मेवा लाल का सीरियल :: विकुति
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मेवा लाल मूलतः हलवाई हैं।उनकी मिठाइयां, खस्ते और कचौरियां शहर भर में प्रसिद्ध हैं । दूर दूर से भी जो लोग शहर में आते हैं मेवालाल के खस्ते कचौड़ियां जरूर खाते हैं
और घर भी ले जाते हैं। मेवा लाल के पिताजी भी हलवाई थे , वह जमीन पर बैठकर खस्ते कचौड़ियां तलते थे तब भी यह दुकान बहुत चलती थी। मेवा लाल जब बड़े हुए तो उनको दुकान कि हालत ठीक नहीं लगती थी। मेवालाल शहर के मशहूर अंग्रेजी स्कूल में कई जमात पढे थे ,वे आज की दुनिया के रंग ढंग जानते थे, इसलिए वे अपने पिताजी से अक्सर कहा करते थे “बापू दुकान से अच्छी आमदनी हो रही है, पैसे रुपए की कोई कमी नहीं है, क्यों न दुकान की थोड़ी साज सज्जा बदल दी जाए ,थोड़ा अच्छा रंग रोगन हो जाए ,फर्श पर टाइल्स या पत्थर लगवा दिया जाए ,शीशे की खिड़की दरवाजे हो जाएं लोगों के बैठने के लिए हाल में पंखे, एसी ,लगवा दिया जाए” । उनके इस विचार से उनके पिताजी कभी सहमत नहीं हुए। उनका कहना था” बेटा जमाना बहुत खराब है ,आज के दिन तो अपनी भी रोटी खानी है ,तो छुपा के खानी है ,दुकान जैसी भी है बहुत ठीक है ,इसी में बरकत है ,फालतू पैसे खर्चने से कोई फायदा नहीं है।” पिता की बात सुनकर मेवा लाल मन , मसोस कर रह जाते थे। दिन बीते और इसी बीच उनका विवाह हुआ और जल्दी ही एक पुत्र रत्न की भी प्राप्ति हुई। पोते के होने से मेवालाल के पिताजी अत्यंत प्रसन्न हुए। दिन बीतने के साथ मेवा लाल के पिताजी का स्वास्थ्य कमजोर होने लगा और उन्होंने दुकान की देखभाल का पूरा जिम्मा मेवा लाल को दे दिया। मेवा लाल अब खुद जमीन पर बैठकर कचौड़ियां नहीं तलते थे बल्कि उन्होंने इसके लिए एक कारीगर रख लिया ,किंतु , दुकान का इससे अधिक विकास वह नहीं कर पाए ,क्योंकि रूपए पैसे अभी भी पिताजी के ही हाथ में थे। मेवा लाल दुकान का तो कुछ नहीं कर पाए लेकिन पिता के विरोध के बाद भी उन्होंने अपना रहन-सहन काफी बदल दिया। घर की जरूरत की सभी आधुनिक चीजें हो हल्ले के बाद भी धीरे-धीरे घर में आ गई। फिर एक दिन जैसा की सृष्टि का नियम है मेवालाल के पिताजी स्वर्ग सिधार गए । रोना धोना हुआ क्रिया कर्म हुआ और क्रिया के अगले दिन ही मेवालाल ने दुकान में काम लगा दिया। 6 महीने के अंदर ही मेवा लाल की दुकान का गेट- अप एकदम बदल गया। वह एक स्टार धारिणी दुकान बन गई। दुकान अभी भी वैसे ही चल रही थी, किंतु उसके ग्राहक बदल गए थे। पहले के फुटपाथ पर खड़े होकर खस्ता खाने वाले ग्राहक अब शीशे वाली दुकान में घुसने की हिम्मत ही नहीं कर पाते थे। इसके अतिरिक्त सामानों का दाम भी बढ़ा दिया गया था। अब दुकान में ज्यादातर कार वाले ,परिवार सहित आते थे और हजारों का सौदा कर, चलते बनते थे। मेवालाल एक शीशे के केबिन में बैठते थे और , पचासों सेल्समैन और बेयरै दुकान में तेजी से आते जाते दिखाई पड़ते थे। दुकान में मेवालाल के पिताजी की एक शीशे में जड़ी हुई एक बड़ी तस्वीर लगी थी, जिस पर एक विशाल माला लटकती रहती थी। तस्वीर के नीचे लिखा हुआ था “परम आदरणीय युग पुरुष ,दानवीर “सेठ शादी लाल जी” नीचे जन्म एवं मृत्यु का संवत लिखा हुआ था।
सेठ जी की के आशीर्वाद से दुकान की दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होती गई, और माता लक्ष्मी की कृपा बढ़ती ही गई। पैसे का यह आवक देखकर मेवा लाल अब दिन रात किसी अन्य व्यापार में भी निवेश करने के बारे में सोचने लगे थे। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह था कि मेवा लाल को अब अपने हलवाई नाम से चिढ होने लगी थी। अब वे चाहते थे की कोई बिजनेस ऐसा हो जिसमें नाम भी हो ,और मुनाफा भी हो । मेवा लाल जिन दिनों इसी उधेड़बुन में लगे हुए थे एक दिन उनके चचेरे भाई हीरालाल उनके घर आए। वैसे तो दोनों भाइयों में ऊपरी प्रेम तो बहुत था ,पर कुछ संपत्तियों के विवाद के कारण दोनों में भीतरी तौर पर कुछ मन- मुटाव भी था । लेकिन खानदानी होने के कारण दोनों भाई एक दूसरे के व्यापार रहस्यो से वाकिफ थे ,किंतु इनको वह कभी भी खानदानी इज्जत को देखते हुए ,कहीं जाहिर नहीं करते थे , तथा दोनों , आपस में व्यापार संबंधी गुर भी साझा करते थे। इस मामले में हीरालाल मेवालाल से कुछ बीस ही पड़ते थे ,अतः मेवालाल ने अपनी दुविधा और समस्या अपने भाई को बताई, तो हीरालाल पहले तो गंभीर रहे ,फिर बोले “भैया देख तू मेरा छोटा भाई है मैं तुमको गलत राय तो दूंगा नहीं ,लेकिन अगर तू विश्वास करें तो मेरी राय तो यह है कि तू टीवी के सीरियल बना । अगर लक्ष्मी जी की कृपा रही तो पैसे की अच्छी आमद रहेगी”। मेवालाल को भाई की यह बात एकदम से जंच गई। मेवालाल को लगा , भाई की यह राय एकदम ठीक है, पैसे का पैसा ,और इज्जत भी ,हलवाई का नाम भी अलग से छूट जाएगा ,उन्होंने तुरंत हामी भर दी । मेवा लाल के सहमत होने पर हीरालाल भी बहुत प्रसन्न हुए ,और उन्होंने कहा “जब तू सीरियल बनाए तो कम से कम अपने भतीजे ,भतीजियों का ध्यान जरूर रखना ,वह सब भी बेटा आर्यन कुमार के जैसे ही नए जमाने के लड़के ,लड़कियां हैं ,जिनकी दुकानदारी में कोई रुचि नहीं है, अगर परिवार में इस तरह का कोई काम होने लगे तो उनका भी इसमें मन लगेगा।” मेवालाल अब तक गदगद हो गए थे, बोले“भैया आप चिंता क्यों करते हैं, मैं तो हमेशा परिवार को लेकर ही चलता हूं ,मैं आप ही के बच्चों की तो क्या ,ताउओं तक के बच्चों को भी साथ लेकर चलूंगा आखिर इससे गुप्ता परिवार का ही तो मान बढ़ेगा”।
भाई के परामर्श से मेवालाल की दुविधा खत्म हो गई थी और वह सीरियल बनाने की जुगत में, जुट गये। उनको सबसे पहले एक कहानी की दरकार थी। उनके ध्यान में आया कि उनकी दुकान में राहुल कुमार नाम का एक नौजवान अक्सर खस्ता कचौड़ी खाने आया करता है, जिसे सब लोग लेखक जी कहते हैं। उनको बताया गया था उस लड़के ने एक उपन्यास लिखा है “संत्रास भरा जीवन “उसको छपवाने और फिल्मों में पटकथा लिखने के लिए संघर्ष कर रहा है, किंतु दोनों में से कोई काम नहीं हो पा रहा है ,यह लेखक कम दाम में उनके काम आ सकता था । संयोग बस अगले ही दिन राहुल कुमार दुकान में पधारे। मेला मेवा लाल ने उनको अपने केबिन में बुला लिया ,और उनके समक्ष सीरियल की, पटकथा लिखने का, प्रस्ताव रखा। अंधे को क्या चाहिए दो आंखें राहुल कुमार ने तुरंत हां कर दी। मेवा लाल ने उनको शर्तें समझायी। देखिए लेखक जी मैं बनिया आदमी हूं, बिना पैसे के किसी को कुछ देता नहीं हूं ,तो बिना पैसे दिए किसी से कुछ लेता भी नहीं हूं, हां दो पैसे कम ज्यादा की बात अलग है ,अगर धंधे में 10 पैसे कमाउंगा तो दो पैसे आपको दूंगा जरूर। नया धंधा है तो फिलहाल यही हो सकता है ,कि आज से आपके लिए खस्ता कचौड़ी मुफ्त ,और अगर आपको अच्छा लगे तो आप यहीं एसी में बैठकर कहानी और पटकथा लिख सकते हैं ,कोने वाली टेबल एकदम एकांत में है ,आप वहीं बैठकर जब तक चाहे लिख सकते हैं । मरता क्या न करता राहुल कुमार के पास कौन सा विकल्प था? उन्होंने फिर हां कर दी।
राहुल कई महीनो तक खस्ता कचौड़ी खाते हुए पटकथा लिखत रहे । राहुल कुमार के हिसाब से जब पटकथा लगभग 50 एपिसोड की हो गई तो उन्होंने मेवा लाल को इसकी सूचना दी ,और कहानी सुनने का आग्रह किया।सेठ ने अगले दिन शाम का समय निर्धारित किया ,और इसके लिए विशेष प्रबंध भी किया। निर्धारित समय पर कार्यक्रम शुरू हुआ ,सेठ जी के साथ उनके एक जहीन मित्र भी थे। व्हिस्की के दो दो पैग लगाने के बाद कहानी का दौर शुरू हुआ। राहुल कुमार ने शुरू किया ,सेठ जी यह एक बिल्कुल नई कहानी है ,और यह सबसे अलग भी है ,लेकिन है पारिवारिक ड्रामा, और इसमें कदम कदम पर रहस्य और रोमांच है।
एक बहुत बड़ा घर है। सेठ ने, कहा” हां हां एक बड़ी हवेली शूटिंग के लिए किराए पर ले लेंगे”। राहुल कुमार ने सिर हिलाया और आगे बोले “ नौकर, चाकर ,रसोईया ,माली और ड्राइवरों को छोड़कर घर में करीब 25 लोग रहते हैं, जिसमें बूढ़े माता-पिता( सेठ सेठानी) के अलावा पांच बेटे पांच बहुएं 11 नाती पोते तथा सेठ जी की दो लड़कियां भी हैं , । जिसमें से एक की शादी हो गई है ,लेकिन वह अपने पति और दो बच्चों के साथ इसी घर में रहती है, क्योंकि उसके सौतेले
जेठ ने छल से पूरी जायदाद पर कब्जा करके इन लोगों को घर से निकाल दिया है। इस प्रकार यह एक बहुत धनाढ्य और सुखी परिवार है ,किसी बात की कोई कमी नहीं है ।
परिवार के सदस्य मुख्य रूप से त्यौहार की तैयारी करते हैं ,त्यौहार मनाते हैं ,शॉपिंग करते हैं ,पार्टी करते हैं ,बर्थडे मनाते हैं ,और एनिवर्सरी मनाते हैं ,और हमेशा सज धज कर बैठे हुए हंसी, -ठीठोली करते रहते हैं।
इसके बाद राहुल कुमार ने जोर देकर कहा” सेठ जी हमें यह ध्यान रखना है कि, प्रत्येक एपिसोड में उस हफ्ते के लेटेस्ट कपड़े ,गहन,जूते आदि दर्शकों को सीरियल शुरू होते ही दिखाई पड़ जांए। यहां तक आने पर सेठ जी के विद्वान मित्र ने अपना गिलास खाली किया, और उत्साह में भरकर बोले “व्हाट ए ग्रैंड बैकग्राउंड “लेखक जी आप वाकई जीनियस है।” यह कहकर वह पुनः, अपना गिलास भरने लगते हैं। राहुल कुमार अपनी कहानी आगे बढा़ते हैं, इस परिवार के लोग अंदरुनी रूप से एक दूसरे के प्रति साजिश करते रहते हैं इसलिए सीरियल रहस्य और रोमांच से भरपूर है। चौथी बहू पांचवी बहू के प्रति साजिश करती रहती है ताकि लोग गुस्से बुरा समझे । एक बार बार जब पांचवी बहू चाय बनती है तो उसमें चौथी बहू नमक मिला देती है। इससे पांचवी बहू की बहुत किरकिरी होती है। साथ साथ यानी सेठानी चाय फेंक देती है और बडबडाते हुए पूजा घर में चली जाती है। वहां गाना शुरू करती है “मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोइ”फीर रोने लगती है, इसी समय उसका पांचवा बेटा आता है ,और उसको गले लगा कर वह भी रोने लगता है। मां रोते-रोत कहती है कितने अरमानों से मैंन तेरी शादी कराई थी आज यह दिन आ गए की चाय में नमक♪♪•••••••• इतना कह कर मां फूट फूट कर रोने लगती है ,और उसका गला रूंध जाता है अब कैमरा चौथी बहू पर जाता है, चौथी बहू अपने कक्ष में फिल्मी गाना गुनगुनाते हुए , गहनों की अलमारी के सामने खड़ी है। फिर वह एक-एक करके गहनों के डिब्बे निकाल निकाल कर खोलकर बेड पर रखने लगती है। पूरा बेड गहनों के डिब्बो से भर जाता है ,अब कैमरा गहनों पर घूमता है एक से एक गहनों से पूरा स्क्रीन भर जाता है। इतना कह कर राहुल कुमार रुक और कहा सेठ जी जब स्क्रीन पर यह दृश्य आएगा तो दर्शकों की क्या प्रतिक्रिया होगी यह आप सोच ही सकते हैं दर्शकों की आंखें चौधिआ जाएगी औरतें आह -आह ओह -ओह करने लगेगी , लड़कियों के मुंह खुले के खुले रह जाएगें। इसी समय कैमरा दरवाजे की ओर ,फोकस होता है इस औरत का पति आ रहा है ,पति के आते ही औरत उससे लिपट कर धाड़ मार -मार कर रोने लगती है, सुबकते
हुए कहती है ,कितने अरमान से मेरे मां-बाप ने मेरी शादी की थी ,आज यह दिन आ गए हैं कि मेरे पास आज शाम की पार्टी में पहनने के लिए एक भी ढंग का गहना नहीं है , अरे मैया रे ‘,........... उसका पति उसको चुप कराता है, थोड़ा संयत होने पर हकला कर कहती है “मेरी बात तो जाने दो आज बवेजा परिवार की इज्जत धूल में मिलकर रहेगी, ऐसे गहने तो हमारे यहां महरी भी नहीं पहनती हैं । पति समझाता है ,”डार्लिंग बस आज भर सब्र करो, मैं कल गहनों की शॉपिंग करा दूंगा, तुम चिंता मत करो “। औरत और जोर-जोर से रोने लगती है, पति बेड से उठता है और अपनी अलमारी खोलकर चेक बुक निकलता है और 10 लाख का एक चेक दस्तखत करके अपनी पत्नी को पकड़ा देता है । पत्नी रोना बंद कर देती है ,और अपने पति के गले लग कर कहती है “आप कितने अच्छे हैं” ।
विद्वान मित्र की आंख खुलती है और वे ताली बजाते हैं “व्हाट ए ट्रैजिक सीन “लेखक जी आपने तो पुराने ग्रीक थिएटर को भी मात दे दी है भाई !वाह! वह फिर गिलास भरने लगते हैं ।सेठ जी भी विद्वान मित्र की टिप्पणी से अह्लादीत है सोचते हैं क्या संजोग से इतना बेहतरीन लेखक , मिल गया है। राहुल कुमार भी दम लेते हैं और 2 -4 काजू खाकर एक घूंट पीकर शुरू होते हैं: यह तो एक ट्रैजिक एपिसोड है लेकिन आगे सीरियल रहस्य और रोमांस से भरा हुआ है । ऐसा की जो इसे देखेगा वह देखता ही जाएगा। अब एक मांगी देखिए बवेजा साहब की जो तीसरी बहू है ,वह वह नहीं है जो दिखाई पड़ती है, वैसे इसकी शक्ल तो किसी ने देखी ही नहीं है क्योंकि वह अपने मुंह पर हमेशा घूंघट डाले रहती है ,क्योंकि उसने एक मन्नत मान रखी है परिवार के लोग कितना भी कहते हैं ,वह अपनी मन्नत का वास्ता देकर घूंघट डाले ही रहती है यहां तक की उसके पति ने भी उसका चेहरा नहींं, देखा है। इसी बीच पता चलता है कि सेठ जी की छोटी बेटी का संबंध एक ऐसे आदमी के बेटे से है , जो बवेजा साहब का जानी दुश्मन है ।इस तथ्य के उजागर होते ही परिवार में कोहराम मच जाता है । सब लोग उसे समझाते हैं, लेकिन वह अपने पर अडी़ है कहती है ,वह अपने प्यार को पाकर ही रहेगी । यह सुनकर , बवेजा साहब को हार्ट अटैक आ जाता है। पूरा परिवार जल्दी-जल्दी बवेजा साहब को लेकर अस्पताल चलता है । (यहां बहुत अच्छा सीन है एक साथ लंबी-लंबी 7गाड़ियां सुनसान सड़क पर सायं सायं करती हुई पूरी रफ्तार से भाग रही है, कोई बैकग्राउंड म्यूजिक नहीं है )बवेजा साहब अस्पताल में भर्ती होते हैं,डॉक्टर साहब कहते हैं” इनका ऑपरेशन करना होगा लेकिन पैसे बहुत खर्च होंगे'’। बवेजा साहब के बड़े लड़के के चेहरे को कैमरा क्लोजअप में लेता है ,तो उसे गुस्सा आ रहा है ,”कहता है डॉक्टर जानते हो यह कौन है अपने छटपटाते हुए पिता की ओर इशारा करता है, यह बवेजा सेठ हैं कल ही तुम्हारा अस्पताल नगद कैश देकर खरीद लिया जाएगा ,,बदतमीजी की बात करते हो “डॉक्टर हाथ जोड़ता है गलती हो गई मिस्टर , बवेजा! मुझे पता नहीं था। तमाम लोगों को हम पहले बताना , जरूरी समझते हैं कि पैसे हो तो इलाज कराओ वरना मरीज लेकर जाओ । बड़ा लड़का बोलता है” ठीक है -ठीक है अपना काम शुरू करो।’”
अब राहुल कुमार अपनी स्क्रिप्ट एक तरफ करते हैं ,और कहते हैं सेठ जी! अगर बड़े बेटे वाला डायलॉग राजकुमार साहब होते तो उन पर कितना जमता ,लेकिन खैर वे तो इस दुनिया में अब नहीं है। इसी समय विद्वान मित्र अपनी आंख खोलते हैं और कहते हैं अरे यह तो डायलॉग ही ऐसा है कोई भी बोले राजकुमार ही लगेगा ,।यह सुनकर मेवा लाल खुश हो जाते हैं।
राहुल कुमार सोफे पर अपनी मुद्रा बदलते हैं और कहते हैं इस तरह सिर्फ अस्पताल के आठ एपिसोड बन जाएंगे। सेठ बावेजा की दूसरी बहू सेठ के सिरहाने दिन रात बैठी रहेगी क्योंकि उसे एक 22 करोड़ का एक, प्लाट लेना है जिसमें वह अलग से अपना एक फाइव स्टार ब्यूटी पार्लर खोलेगी जो उसका सपना है। बवेजा साहब की तीसरी बहू की असलियत यह है कि वह उनके ही तीसरे बेटे की पहली पत्नी है जिसे बवेजा परिवार ने बदचलन होने के कारण घर से निकाल दिया था। अब वह बदला लेने के लिए घूंघट की आड़ में परिवार में अपने पति से ही, दूसरा विवाह करके आई है, लेकिन इसका राज 41 में एपिसोड में खुलेगा ।
इसी तरह एक और धांसू रहस्य है। बवेजा साहब का दूसरा पुत्र उनका पुत्र नहीं है ,मतलब जो आदमी घर में उनका दूसरा पुत्र बनकर रह रहा है ,वह उनका पुत्र नहीं है बल्कि उनके पुत्र का कातिल है ,जो उनके पहले पुत्र से बदला लेने के लिए उनके दूसरे पुत्र की हत्या करके प्लास्टिक सर्जरी से उसका चेहरा बनाकर आया है। उसका एक प्रयास असफल हो जाता है ,बवेजा परिवार एक बस में माता के दर्शनों के लिए जा रहा है, उस बस में वह षड्यंत्रकारी एक बम लगा देता है ,लेकिन माता की कृपा से जब पूरा परिवार एक ढाबे में भोजन कर रहा होता है, माता का भेजा हुआ एक कुत्ता आता है और बस के नीचे घुसकर बम का विस्फोट कर देता है और बवेजा परिवार बच जाता है ,अब एक मार्मिक सीन आता है, पूरा बवेजा परिवार माता की कृपा से , विगलित होकर अश्रुपूरित नेत्रों सहित हाथ जोड़कर माता के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है। बैकग्राउंड में भजन चल रहा है “माता शेरावाली तू तो सबकी रखवारी है “आगे कई एपिसोड के बाद यह राज खुलता है कि वह षड्यंत्रकारी बवेजा के पहले पुत्र की हत्या इसलिए करना चाहता है कि उसकी बहन उसके प्रेम में पड़ गई थी, किंतु उसने उसकी बहन से शादी नहीं की, जिससे आहत होकर उसकी बहन ने अपनी कलाई की नस काट कर आत्महत्या कर ली थी।
इसके अलावा भी बहुत से रहस्य हैं जिनको मैं संक्षेप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूं क्योंकि आप लोगों के पास समय की हमेशा कमी रहती है।
एक रहस्य यह है की बवेजा की पहली बहू की यह तीसरी शादी है , इसके पहले के दो पतियों को छोड़कर यह भाग आई है ,यह इसकी आदत है वह विवाह करने के बाद एक साल के बाद घर छोड़कर भाग जाती है। वह बवेजा परिवार से भागने की जुगत में भी
है किंतु चूंकी उसके तीनों पूर्व पति उसको ढूंढ रहे हैं इसलिए वह भाग नहीं पा रही है। सीरियल का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि बवेजा सेठानी के इन पांच पुत्रों के अतिरिक्त एक और भी पुत्र है ,जो विवाह के पूर्व का है, और जिसे सेठानी लोक लाज के डर से आश्रम में छोड़ आई थी । किंतु बड़े होकर उस पुत्र ने अपनी माता का पता लगा लिया है ,और वह सेठानी से मिलकर कुछ रुपए भी झटक ले गया है सेठानी परेशान है, क्योंकि वह बार-बार रुपए मांगने के लिए चक्कर लगा रहा है । यह सब प्रसंग फ्लैश बैक में दिखाए जाएंगे, जो लगभग 13 एपिसोड में पूरे होंगे।
रहस्य के तौर पर छोटी-मोटी चोरियां भी हैं ,जैसे बवेजा साहब की दूसरी बेटी ने तीसरी बहू का 5 लाख का हार , चुरा लिया है ,लेकिन जब बहुत पपछ ताछ और खोजबीन होने लगी तो उसने हार को उसी बहू की अलमारी में रख दिया । इसी प्रकार तीसरे पुत्र ने लक्ष्मी जी की खानदानी मूर्ति को चुरा लिया है, जिसको वह बेचने के फिराक में है किंतु, बेचते समय ही वह पकड़ लिया गया ,क्योंकि जिस दुकानदार को मूर्ति बेचने गया है ,उसे सेठ के घर हुई चोरी का पता है, और वह इस पुत्र को पहचानता नहीं है ,इसलिए वह पुलिस को सूचना देकर इसे पकड़वा देता है । घर पर उसे इस चोरी के लिए बहुत जलील किया जाता है ,लेकिन वह बताता है कि वह एक फैक्ट्री लगाना चाहता था ,किंतु पैसा ना होने के कारण उसमें यह चोरी की थी। यह सुनकर सब लोग, मिलकर उसे माफ कर देते हैं ,लेकिन उसकी मां कहती है फिर भी तुमको प्रायश्चित स्वरूप पांच शुक्रवार को मां मां महालक्ष्मी का व्रत करना पड़ेगा। पुत्र यह बात मान जाता है।
इस तरह से पूरा सीरियल ही रहस्य रोमांस से भरा हुआ है। इसी समय विद्वान मित्र की आंख खुली उन्होंने , कहा नो डाउट अपने कहानी और पटकथा तो खूब लिखी है लेकिन इसमें कॉमेडी भी है? लेखक बोले सर कॉमेडी तो भरी पड़ी है अब देखिए, सीरियल में एक नौकर लंगड़ा है, एक माली हकलाता है ,और सेठ जी की एक बहू बार-बार उबासियां लेती है ,तो उनके आने पर तो वैसे ही कॉमेडी हो जाती है। विद्वान मित्र संतुष्ट होकर बोले” मेवालाल कहानी तो बहुत अच्छी बन पड़ी है अब इसकी तुरंत शूटिंग शुरू करवाओ, और इसे तुरंत टीवी पर डाल दो नहीं तो ऐसी ही कोई कहानी इसके पहले आ गई तो मुश्किल हो जाएगी।
ठीक कहते हैं सर लेखक ने कहा। फिर लेखक ने जिज्ञासा की सेठ जी क्या आपने कलाकारों का सिलेक्शन कर लिया है तथा इसका डायरेक्टर कौन होगा?। सेठ जी ने कहा देखिए इसके डायरेक्टर तो आर्यन कुमार ही होंगे, उन्होंने तो अभी से दाढ़ी भी बढ़ा ली है ,और पीछे बालों की चोटी भी , बांधने लगे हैं जहां तक कलाकारों का प्रश्न है मेरे पूरे खानदान में 12 15 लड़के लड़कियां हैं जिसमें सबको डांस आता है और सभी लड़कों ने जिम जाकर बॉडी भी बना रखी है ,वह अब पहले वाले हलवाई के लड़के लड़कियों जैसे नहीं है। सबका हिंदी का उच्चारण अंग्रेजी जैसा होता है, इसलिए कलाकारों की कोई चिंता नहीं है ,कुछ छोटे-मोटे कलाकार बाजार से भी ले लेंगे ।
इसके साथ ही कहानी का सेशन समाप्त हुआ । आगे की कार्रवाई के लिए एक कंपनी बनाई गई एच इ इ ( हलवाई एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज) इसी कंपनी के बैनर तले सीरियल की शूटिंग और अन्य सभी कार्रवाई हुई और टेलीविजन से प्रसारित भी किया गया। सीरियल को अपार सफलता मिली। पूरे देश में खासकर महिलाओं में यह सीरियल बहुत सफल रहा। इस सीरियल को महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने वाला माना गया ,और महिलाओं की एक अखिल भारतीय संस्था ने इस सीरियल को पुरस्कार भी दिया। संप्रति इस सीरियल के 120 एपिसोड हो चुके हैं और अभी भी बहुत अच्छा टीआरपी चल रहा है ,इसलिए इसे 300 एपिसोड तक चलाने की योजना है। मेवा लाल एक और सीरियल भी लॉन्च करने वाले हैं, जो डांस की एक अखिल भारतीय प्रतियोगिता है । इसमें भाग लेने के लिए छोटे बड़े सभी जिम्नास्टों के आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं।
इति
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