भए प्रकट कृपाला : विकुति
भगवान ने करवट बदली । एक रोम टूटकर धरती पर गिर गया। भगवान को खबर भी नहीं हुई, एक विरूप अवतार के रूप में खड़ा हो गया । हाथ जोड़कर बोला “ आज्ञा प्रभु !” “तू तो मेरी इच्छा ना होते हुए भी उत्पन्न हो गया है तुझे क्या कहूँ? तू मेरा लघुतम रूप है इसलिए तेरा वध भी उचित नहीं है और अभी मृत्युलोक में कोई बड़ी समस्या भी नहीं है । तो मै तेरे इस सगुण रूप का क्या करूँ ? बैकुण्ठ में इस रूप का कोई उपयोग भी नहीं है। “ विरूप अवतार ने विनयपूर्वक कहा कि “ हे सर्वशक्तिमान ! यह सत्य है कि आपके पूर्ण अवतार के लायक कोई विकट समस्या इस समय धरती पर नहीं है लेकिन आपके इस दासा नुदास के लायक कई समस्याएं विद्यमान हैं । धरती पर बंधुत्व , सहिष्णुता आदि तीव्र गति से विकसित हो रहे हैं । अतः लिंचिंग , दंगों आदि में उत्तरोत्तर कमी आ रही है । एक समूह तीव्र गति से अपनी संख्या बढ़ाकर पृथ्वी पर अधिकार करना चाहता है। अतएव हिंदू खतरे में आ गया है। “ भगवान अचंभित होते हुए बोले “ हे ! वत्स ये हिंदू कौन है ? तथा लिंचिंग और दंगे क्या...