संत ना छोड़े संतई :: विकुति

 


 भारतीय राजनीति में भक्ति के बीच तो पहले से ही थे, लेकिन भक्ति मार्ग की परंपरा ने वर्ष 2014 से जोर पकड़ा I इस अमृत धारा में अनेक संत हुए और हैं I यह अकिंचन इन्हीं दिव्य संतों के चरित्र का उद्घाटन कर अपने को धन्य भाग मानता हैI अभी इस संक्षिप्त आलेख में यह अज्ञानी दिल्ली चुनाव 2024 के बहाने से इस क्षेत्र के तीन पावन संतों के यश को गाकर अपना जीवन सफल करने का प्रयास कर रहा हैI  इस काल और क्षेत्र में अनेक संत हुए, किंतु मेरे जैसा अल्पज्ञ केवल तीन संतों के त्याग और तपस्या की चर्चा कर पाए तो पर्याप्त होगा, क्योंकि संतों की महिमा तो अपार है , शुकदेव जी और काग भूसुंडी जी भी इनके महात्म्य की का वर्णन नहीं कर पाए तो यह एक तुच्छ संसारी प्राणी क्या पर कर पाएगा I फिर भी इस तुच्छ प्रयास की त्रुटियो को विद्वत जन क्षमा करेंगे I

1- श्री श्री 1008 श्री नागी जी भगवान ! इस परम संत की महिमा का क्या बखान किया जाए?  भाषा साथ नहीं दे पा रही है और लेखनी असमर्थ हो गई हैI  मां सरस्वती सहाय हो I  क्षेत्र के व्यापार निरीक्षक ने क्षेत्र की दुकानों की जितनी चेकिंग नहीं की होगी महाराज ने उससे कई गुना अधिक चेकिंग की हैI विशेष कर मंगलवार और शनिवार को घूम-घूम कर यह सुनिश्चित करते थे कि कत्तई किसी सनातनी के घर कोई अखाद्द्य भोजन सामग्री न पहुंच जाए। यह पूरा ध्यान रखते हैं कि प्रत्येक दुकानदार की कुंडली प्रत्यक्ष प्रदर्शित हो ताकि उसके जाति धर्म के बारे में कोई शंका ना होI  यद्यपि वे चाहते तो यही थे कि दिल्ली जैसे पवित्र नगर में विधर्मिओं की दुकान ही क्यों हो ?  इनको तो नहीं होना चाहिए I वह नगर जहां जमुना की पवित्र धारा कल-कल कर बहती हो, जहां जल की पवित्रता बनाए रखने की दृष्टि से धारा को जीव जंतु विहीन बनाए रखा गया हो, जहां धारा निर्मल फेन से आच्छादित रहती होI मनुष्य भी पवित्रता की दृष्टि से धारा में पग भी ना रख सकता होI  ऐसे नगर को अभक्ष्य भोजन से रहित करने का महाराज जी का प्रण अभी तक पूर्णता सफल तो नहीं हो पाया है ,लेकिन आज जब दिल्ली की धर्म परायण जनता ने महाराज को अपना प्रतिनिधि बना दिया है तो निश्चित ही यह शहर काशी ,मथुरा, बद्री- केदार के समान ही तीर्थ बनाकर निकलेगा I आपका अर्थात दिल्ली वासियों का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार I

2- श्री श्री 1009 श्री दंडी स्वामी अघप्रवेश जी महाराज! इस महान संत को महामंडलेश्वर का दर्जा भी प्राप्त हैI कुछ समय के लिए भगवान ने उनके प्रति भी किंचित क्रोध का प्रदर्शन किया था और इनका भी टिकट काट दिया था I किंतु संत तो दुख-सुख में समान ही रहता हैI  इन्होने  बुरे समय को भी प्रभु का आशीर्वाद माना और भक्ति में लीन रहेI  यह घर पर बैठे नहीं और एक-एक नुक्कड़ चौराहे पर लोगों को इकट्ठा कर उनको प्रेम,सद्भाव एवं भाईचारा का उपदेश देते रहे I इनके एक ऐतिहासिक प्रवचन की एक ऐतिहासिक वीडियो यूट्यूब प्रेमियों ने जरूर देखी होगीI  जिसमें यह लोगों को सच्चाई की राह पर चलने का उपदेश दे रहे हैं तथा बुराइयों का बहिष्कार करने आदि का भी आवाहन कर रहे हैंI  

जरूर भगवान ने भी इस वीडियो को देखा होगा और उनके ज्ञान एवं तपस्या से प्रभावित हुए होंगेI  सनातन पर उनकी निष्ठा को देखते हुए भगवान अवश्य ही द्रवित हुए होंगे और इनका टिकट बहाल कर दिया गया होगा I यह भी इस चुनाव में विजई हुए हैं ,और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार भी हैं I यह महाराज अन्य संतों से ज्ञान तपस्या एवं भक्ति में किसी भी प्रकार कम  नहीं हैI

3- श्री श्री 1010 श्री कपीश महाराज ! यह महाराज जी श्वेताम्बर नागा हैंI  यह पहले उन्हीं के अखाड़े में थे जिनको इन्होंने इस चुनाव में हराया हैI  वहां उनकी ज्ञान और भक्ति व्यर्थ जा रही था क्योंकि वहां के अधीश्वर इनसे प्रसन्न नहीं नहीं हो पा रहे थे। तमाम प्रयास और तपस्या के सफल न होने के कारण इनको लगा कि यह जीवन तो व्यर्थ ही चला जा रहा हैI  अतः इन्होंने अखाड़ा बदल लिया I इसमें कोई विशेष कठिनाई भी नहीं हैI  तिलक बदलने भर से सब कुछ हो जाता है। किंतु अखाड़ा बदलने से भी समस्या हल नहीं हुई I पूर्व में अज्ञान या मायावश महाराज जी ने इस भगवान को अत्यंत निदित किया थाI इस इशनिंदा का पाप धोते-धोते इन्हें बहुत समय लगा I इन्होंने कुछ दैवयोग से देशद्रोही एवं इशद्रोही महिलाओं से जोरदार टक्कर ली और उन्हें तत समय पराजित कर दिया I  जिस भगवान अत्यंत प्रसन्न हुए और इन्हें उपकृत करने का अवसर ढूंढने लगे I वह अवसर आया और 2025 में इन्हें टिकट दे दिया गया दिल्ली की जनता को इसी टाक में थी I उसने इन्हें विजय बना दिया I यह  देव भूमि तो सत्यमेव जयते नारे के लिए प्रख्यात है I अब इसलिए अंततः सत्य की विजय हुई I यधपि केवल यही संत नहीं है जिन्हें देश की जनता विजय श्री देती रही हैI यह अनेक बार हुआ है और भविष्य में भी होता रहेगा ,यही आशा है I प्रत्यक्षम किम प्रमाणं ! 

इस देश की जनता तीन चुनाव से एक विष्णु अवतारी महामानव को जितातीआ रही हैI  इस समय चारों तरफ खुशी और हर्ष का माहौल है I मैं कोई अप्रिय बात तो नहीं करना चाहता लेकिन हाँ दिल में एक कांटा है I अगर इसे नहीं निकाला तो यह शूल की तरह चुभता होता ही रहेगा I अतः मैं पुनः हाथ जोड़कर दिल्ली वासियों से यह प्रश्न जरूर पूछना चाहूँगा कि हे ! दिल्ली के धर्मप्राण निवासिओं आपने उपरोक्त सभी संतो को विजय श्री दिलाई किन्तु हमारे परम पूज्य गिधुड़ी जी  महाराज का क्या दोष था ? कि उन्हें आपने हार का मुंह दिखाया यह समझ नहीं आताI  क्या आप संसद का वह दृश्य भूल गए हैं ,जब महाराज ने सनातन की रक्षा में वह गर्जना की थीI भाषा का वह चमत्कारिक अलंकार जिसे सुनकर विरोधी दुम दबाकर भाग गया था I सचमुच उस दिन सनातन का ध्वज सर्वोच्च शिखर पर लहर उठा था और लोक में महाराज के वाक् कौशल एवं ज्ञान तपस्या की व्यापक चर्चा हुई थी I

सनातनी होते हुए आप इतने कृतघ्न कैसे हो सकते हैं ? फिर भी महाराज तो संत होने के कारण आपके इस अपराध को क्षमा कर देंगे किन्तु आपका ह्रदय अपराध बोध से जीवन भर संतप्त रहेगा I

ॐ हरि !!

Comments

  1. आपकी लेखनी और विचारों की गहराई सचमुच प्रशंसनीय है! 🙏
    ॐ हरि!

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