगली पीढ़ी की प्रेरणा के लिए इनका जीवन चरित्र प्रकट होना अति आवश्यक है । यदा कदा इन्होंने स्वयं भी कुछ तथ्यों का उद्घाटन किया है इसलिए इसको आम करने में कोई दोष नहीं है ।उनके परिवार उनकी शिक्षा दीक्षा आदि के संबंध में कुछ तथ्य दिए जा रहे हैं। दोनों भाइयों का परिवार अत्यंत गरीब था। इनकी माताएं दूसरे के घरों में चौका बर्तन आदि करती थी और पिता चायआदबेचने जैसे छोटे-मोटे कार्य करते थे ,जिसमें इन महानुभावों द्वारा भी सहयोग किया जाता था । इस तथ्य के दृष्टिगत यह स्पष्ट होता है कि बड़ा होने के लिए गरीब होना अत्यंत आवश्यक है। मेरा आप सबसे अनुरोध एवं प्रश्न है की क्या आप अपने बच्चों के भविष्य के लिए कुछ दिनों के लिए गरीब नहीं हो सकते? आखिर इसमें क्या कठिनाई है, ? आपने 40 45 साल तक बहुत मजे कर लिए अब 15 16 साल के लिए गरीब हो जाइए। जब आपका पुत्र या पुत्री महान हो जाएंगे तो आप भी तो इतिहास में चले जाएंगे और तब क्या गरीबी? और क्या अमीरी? लोग अपने बच्चों के लिए क्या-क्या नहीं करते? आप भी थोड़ा त्याग कर दिखाइए।

इन बच्चों की बचपन की गरीबी तो अपनी जगह है ,लेकिन दोनों भाइयों ने बचपन में कृष्ण ,बलराम की तरह अनेक लीलाएं और कौतुक किये थे। कृष्ण ने बाल काल में बकासुर ,पतना आदि राक्षसों का वध किया था किंतु अब कली -काल में राक्षसों के न होने के कारण इन्होंने मगरमच्छ ,सांढ,भैंसे आदि के साथ अनेक , क्रीड़ाए की थी। यह बचपन में अत्यंत साहसी और बलवान थे। दोनों भाइयों के बचपन में उनके गांव की नदी या पोखर में “कालिया “ नाग नहीं था इसलिए कालिया को नाथने, जैसी कोई लीला नहीं हो पाई।

 

जब कोई व्यक्ति जीवन में सफल हो जाए और खासकर जब उसके आगे पीछे नलों की भीड़ लगी रहती हो तो ,तब उसकी पढ़ाई लिखाई की क्या चर्चा करना ।जब वह व्यक्ति अवतारी हो या त्रिकालदर्शी हो तो उसकी शिक्षा का क्या?

जब सारे शिक्षित उसका चरण बंदन करते हो तो उस महापुरुष से कौन सी विद्या अछूती होगी । जहां तक कागजी डिग्री आदि का प्रश्न है उसपर क्यों ध्यान देना?जो डिग्री एक अदद नौकरी भी नहीं दिला सक्ती उसका मूल्य ही क्या है? असली शिक्षित वह है जिसने  चारों पुरुषार्थ सिद्ध कर लिए हैं। वेद पुराण भी जीवन का लक्ष्य इन चार पुरुषार्थों को ही तो बताते हैं, इसलिए इन अनंत श्री विभूषित भ्राताओं की शिक्षा आदि की बात करने वाले निश्चित ही मुर्ख है। मान लीजिए उनके पास फर्जी या अन्यथा कोई डिग्री है ,अथवा नहीं है तो यह समझ लो, इन्होंने यह परम पद डिग्री दिखा कर नहीं प्राप्त किया है। इन्होंने यह सब त्याग और तपस्या से प्राप्त किया है । तुम अपनी डिग्री संभालो  ,लेकिन अंत में आकर उनके ही चरणों में गिरोगे। जिसका कोई भविष्य ही नहीं है ,  वह पर्ची वाले बाबा को क्या जाने?जिनकी नसों में खून बहता हो, वह नसों में गरम , सिंदूर बहाने वाले को क्या जाने?

 

Comments

Popular posts from this blog

आपदा गई, बिपदा आई ? :: विकुति

भूत की लँगोटी :: विकुति

मस्तिष्क में क्वांटम! चीन के वैज्ञानिकों ये क्या कर रहे हो ? ViKuTi