घिघियानोज़ फॉल विंटर कलेक्शन उर्फ ‘का सिंगार ओहि बरनौं, राजा’ :: विकुति
घिघियानोज़ फॉल विंटर कलेक्शन उर्फ ‘का सिंगार ओहि बरनौं, राजा’
आईआईएम अहमदाबाद में वह क्लास चल रही थी, जिसमें सफल व्यक्तियों का जीवन चरित्र सुन कर छात्रों को प्रेरित किया जाता था । आज मशहूर फैशन डिजाइनर घिघियानो का जीवन चरित इस उद्देश्य से लिया गया था । इस अवसर पर प्रोफेसर ने जो कहा वह अंग्रेजी में था किंतु अनपढ़ पाठकों के लिए मैं उसे हिंदी में अक्षरशः से दे रहा हूँ।
प्रोफेसर ने कहा “प्रिय छात्रों प्रत्येक मनुष्य का एक सपना होना चाहिए और यदि नहीं है तो उसे देखना चाहिए फिर, इस सपने का पीछा करना चाहिए यदि आप ऐसा करेंगे तो आपके सपने को सत्य बनाने के लिए यह पूरी कायनात आपके पक्ष में साजिश करेगी (यहां प्रोफेसर ने पाउलो कोएलो का नाम नहीं लिया ) ऐसा ही घिघियानो के साथ हुआ, मैं बताता हूं ,कैसे ? यहां सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि ‘घिघियानो ‘ का नाम पहले ‘घिघियानी’ था । बाद में सफल होने पर उसने ‘नी’ की जगह ‘नो’ कर दिया था। घिघियानो नाम घिघियानी की अपेक्षा अधिक इंप्रेसिव और विदेशी लगता था ।
अपने प्रारंभिक दिनों में घिघियानो एक निहायत चंपू और लंपट किस्म का युवक था। अपने माता-पिता की अच्छी स्थिति के कारण वह शहर के एक महंगे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ता था। मोटरसाइकिल चलाने तथा मोबाइल आदमी व्यस्त रहने और अत्यधिक एंजॉय और धमाल करने के कारण उसकी पढ़ाई के लिए समय नहीं मिल पाता था। अतः वह पढ़ाई में काफी कमजोर माना जाता था। ग्यारहवी तक तो सब कुछ जैसे-तैसे चलता रहा किंतु 12वीं में दो बार फेल हो गया । दो सत्रों में घिघियानो की हिम्मत पस्त पड़ गई, इसलिए उसने अपना एक सपना बनाया और घर छोड़कर निकल गया, और अपने सपने का पीछा करने लगा।
संघर्ष के इन्हीं दिनों में, वह एक दिन घूमते-घामते सपनों की नगरी मुंबई पहुंच गया। वह यहां फिल्मों में हीरो बनने आया था, नाक, नक्श तथा कद-काठी से घिघियानो फिल्मों के लिए सर्वथा उपयुक्त था, किंतु अनेक डायरेक्टर और प्रोड्यूसरों के चक्कर काटने के बाद भी बात बनी नहीं । एक दिन निराश के क्षणों में उसे अपने पिता के एक मित्र की याद आई जो इस नगर के एक सफल व्यवसायी थे। वह उनके घर पहुंचा। वहां उसकी काफी आवभगत हुई ।उसके आने का प्रयोजन पूछने पर उसने अपनी समस्या बताई।
उसके पिताजी के मित्र ने सारी समस्या सुनकर कहा “देखो फिल्मी दुनिया में तो मेरी कोई जान-पहचान है नहीं इसलिए वहां मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता, लेकिन हाँ ,यदि तुम कोई काम करना चाहो तो मैं उसका बंदोबस्त कर सकता हूं। वैसे भी तुम पढ़े-लिखे तो हो नहीं कोई मामूली काम ही मिलेगा जिससे गुजर बसर चल जाए , लेकिन यदि तुम ऐसा ही कोई काम करना चाहो तो अपने पिता के पास ही क्यों नहीं चले जाते ?” यह सुनकर घिघियानो के सपनों पर मानो घड़ो पानी पड़ गया। वह बुझे मन से वापस लौट गया।
यहाँ यह भी बता दूँ ,इसी मुफलिसी के दौर में घिघियानो को एक चेला मिल गया था जिसका नाम शामियानो था । शामियानो का अपना कोई सपना नहीं था। वह केवल बेरोजगार था और उसे किसी तरह रोजी-रोटी का जुगाड़ करना था। शामियाना अपने गुरु पर केवल इसलिए रीझ गया था कि वह फर्राटे से अंग्रेजी बोलना था। उसको विश्वास था कि गुरु अपनी अंग्रेजी के बल पर एक न एक दिन कोई जुगाड़ बिठा ही लेगा फिर पीछे-पीछे उसकी बात भी बन जाएगी।
पिता के मित्र से मिलकर लौट के बाद घिघियानो अत्यंत निराश था। अतः गुरु-चेला ने मिलकर खूब दारु पी फिर और कुछ समझ ना आने पर दोनों फुटपाथ पर एक खाली जगह पर बैठ गए।। दोनों आंखें मूंद कर काफी देर तक बैठे रहे, कोई किसी से कुछ बोल नहीं रहा था । इसी बीच कायनात ने घिघियानो के पक्ष में साजिश की। घिघियानो के दिमाग में एक नई योजना कौंधी और उसका पूरा व्यक्तित्व प्रकाश से भर गया। उसने उत्साह पूर्वक शामियानो को झकझोरा और गुरु चेला ने सामने ढाबे पर जाकर बड़ा पांव के साथ चाय पी। चाय पीते पीते घिघियानो ने बड़ी गंभीरता से कहा शामियानो हमें एक टीम बनानी होगी। अचंभित होते हुए शामियानो ने कहा कैसी टीम ? किस लिए?
घिघियानो ने कहा “ध्यान से सुनो शामियानो दो तो हम लोग हैं, ग्यारह बारह लड़कियां चाहिए और कैसी लड़कियां चाहिए मैं वह बताता हूं “ यह कहकर विज्ञानों ने चाय सुड़की और कहना शुरू किया “ऐसी लड़कियां ढूंढो जिनकी लंबाई कम से कम 5 फीट 10 इंच के करीब हो गोरे काले का कोई मतलब नहीं लेकिन सबसे जरूरी बात लड़कियां दुबली पतली सींक-सलाई जैसी होनी चाहिए और सब की माफी हो सकती है लेकिन चर्बी की नहीं समझे शामियानो ।”
शामियानो काम पर लग गया। इस बीच घिघियानो ने बाल दाढ़ी बढ़ा ली और बालों को सूअर नुमा कराकर इन्हें कई रंग से रंगवा लिया। दाढ़ी के साथ भी कुछ प्रयोग किये, फटी हुई जीन की पैट और गोल गले वाली टी शर्ट जिस पर कुछ ऊंटपटांग लिखा हुआ था पहनने लगा। शामियानो की की मेहनत रंग लाई और जल्दी ही एक महत्वाकांक्षी टीम खड़ी हो गई। फिर क्या था फॉल विंटर शो की तैयारी शुरू हो गई।
घिघियानो ने मॉडलों के वार्डरोब बनाना शुरू किया। पहली लड़की के शरीर पर उसने जगह-जगह रंग-बिरंगे चिथड़े जिनमें से कुछ गोल कुछ चौकोर और कुछ तिकोनी पत्तियां टांग दी और उसे एक 10 इंच ऊंची हील वाली सैंडल पहना दी और बालों को खींचकर पीछे की ओर कस दिया । इस प्रकार पहले मॉडल तैयार हो गई।
दूसरी को उसने कंबल सिलकर बनाया, एक घोघी , पहना दी जिसमें आंखों के स्थान पर छेद थे। इस छेद पर धूपी चश्मे पहना दिए । तीसरी के सिर पर एक छोटी सी रंग बिरंगी डलिया बांधकर उसमें फूल भर दिए, इसकी सैंडल की ऊंचाई 12 इंच थी । चौथी के ऊपर के वस्त्र पहली वाली के पहनाये गए तथा नीचे के वस्त्र तीसरी वाली के थे , इसकी सैंडल फ्लैट हील की थी। पांचवी को दूसरी के नीचे के वस्त्र ऊपर और ऊपर के वस्त्र नीचे पहना दिए गए। इसी प्रकार अपनी सृजनात्मक प्रतिभा का परिचय देते हुए घिघियानो ने सभी मॉडलों के वार्डरोब तैयार कर दिए। रिहर्सल शुरू हो गई और शो के दिन का इंतजार होने लगा ।
आखिर में शो का दिन भी आ पहुंचा। इस दिन घिघियानो बहुत नर्वस था। बार-बार बजरंगबली और शिव जी का नाम लेते हुए दारू पीकर मेकअप रूम में बैठा हुआ था। शो शुरू हुआ और हर मॉडल की रैम पर उतरने पर हाल तालिया के गड़गड़ाहट से गूंजने लगा। जैसे-जैसे शो सफल होता गया घिघियानो का नशा टूटने लगा ।अंत में घिघियानो मंच पर उतरा। उसके आते ही तालिया की गूंज आसमान छूने लगी। उसको विश्वास हो गया कि उसकी तो बस निकल पड़ी।
अगले दिन अखबारों में घिघियानो छा गया। यह सब ज्यादातर अंग्रेजी अखबारों में छपा। इसलिए. इसके बारे में हिंदी के पाठक नहीं जान पाए। सौभाग्य से आपमें ऐसा कोई नहीं है ।अतः आप में से वैसे आप में से बहुत लोगों ने इसे जरूर पढ़ा होगा। शो के बारे में अखबारों में अत्यंत उत्साहवर्धक टिप्पणियाँ थी जैसे Inharmony, with nature , where east meets west, Gergious Excelentcomposition suplnb, rise of a genious वगैरह। एक अखबार ने तो यहां तक लिखा कि” Fashion will go Ghighiyano’s way next season “।
इस तरह से घिघियानो रातो रात फैशन के जगत पर छा गया।अंत में मैं यहां उसके एक शो का उल्लेख करना चाहता हूँ जिसमें मैं भी उपस्थित था। मेरी बगल में एक संभ्रांत पुरुष सपत्निक बैठे हुए थे। यह सज्जन अभी 2 वर्ष से संभ्रांत हुए थे । इसके पहले यह जेल में थे ।जेल से छूटने के बाद इन्होंने टुच्चे काम छोड़ दिए और बिल्डर तथा प्रॉपर्टी डीलर बन गए। आज वे एक बड़े भारी बिजनेसमैन और संभ्रांत भी हैं।
एक मॉडल के आने पर उनकी पत्नी ने कहा “एजी यह क्या पहने हैं उल्टा सीधा “ पति ने आंख तरेरते हुए कहा “चुप कर बेवकूफ यह घिघियानो शो है बगल वाले सुनेंगे तो क्या कहेंगे, वैसे तुम्हारी पढ़ाई लिखाई ठीक से नहीं हुई लगती है तुम क्या समझ पाओगी।” पत्नी ने हार ना मानते हुए कहा “एजी पढ़ाई तो आपकी भी…….।” बात काटने हुए पति ने कहा “मैं कम से कम अब तो सीखने की कोशिश तो कर रहा हूं।’ वार्तालाप बंद हो गया शो जारी रहा।
प्रोफेसर ने अंत में अपने लेक्चर का समापन इस प्रकार किया “छात्रों घिघियानो आज कई फैशन कंपनियों का मालिक है और करोड़ों में खेल रहा है। शामियानो उससे अलग हो चुका है और अपनी कोई कंपनी खड़ा करने की जुगाड़ में है। यह सफलता की एक शानदार कहानी है। इससे हमें क्या शिक्षा मिलती है आपको? एनीबॉडी !
कक्षा के सबसे प्रतिभाशाली छात्र ने हाथ खड़े किए और कहा सर हर आदमी को सपना देखना चाहिए और इसका पीछा करना चाहिए और करोड़पति जरूर बनना चाहिए। प्रोफेसर प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा “दैट्स इट थैंक यू “ और कक्षा समाप्त हुई।
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