हरि इच्छा बलवान :: विकुति

 


 

 


मरना तो एक दिन सबको है ! आप सुनना चाहें या ना चाहे मैं उसे सत्य कथा को आपको सुनाऊंगा जरूर, जिसे सुनकर आपका दिल खुश हो । कृपया ध्यान और श्रद्धापूर्वक सुनिएगा ।

बड़े मियां को नींद नहीं आ रही थी । करवट बदलते रात बीत रही थी । उन्होंने कई बार पानी पिया ध्यान की सारी विधियां आजमाली, कोई फायदा नहीं हुआ । परेशान होकर बड़े मियां ब्रह्म मुहूर्त से पहले ही उठ बैठे । बाहर निकल कर उन्होंने आसन किया, ध्यान किया, मिट्टी पर चले, कंकड़ पत्थर पर चले, घास पर चले और चट्टान पर लेटे , पर जी की जलन कम नहीं हुई । सूरज की किरण के साथ उन्होंने पुलिस को बुला लिया जल्दी ही पुलिस आ गई और फरसी लगाकर पुलिस ने अदब से हाजिरी लगाई । हुजूर की लाल आंखें देखकर पुलिस ने समझा हुजूर गुस्से में हैं लेकिन ऐसा था नहीं । हुजूर नींद से भरे थे बोले “एक आदमी है उसका नाम स्टैंड स्वामी है।   स्टैंड भी और स्वामी भी ! कैसा आदमी है ? 

पुलिस में अर्ज किया “हुजूर बजा फरमाते हैं ।स्टैंड भी और स्वामी भी निहायत मक्कार और शातिर आदमी है हुजूर । हम तो कहते हैं वह देशद्रोही भी है । लोगों को भड़काता है “

फिर ? 

“फिर क्या हुजूर आज ही बंद कर देते हैं । “ 

बड़े मियां के मुख पर हल्की सी मुस्कुराहट फैल गई और उन्होंने कहा “ऐसे ही नहीं मेरे देश की पुलिस नायाब समझी जाती है ।”

पुलिस खुश हुई । चिपकती हुए बड़े अदब से पूछा “हुजूर अदालत तो सबूत मांगेगी, तो क्या करें ? सबूत खोजें या बना लें ?

हुजूर थोड़ा सख्त स्वर में बोले “दोनों में कौन अच्छा होता है?

कमर से थोड़ा और झुक कर पुलिस ने अर्ज किया “जहाँपनाह ! खोजने में बड़ा वक्त और मेहनत लगती है। इस पर भी कई बार सबूत मिल नहीं पता है । हाँ बनाना तो अपने हाथ की बात है और इंस्पेक्टर गिरधारी लाल तो  इसके माहिर हैं । कौन सा तरीका लगायें ।”

“अब मैं ही यह भी बताऊंगा “ हुजूर ने डांटते हुए कहा । पुलिस समझ गई और जय हिंद बोलकर बाहर निकल गई ।यहां तक तो सब ठीक रहा । पुलिस ने स्वामी को अंदर कर दिया , 83 वर्षीय स्टैंड स्वामी को देखने पूरा जेल उमड़ पड़ा ।कैदी देखने पहुंचे थे कि कौन वह बुड्ढा है, जिसने इस उम्र में बाहुबली की सरकार के खिलाफ जंग छेड़ रखी है । उन्हें बड़ी निराशा हुई लेकिन कुछ घुटे हुए कैदियों ने ‘कहा तुम लोग क्या पहचानोगे असली साथी बाहर से कभी पहचाने नहीं जाते । उनको तो पुलिस ही पहचान सकती है ।

यहां तक तो सब ठीक रहा पुलिस में स्वामी को अंदर कर दिया लेकिन एक छोटी सी मुश्किल आन खड़ी हो गई । पुलिस हजूर के सामने डरते-डरते हाजिर हुई और अर्ज किया “गरीब परवर स्वामी तो अंदर ही है लेकिन उसकी आम शोहरत बड़ी अच्छी है । लोग कशमशा रहे हैं । हुजूर हम नासमझो को रास्ता दिखाएं । “

यह सुनकर पहले तो बड़े मियां की पेशानी पर बल पड़े लेकिन तुरंत ही उन्होंने ठहाका लगाते हुए कहा “अरे ! नासमझो आम शोहरत के अलावा एक खास शोहरत भी होती है । यह कैसे बनती है इसका कुछ इल्म है तुमको ? ?

पुलिस ने सर हिलाया नहीं।  

पिछले 70 वर्षों से जिनकी शागिर्दी कर रहे हो उन्होंने तुम्हें क्या सिखाया है ? अरे नालायको खास शोहरत मीडिया से बनती है।  सोशल मीडिया से बनती है और मेरे भक्तों से बनती है । तो इसका टेंशन मत लो । वह मैं देख लूंगा 72 घंटे में देश स्टैंड  को महान देश द्रोही मानने लगेगा । तुमने बता दिया अच्छा किया । उदाहरण देकर समझाता हूं । अच्छा बताओ जवाहरलाल कैसा आदमी था ? “

एक पुलिस - “हुजूर निहायत बेकार आदमी “ 

दूसरा पुलिस “हुजूर निहायत थी अय्याश रईस था “

तीसरा पुलिस  मैं तो कहता हूं हुजूर निहायत धूर्त आदमी था । मुसलमान होकर हिंदू बनकर धोखा दे रहा था ।जब दादा मुस्लिम था वह हिंदू कहां से हुआ ? उसने तो देश को बर्बादी कर दिया । वह तो भगवान की कृपा है कि हुजूर आ गए और देश की संपत्तियों को सुरक्षित कर दिया । नहीं तो बेच ही डाला होता ।”

अब तुम समझ गए यही उसकी खास शोहरत है । जो मैंने और मेरे प्रिय पार्टी ने बनायी है उसकी आम शोहरत अब कौन जानता है । तुम्हारे अब्बा जान को जरूर पता रही होगी ।

“हुजूर अब्बा जान तो कोरोना में गुजर गए । अल्लाह ने बड़ी उम्दा रवानगी अता की, न दवा, न ओक्सीजन , न अस्पताल की झंझट मिनटो में सांस थम गई । अरे जिंदा ही होते तो उनकी बात कौन सुनता ? खब्ती समझे जाते । “

अच्छा अब छोड़ो इस बात को जाओ अपने अगले कम पर लगो “

स्टैंड स्वामी जेल में आ गए ।पुराना शरीर अपना रंग दिखने लगा ।शरीर में कंपन तो पहले भी होती थी , अब और बढ़ गई। हिलते हुए विद्रोही को देखकर कैदी हंसते थे । भक्ति वहां भी थे । एक ने कहा “हिलते हुए हाथ पर मत जाओ एकदम सटीक बम फेंकता है ।

एक दिन जेलर के दौरे के समय स्वामी ने निवेदन किया “हाथ और गर्दन बहुत हिलते हैं चाय , पानी पीना बहुत मुश्किल होता है एक सिपर दिला दिया जाए तो बड़ी मेहरबानी होगी । “

जेलर हंसते हुए बोला “मेहरबानी तो आपकी होगी मिस्टर स्टैंड जेल को उड़ा मत दीजिएगा । हम लोग बाल बच्चे वाले लोग हैं । स्वामी की समस्या बढ़ती ही जा रही थी अतः वे एक दिन जेलर के दफ्तर में हाजिर हुए । जेलर ने उनको आदर से बैठाया। और उनकी परेशानी सुनी। काफी शोर सोच विचार कर बोला  मैं आपकी परेशानी समझता हूँ , पर मेरी मजबूरी भी समझिए अगर मैं आपको सिपर दिलवा दूं तो आप उससे बम बना ले तो मेरी तो नौकरी गई ।आखिर बाल बच्चों वाला आदमी हूँ मेरा क्या होगा ?”

 आगे क्या कहें स्वामी की समझ में नहीं आया ।वह लौट आए । अभी तक की कहानी सुनकर आपको लग रहा होगा कि आखिर इस कहानी में कुछ खास तो दिख नहीं रहा । मैं इतना प्रसन्न और गौरवान्वित क्यों हूँ ? तो पाठको अब वह स्थल आ  गया है जहां हमारा तिरंगा आसमान में लहरा रहा है और विश्व दांत में उंगली दबाए देख रहा है । गौर फरमाइएगा ! स्टैंड के वकील ने न्यायालय में एक आवेदन दाखिल कर दिया , जिसमें स्टैंड की ओर से एक नग सिपर की मांग की गई थी । जज साहब ने इसे देखा तो बड़े अचंभित हुए । यह पहला ही मौका था, जब किसी फरियादी में सिपर नामक उपकरण की मांग की थी ।वह चाहते तो इसे तुरंत खारिज कर सकते थे लेकिन यश एषणा में उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया । हालांकि बाद में संवेदनशील सरकार ने उनका नाम दो कारणों से गुप्त कर दिया ।

पहला कारण यह कि अगर उन्होंने प्रार्थना स्वीकार कर ली तो देशभक्त बहुत कुपित होंगे और तोड़फोड़ धरना प्रदर्शन कर सकते हैं और अगर उन्होंने अस्वीकार कर दिया तो देशद्रोही और गद्दार बहुत-बहुत भुनभुनायेंगे और ऑनलाइन समाचार पत्रिकाओं में बहुत कुछ लिखेंगे पढ़ेंगे और आपस में बहुत विचार विमर्श करेंगे । जज साहब ने सुनवाई की तारीख दे दी । सुनवाई लगभग इस प्रकार हुई -

जज साहब आवेदन लेकर बैठे दोनों पक्षों के वकील सामने थे । सर्वप्रथम अपराधी के वकील ने विस्तार से सिपर की आवश्यकता सिद्ध की , फिर अभियोजन के वकील ने कहना शुरू किया मी लॉर्ड कवि ने कहा है ‘रहिमन पानी रखिए बिन पानी सब सुन ‘ बचाव के वकील साहब उठ खड़े हुए और कहा मी लॉर्ड मैं सिपर की बात कर रहा हूं और विद्वान अधिवक्ता महोदय पानी की बात कर रहे हैं यह कहां तक जायज है ।

जज साहब की कुछ कहने के पहले अभियोजन के वकील साहब बोल पड़े हुजूर हुजूर “मैं उसी पर आ रहा हूं मेरे फाजिल दोस्त उठावले क्यों हो रहे हैं? पानी ही नहीं रहेगा तो सिपर से क्या पिया जाएगा ? हुजूर विद्वानों को कहना है अब अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो पानी के लिए होगा । हुजूर कवि ने कहा था यह लघु सरिता का बहता जल कितना निर्मल कितना शीतल लेकिन अब लघु सरिताएं  सूख गई हैं और बृहद सरिताएं कितना भी फूल, अक्षत , चंदन , रोली चढ़ाने  पर भी स्वच्छ होने को तैयार नहीं हो रही है । नमामि गंगे का रिकॉर्ड बजाते-बजाते यशस्वी प्रधानमंत्री जी का गला बैठ गया है, लेकिन गंगा माता इतनी कुपित है कि सुन ही नहीं रही है । क्या किया जाए ?

“हुजूर यह क्या हो रहा है ? मेरे विद्वान दोस्त कहां की बातें कर रहे हैं ?“बचाव पक्ष के वकील ने ऑब्जेक्शन किया ।

जज साहब बोले “वकील साहब हर चीज की एक पृष्ठभूमि होती है । अभियोजन के वकील साहब उसी की विस्तार से चर्चा कर रहे हैं । जिससे मुद्दे को समझने में सहूलियत हो ।

लेकिन हुजूर मेरी पृष्ठभूमि बहुत छोटी है। मेरे मुवक्किल के हाथ कांपते हैं इसलिए उसे चाय, पानी आदि पीने के लिए एक अदद सिपर की दरकार है”

 हंसते हुए जज साहब ने कहा “वकील साहब आपकी पृष्ठभूमि इतनी भी छोटी नहीं है । मैंने सुना है ,आपके मरहूम दादा जान ने सुल्ताना डाकू का मुकदमा लड़ा था और आप भी तो कुछ कम नहीं है । अभियोजन के वकील साहब जारी रखें ।” 

हुजूर मैं वही अर्ज कर रहा था । कहा गया है कि ‘बिन पानी सब सून ‘ पानी के बिना तो जीवन ही नहीं है। शरीर का सत्तर  प्रतिशत भाग तो जल ही है । खैर यह एक बात हुई । दूसरी बात यह है कि बचपन के बाद जवान और जवानी के बाद बुढ़ापा आ ही जाता है । बुढ़ापे में मनुष्य को तरह-तरह की बीमारियां घेरती हैं , जैसे दिल की बीमारी, दमा की बीमारी, डायबिटीज ब्लड प्रेशर आदि । इन सब बीमारियों की अलग-अलग दवाइयां है । जो ले सकते हैं लेते हैं । जो नहीं ले सकते मर जाते हैं हुजूर । हुजूरे आली मैंने जीवन में बहुत दवाए खरीदी हैं, खाई हैं और खिलाई हैं लेकिन सिपर नाम की दवाई का नाम तो सुना ही नहीं है । मेरे फाजिल दोस्त यह क्या मांग रहे हैं ?


 

बचाव पक्ष के वकील उठ खड़े हुए हुजूर यह सिपर पर कोई दवा नहीं है । दवा तो डॉक्टर बताएगा ।यह तो एक ऐसा छोटा सा उपकरण है, जिससे मरीज पानी पी सकता है । बस उसी की मांग की जा रही है ।

हुजुर मैं भी वही कह रहा हूं , यह बहस पानी पर हो रही है या दवाई पर हो रही है या बर्तन पर हो रही है । मेरे विद्वान दोस्त को यही स्पष्ट नहीं है इसलिए मैं चाहता हूं कि पहले बहस का मूल बिंदु तय कर लिया जाए फिर उसपर पॉइंटेड बहस हो ।

अचानक जज साहब जैसे नींद से जागे और बोले “दोनों विद्वान अधिवक्ताओं से यह जानना चाहूंगा कि क्या जेल मैन्युअल में कहीं सिपर का उल्लेख है ? पहले तो न्याय की दृष्टि से यही जान लेना आवश्यक होगा ।

दोनों वकील साहबान एक दूसरे का मुंह देखने लगे । जज साहब ने आर्डर लिखवाया । जेल के जिम्मेदार अधिकारियों से अपेक्षा होगी कि वह सावधानी से अवलोकन कर बताएं कि क्या वास्तव में बंदी के हाथ मिलते हैं ? और अगर हिलते हैं तो कितना हिलते हैं ? और अगर हिलते हैं तो क्या इतना हिलते हैं कि उसे वास्तव में सिपर की जरूरत है तथा क्या सिपर कैदी सिपर उपलब्ध कराए जाने का प्रवधान जेल मैन्युअल में है ? इस आशय की रिपोर्ट एक महीने में कोर्ट के अंदर दाखिल की जाए फिर मैं सुनवाई की तारीख तय करूंगा ।” 

बचाव पक्ष के वकील ने कुछ कहना चाहा ।जज ने कहा “बस वकील साहब अब तो चिड़िया चुग गई खेत ।

इस आर्डर को सुनकर मेरे हृदय में आनंद का सागर उमड़ आया , विश्व में न्याय की दृष्टि से न ऐसा आर्डर कभी हुआ था ना आगे होने की उम्मीद है । मैंने आकाश में देखा बड़े-बड़े अक्षरों में ‘सत्यमेव जयते’ लिख उठा था । शीतल,मंद , सुगंध पवन बह उठी थी । आकाश स्वच्छ हो गया था । साजिंदों ने अपने साज संभल लिए थे और नर्तकियों की पायल खनक उठी थी तथा आकाश से पुष्प वर्षा आरंभ हो गई थी । मेरा मन मत्त होकर सातवें स्थान आसमान पर चढ़ गया था । शरीर की हालत यह थी कि 56 इंच का मेरा सीन 112 इंच का हो गया था ।देखते ही देखते भारत विश्व गुरु बन बैठा था । मैंने राहत की सांस ली । मेरे दिल में बहुत बड़ी आशंका थी कि क्या हम हमारी अदालते अमृत काल में तेजी से विश्व गुरु पद की ओर बढ़ते देश के ताल से ताल मिला पाएंगी? लेकिन ईश्वर की असीम अनुकंपा से मेरी आशंका निर्मूल साबित हुई । हमारी अदालत ने आशा से अधिक आगे बढ़कर इस देश का मान बढ़ाया । थैंक यू बड़े मियां !


 

 आगे की कथा संक्षेप में यह है है कि अगली तारीख पर क्या हुआ मुझे पता करने की सुधि नहीं रही । लेकिन थोड़े दिन बाद ही पता चला की बीमारी की हालत में स्टैंड स्वामी चल बसे । खैर,यह दुनिया की रीत है सबको ही एक दिन जाना है । हरि  इच्छा बलवान कोई क्या कर सकता है ?

( सत्यमेव जयते )

Comments

Popular posts from this blog

आपदा गई, बिपदा आई ? :: विकुति

भूत की लँगोटी :: विकुति

मस्तिष्क में क्वांटम! चीन के वैज्ञानिकों ये क्या कर रहे हो ? ViKuTi