सिर्फ पोस्ट कार्ड ::विकुति
मेरे एक पिछड़े हुए मित्र है। कितने पिछड़े है इसी से समझ लीजिए कि आज भी वे मोबाइल नहीं रखते। एक बार मैने कहा स्मार्ट तो तुम क्या समझोगे एक बटन वाला ही रख लो ठीक रहेगा कहने लगे भाई मोबाइल से कोई विरोध नहीं है , लेकिन दिन भर ऑफर आते रहते है, किसको किसको ना कहे अगर एक भिखारी को भी फेरा मंगवा दो तो दुख होता है, आखिर दया धर्म भी कोई चीज है।
इन्हीं मित्रवर को मुझे पोस्ट कार्ड लिखना होता है, वे भी मुझे लिखते है। मैं पोस्टकार्ड लेने डाकखाने पहुंचा। एक खाली काउंटर पर गया। हाथ में नोट लहराते हुए मैने कहा “सर एक पोस्ट कार्ड”। बाबूजी नीचे झुके हुए मोबाइल देख रहे थे सिर उठाकर उन्होंने हल्की हंसी बिखेरते हुए मेरी ओर ऐसे देखा जैसे संत अग्यानी सांसारिको को देखता है। बोले “आधार”। मैंने अचकचा कर कहा “एक पोस्ट कार्ड के लिए आधार”। वे बोले अंकल यही तो दिक्कत है में दिन भर बैठा बैठा क्या यही समझाता रहूं आप ने तो कह दिया एक पोस्ट कार्ड आप जानते है पोस्ट कार्ड क्या है? आज कल आतंकी इसका इस्तेमाल कर रहे है जब मोबाइल पकड़े जाने लगे तो उन्होंने पोस्ट कार्ड अपना लिया अभी कुछ दिन पहले एक आतंकी सरगना ने अपने स्लीपर सेल को पोस्ट कार्ड पर संदेश भेजा “करो और मरो”। बस उसने अपने को उड़ा लिया दो लोग और मर गए।
यह सुनकर मैं चिंतित हुआ और कहा सर जी आप की बात एकदम ठीक है, मै भी फौज का रिटायर हूँ सूबेदार मेजर था। नियम हमको हमारी जान से प्यारा है हम सरकार के साथ है कहा भी है “साहब से सब होत है बंदे से कछु नाही” साहब माने सरकार तो कल मैं आधार लेकर आऊगा उसकी एक कॉपी भी लाऊंगा उसे आप रिकॉर्ड में रख लीजिएगा ताकि सनद रहे।
अगले दिन मैं आधार लेकर पहुंचा और शान से एक नोट सहित बाबू को पकड़ा दिया। बाबू ने गौर से इसे देखा और नोट वापस करते हुए कहा अंकल ये आधार तो ठीक है लेकिन आप के चाल चलन का क्या? कही झगड़ा , फसाद मारपीट हत्या बलात्कार में रहे हो तो? देखिए बुरा मत मानिएगा। आप शरीफ आदमी है, दिखाई ही पड़ रहा है लेकिन यह कागज पर तो होना चाहिए। थाने से लिखवा लाइए। क्या करे मेरी यही मजबूरी है। यही नियम है। नियम की बात सुनकर में दब गया।
फिर चार दिन थाने आता जाता रहा। एक दिन मुंशी ने कहा “कहां बाबूजी आप पोस्ट कार्ड के चक्कर पड़े हैं मोबाइल ओबाइल से काम चला लीजिए”।
मुझे पहली बार गुस्सा आया “मैने कहा मुझे यह सब मत समझाओ यह सरकारी काम है इसमें चक्कर कैसा मुझे तो पोस्ट कार्ड ही चाहिए”।
मुंशी झेप गया अगले दिन उसने मुझे रिपोर्ट दे दी जिसमें नाम पते के अलावा लिखा था कि 6 वर्ष पहले इनकी पड़ोसी से मामूली बात पर हाथ पाई हो गई थी। यह वाकया संज्ञान में आने पर पुलिस ने मौकाये वारदात पर पहुंच कर सुलह करा दी थी। वैसे इनकी आम शोहरत अच्छी है।
अगले दिन में विजई मुद्रा में डाकखाने पहुंचा रिपोर्ट और पैसा बाबू के आगे धर दिया। बाबू गदगद हो गया कहा “ आप ने तो कमाल ही कर दिया इसे कहते है देश भक्ति। आज कल तो अच्छे अच्छे लोग भी पोस्ट कार्ड के नाम पर सिहर जाते है यह लीजिए अपना पोस्टकार्ड” ।
उसी समय मेरे दिमाग में यह बात आ गई कि क्यों ना एक ही शिनाख्त और चरित्र सत्यापन पर 3 कार्ड ले लिए जाए मैने कहा 3 दे दीजिए।
वह झुंझला कर बोला “फिर वही बात बाबूजी हम मानते है कि आप शरीफ आदमी है आतंकी नहीं है, पुलिस ने भी आप का सत्यापन कर दिया है , लेकिन अगर हमने तीन पोस्ट कार्ड दे दिए तो दो कार्ड आप के पास फालतू पड़े रहेंगे, अगर बाबूजी इनको किसी आतंकी ने चुरा लिया तो हो जायेंगे न गजब” “ इस लिए बाबूजी यह नियम है कि एक आदमी को एक ही पोस्ट कार्ड दिया जाए।
नियम बात सुनकर मैने सिर झुका लिया और पोस्ट कार्ड लेकर खुशी खुशी घर आ गया।
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