लीला -ए- मोबाइल( प्रथम अंक) ::विकुति

 

लीला -ए- मोबाइल( प्रथम अंक)

 

( एकवचन ,द्विवचन , बहुवचन)  

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बहुवचन--------

वह तीनों जिगरी दोस्त थे। जाब से छूटने पर ,एक चाय की दुकान पर इकट्ठा होते थे गप -शप

करते थे और चाय पीकर घर चले जाते थे। एक दिन की, आंखों देखी दास्तान ,इस प्रकार है:--

तीनों नियत समय पर अड्डे पर पहुंच गए। दो मोबाइल पर बात करते-करते  आए, और धप -धप कुर्सियों पर बैठ गए। तीसरा मोबाइल पर कोई नंबर लगाते हुए आया और बैठ गया। 10 मिनट तक बात करने के बाद नंबर दो की बात खत्म हुई, और उसने चाय का ऑर्डर दे दिया । नंबर 3 ने मोबाइल पर झुके झुके कहा “यहां सिग्नल बहुत पुअर होता है ,मिल ही नहीं रहा है” तब तक नंबर दो कि मोबाइल पर घंटी बजने लगी उसने झपटकर मोबाइल उठाया और बात करने लगा। नंबर एक की बात अभी जारी थी। अचानक नंबर 3 का नंबर लग गया, और वह उत्तेजित स्वर में बात करने लगा। तभी नंबर एक की कॉल खत्म हो गई, उसने मोबाइल को सहलाते हुए चारों ओर देखा और पूछा “चाय का आर्डर हो गया क्या? किसी ने जवाब नहीं दिया। उसने चाय का आर्डर दोहरा दिया ,इसी बीच उसका मोबाइल प्रकाशित हुआ और कोई छोटी धुन भी, बजी उसने फुर्ती से मोबाइल उठाया और पढ़ने लगा ,कोई मजेदार बात थी ,अचानक हंसने लगा किंतु पढता रहा । नंबर एक की बात उसके कई बार बाय -बाय करने के बाद खत्म हो गई। उसने भी चारों ओर देखा। एक लड़का चाय लिए उसकी ओर आ रहा था ,देख कर संतुष्ट होकर वह मोबाइल से खेलने लगा। लड़के ने चाय रखी और पूछा “साहब कुछ और? तीनों को व्यस्त देखकर उसने जवाब का इंतजार नहीं किया, और चुपचाप चला गया। चाय आने का किसी को पता नहीं चला। नंबर एक फेसबुक खंघालने में लगा था। एक बड़ा मनोरंजक संदेश मिल गया था उसने सर उठा कर कहा “अरे यह देखो” नंबर दो ने आंखें तरेरते  हुए” कहा चुप कर यार ,मैं देख चुका हूं ,टीम लीडर से बात हो रही है “यह कहकर वह फिर बात करने लगा।

नंबर तीन ने सुना ही नहीं था उसकी बात जारी रही। 2 मिनट के बाद नंबर दो की बात खत्म हो गई ,उसने नजर उठाकर फिर चारों तरफ देखा। भेज पर रखी चाय देखकर उसने कप अपनी ओर खींचा ,चाय उठाने के पहले ही उसे कुछ याद आ गया और वह कोई नंबर मिलाने लगा। इसी बीच नंबर, तीन खाली हो गया और चारों ओर देखकर कप उठा लिया। पहला घूंट लेते-लेते उसका मोबाइल बज उठा ,घूट निगल कर उसने मोबाइल उठा लिया। स्क्रीन पर देखकर यह लगा कि यह कोई कंपनी के प्रचार वाला नंबर है, इसलिए उसने इसे काट दिया और कप उठा लिया, किंतु दूसरा घूट लेते-लेते उसका मोबाइल फिर बजने लगा, इस बार उसने ध्यान से नंबर देखकर मोबाइल उठा लिया।

नंबर एक फेसबुक स्क्रोल कर रहा था। नंबर 3 ने मोबाइल पर झुके- झुके उसे कोहनी मार कर कहा, “चाय तो पी यार” इस पर उसने ध्यान नहीं दिया।

नंबर दो ने अप्रत्याशित रूप से मोबाइल मेज पर रखा और चाय पीने लगा  ,चाय पीते -पीते बोला “यह लाला भी एक नंबर का मक्खी -चूस है   ,अगर यहां फ्री वाई-फाई कर देता तो इसकी दुकान चल निकलती ‘।’उसकी यह बात बगल की मेज पर बैठे एक नौजवान ने सुनी ,जो मोबाइल पर कोई गेम या ऐसा ही कुछ कर रहा था ,ने कहा” क्या बात कही ब्रदर लेकिन इन लोगों को इतनी अकल होती तो यह आज यही होते” यह कह कर वह अपना मोबाइल लेकर गया और उसे काउंटर के पास चार्ज में लगा आया ।

इसी समय कहीं से एक कुत्ता आकर दोस्तों की टेबल के नीचे आकर घुस गया। दुकान का नौकर आया, और उसने कुत्ते को डंडा मार कर भगा दिया । इस भगदड़ से मित्रों की तंद्रा टूटी और उन्होंने मोबाइल कान में लगाए -लगाए ही दीवार घड़ी देखी 730 बज चुके थे ,तीनों एक साथ उठ खड़े हुए ,अपने-अपने पैंट की जेब से चाबियां निकाल कर, घूमाते हुए काउंटर पर पैसे देकर,बाहर निकल गए ।

 

( द्विवचन और एक वचन आगामी किस्तों में क्रमशः)

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