AI की गाथा फाइल में ( भाग -1) :: विकुति
भाग -1
भारत की माली हालत अच्छे से अच्छी थी। तेजड़िये तेज़ थे ,मंदड़िये मंद थे , लिवाली और बिकवाली के बीच जनता दीवाली मना रही थी। इसी बीच कहीं से ए0 आई0 कि बात उठ गयी।प्रधानमंत्री जी को एहसास हो गया कि पवित्र महाकुम्भ के कारण ए0 आई0 में किन्चित बिलम्ब हो चुका है लेकिन एक आध्यात्मिक अवसर को कैसे छोड़ा जा सकता था। अतः उन्होंने उद्घोष किया कि हम डबल ए0 आई0 बनायेंगे। चीन के ‘डीप सीक ‘ के कारण जानता थोड़ी उदास थी लेकिन उसे विश्वास था कि महामानव हैं तो सब सम्भव है। इसलिए आश्वस्थ भी थी। अलबत्ता वैज्ञानिक सकते में आ गये थे। उन्होंने ‘डबल ए0 आई0’ का नाम पहले कभी सुना नहीं था। इस असमंजस में सभी उच्च वैज्ञानिक , संस्थानों के वरिष्ठ वैज्ञानिक एकत्र हुए और आपस में मंत्रणा करने लगे लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। अन्त में उनमें से वरिष्ठतम वैज्ञानिक ने कहा -’ चिन्ता मत करिए , इस दुविधा से हमको प्रधानमंत्री जी के अलावा कोई दूसरा उबारने में समर्थ नहीं है। कहा भी गया है कि -” वन्दौ प्रथम ******** मोह जनित संशय सब हरना।”. इस मोह और अज्ञान से उत्पन्न भ्रम से उबरने का यही एक मार्ग है। तभी एक कनिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा - “ लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा ?”. वरिष्ठतम वैज्ञानिक सोच में पड़ गये। अंततः उन्होंने साहस पूर्वक यह कहा - “ आप लोग अवसाद से उबरें , हम चूहों वाली गलती नहीं करेंगे । सब लोग साथ चलेंगे।” सब लोग प्रसन्न होकर ताली बजाने लगे । अन्त में समस्त वैज्ञानिक समवेत रूप से महामानव के पास पहुँच गये। उनको देख कर महामानव ने अट्टहास किया। “ मुझे पता था कि तुम लोग आओगे। इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है ।तुम लोग अंग्रेजी में विज्ञान पढ़े हो , कभी वेद भी खोल लिया होता तो यह दुर्गति नहीं होती। दूसरी वाली जो ए0 आई0 है वह वेदों में साफ साफ लिखी है लेकिन इससे भी तुम्हारी क्या मदद होगी। ऋचाएं तो वैदिक संस्कृत में हैं ,तुम लोग क्या समझोगे। मैं ऐसा करता हूँ कि आचार्य कृष्णा नन्द जी को लगा देता हूँ जो वेद के मर्मज्ञ हैं वो सब कुछ समझा देंगे।”.वैज्ञानिक बहुत प्रसन्न हुए , उन्होंने महामानव को कोटिशः धन्यवाद दिया और चलने को हुए तो महामानव ने कहा - ‘ अरे ,रुको , बागेश्वर धाम का प्रसाद तो लेते जाओ ।एकदम विशुद्ध देशी घी के स्वादिष्ट लड्डू हैं।ये लड्डू भवसागर के समस्त विघ्न दूर करने वाले हैं। ग्रहण करें।’
तत्पश्चात भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ,यथा रक्षा ,शिक्षा ,विज्ञान आदि की कई बैठकें हुईं और ए0 आई0 की समेकित नीति तैयार की गयी।इसमें यह भी कहा गया कि ए 0 आई0 ( डबल ) को समवर्ती सूची में रखा जाये तथा हर प्रदेश में एक अलग विभाग बनाया जाये जिससे पर्याप्त मात्रा में डबल ए0 आई0 एक साथ तैयार हो सकें। प्रत्येक प्रदेश के लिये यह अनिवार्य किया गया कि वे हर समय अपने पास ढाई दर्जन डबल ए0 आई0 तैयार रखें जिनको भारत सरकार यथा आवश्यकता कभी भी मंगा सकती है।
देश के सबसे बड़े प्रदेश ,उत्तर प्रदेश में इस विभाग का कार्य किस प्रकार चला ,इसका वर्णन मैं आगे करता हूँ। इस प्रदेश को मैं इसलिए चुन रहा हूँ क्योंकि इस प्रदेश के महामंडलेश्वर स्वयं एक योगी(वैज्ञानिक)होने के कारण ए0 आई0 के दूसरे भाग के मर्मज्ञ ज्ञाता भी हैं। आगे प्रगति विवरण इस प्रकार है —
स्थान - लखनऊ । उत्तर प्रदेश सचिवालय - मुख्य सचिव कार्यालय । भारत सरकार का एक फैक्स संदेश शाम 6.55 बजे मुख्य सचिव कार्यालय में प्राप्त हुआ। मुख्य सचिव के निजी सचिव ने इसे हाथों हाथ मुख्य सचिव को उपलब्ध कराया। मुख्य सचिव योजना भवन में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में प्रतिभाग करने जा रहे थे। उन्होंने फ़ैक्स देखा और हड़बड़ी में सफेद वाला फोन उठा कर अपने दूसरे पी0 ए0 को आदेश दिया कि समस्त स्टॉफ को कह दें कि अभी कोई घर नहीं जायेगा। फोन रख कर सामने खड़े निजी सचिव पांडेय जी को कहा - “ पांडेय , योजना आयोग वाली बैठक स्थगित हो गयी है , सारे अधिकारियों को सूचित कर दो।” इसके बाद उन्होंने लाल फोन उठाया और प्रमुख सचिव ,विज्ञान से बात कराने के निर्देश दिये। उधर से आवाज़ आयी - सर ,प्रमुख सचिव ,विज्ञान लाईन पर हैं सर। मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव से कहा - शर्मा , एक फ़ैक्स संदेश लेकर मेरा निजी सचिव तुम्हारे पास जा रहा है। बस पाँच मिनट में पहुँच जायेगा। तुम रुके रहना। अपने पूरे स्टॉफ एवं सेक्शन को भी रोके रखना ।यह काम आज ही होना है।’ शर्मा जी ने ‘ राइट सर ‘ कहा और अपने स्टॉफ को आदेश देने लगे। फोन कटने के बाद मुख्य सचिव अपने चश्में को रगड़ रगड़ कर पोछा और फ़ैक्स को शीशे पर फैला कर पढ़ने लगे। जैसे जैसे फ़ैक्स पढ़ते जाते थे उनके माथे पर चिन्ता की रेखायें गाढ़ी होती जा रही थीं।फ़ैक्स को कई बार पढ़ने के बाद उन्होंने उस पर एक लाल स्लिप लगा दी और आज / तत्काल लिख दिया।
इसके बाद वे सामने खड़े पाण्डेय की ओर मुखातिब हुए और कहा - “ देखो ,पाण्डेय ,तुम खुद इस फ़ैक्स को लेकर जाओ।बहुत गोपनीय मेसेज है।” पाण्डेय ने कहा - “जी ,बहुत अच्छा।” और वो चलने को हुआ तभी मुख्य सचिव ने कहा -” अरे ,पाण्डेय ,इसकी पावती लेना न भूलना और हाँ ,रिसीट लाकर मुझे दिखा भी देना।” ‘ जी , सर।’पाण्डेय ने कहा और आगे बढ़ कर दरवाजा खोलने लगा।तभी पीछे से आवाज़ आयी - “ वहाँ कितनी देर में पहुँच जाओगे ?”पाण्डेय दरवाज़ा छोड़ कर पीछे घूमा -” सर, दस मिनट तो लग ही जायेंगे।” “ आप लोग तो किसी चीज को सीरियसली नहीं लेते हो।पाँच मिनट में पहुँचो।मैं पाँच मिनट बाद शर्मा को फोन करता हूँ।यह काम आज ही होना है। इट इज़ वेरी वेरी अर्जेन्ट।” मुख्य सचिव ने कहा।
—- क्रमशः —--.....
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