मस्क भाई को एक चिट्ठी:: विकुति
प्रिय भाई मस्क,
आशीर्वाद
बहुत दिनों से खत लिखने को सोच रहा था लेकिन समयभाव के कारण लिख नहीं पाया। आप तो मुझे नहीं जानते होंगे लेकिन में आप को बहुत दिनों से ठीक से जानता हूँ । इसमें आप की कोई गलती नहीं है। ऐसा है कि मेरे गांव में एक बड़े सेठ थे ( बड़े का बुरा न मानिएगा आप से तो वे बहुत छोटे थे) उनको गांव का बच्चा बच्चा जानता था लेकिन वे बहुत कम लोगों को जानते थे, कारोबारी आदमी थे, कारोबारी लोगों से ही मुलाकात हो पाती थी। वे बहुत व्यस्त रहते थे। उनकी दिनचर्या की एक संक्षिप्त बानगी प्रस्तुत है।
सुबह सुबह आस पास के छोटे छोटे गांवों से माल लादकर खच्चर आ जाते थे, दोपहर तक माल उतार कर पल्लेदार गोदाम में रखते थे, और दोपहर के बाद यही खच्चर माल लादकर बाजार ले जाते थे। मुनीम जी दिन भर बीड़ी पीते हुए एक बोरे पर बैठ कर माल की आमद और निकासी दर्ज करते रहते थे और सेठ जी खांसते थूकते हुए पल्लेदारों पर चिल्लाते रहते थे। लक्ष्मी जी कृपा से धंधा खूब चलता था। तब के सेठ लो प्रोफाइल में ही रहना पसंद करते थे। अगर कोई कह देता की “ सेठ जी तेल (कड़वा तेल) तो बड़ा तेज चल रहा है फायदा अच्छा हो रहा होगा”। सेठ जो तुरंत ही मुंह लटका लेते और कहते “ कहां फायदा बाबू मेरा तो 2000 का नुकसान हो गया”। उनका मतलब यह होता था कि उन्होंने 7 हजार रुपए का फायदा सोचा था लेकिन फायदा 5 हजार का ही हुआ । खैर मेरे सेठ से मस्क भाई आप की क्या तुलना, आप का धंधा भी अलग तरह का है। हमारे सेठ जमीन पर धंधा करते थे और आप का ज्यादा धंधा तो आसमान में है। आप के धंधे में तो मशीनें ही मशीनें है लेकिन सेठ जी के पास मशीन के नाम पर केवल कोल्हू था। इसलिए आपकी व्यस्तता तो बहुत होगी, ऐसे में मुझे न जानने की आप की भूल छाम्य है।
खैर अब में असली बात पर आता हूं। अपने अभी बाजार में ग्रोक बाबू को उतारा है उन्हीं से संबंध में कुछ बात करनी थी लोग बताते है कि ग्रोक बाबू बहुत दिमागदार है, हर प्रश्न का सटीक जवाब मिनटों, सेकेंडों में दे देते है। यह तो परमात्मा की कृपा है, भगवान उनको और आगे बढ़ाए मेरी यही कामना है। लेकिन सुनने में आया है ग्रोक बाबू किसी किसी से गाली गलौज भी किए है, यह तो ठीक नहीं है। व्यापारी आदमी को यह शोभा नहीं देता वैसे भारत में गाली को आम तौर पर कुछ खास बुरा नहीं माना जाता, हम लोग तो खुश होकर भी गाली देते है और नाराज होने पर तो देते ही है, और जो हमारा बहुत प्रिय हो तो उसे तो गाली देते ही देते है। लेकिन कभी कभी जब विदेशी गाली देते है तो इसको तो बहुत बुरा भी मान जाते है। खैर इस मामले में तो ग्रोक बाबू ने माफी मांग ली है तो फिलहाल मामला रफा दफा हो गया है। लेकिन आगे के लिए सावधान रहना सही होगा। ग्रोक बाबू तो खुद ही काफी होशियार है।
दूसरी शिकायत तो बहुत संगीन है। हमारे यहां कहा जाता है कि डायन भी सात घर छोड़ देती है,लेकिन ग्रोक बाबू तो ' काका ' को भी नहीं छोड़ रहे है। उनको पता नहीं है, अभी बच्चे है कि काका हमारे आप के तरह आदमी नहीं है वो अवतारी है। अवतारी को इस मृत्यु लोक में अपनी लीला का विस्तार करना होता है। लीला पर टीका टिप्पणी को भारत भूमि पर बहुत अमर्यादित समझा जाता है अवतारी के झूठ, फरेब, छल, प्रपंच,गाली गलौज पर नतमस्तक होने का विधान है। अवतारी का दोष देखना घोर पाप की श्रेणी में आता है अतः उचित होगा की ग्रोक बाबू काका के कार्य व्यवहार पर चुप रहे समय का यही तकाजा है। मान लीजिए काका कभी यह सब जान जाए तो क्या होगा? और जान तो वो जाएंगे ही सर्वज्ञ जो ठहरे। वे नाराज़ हो गए तो क्या होगा? आप तो जेल चले जायेगे ग्रोक बाबू तो नाबालिक है उनका तो कुछ नहीं होगा। आप कहेंगे हमारे पास तो डॉलर है अच्छा वकील लगाकर कोर्ट चले जायेगे पर उससे क्या होगा? गरीब ही सही कोर्ट तो उमर भी गया है, तो क्या हुआ? 4 साल से चक्की पीसिंग एंड पीसिंग। काका और कोर्ट अलग है क्या ? अच्छा चलिए जेल आप नहीं गए क्योंकि काका तो अवतारी होने से दयालु है, लेकिन फेंटा बाबा तो कड़क आदमी है अगर वे बुलडोजर लेकर आप के ठिकाने पर चढ़ आए तब? आप का ठिकाना तो गया। फिर आप कोर्ट जाएंगे तो दो चार साल के बाद जब सुनवाई होगी तो कोर्ट क्या करेगा? कोर्ट तो गाइड लाइन बना देगा कि घर ऐसे नहीं वैसे गिराना है तो सोचिए आपको क्या मिला? हां इतना जरूर है की कोर्ट सुनवाई में बड़ी बड़ी टिप्पणियां कर देगा जो सुन कर आप चित्त विलासित हो। समाचार भी हफ्ते भर चलेंगे की बाबा पर कोर्ट का शिकंजा कसा, अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे आदि / इत्यादि फिर क्या? आगे अगर आप फिर लगे रहे क्योंकि आप के पास रुपया पैसा है , तो तारीख पर तारीख के 5- 6 साल बाद कोर्ट क्या कहेगा। यदि आप की तकदीर बहुत अच्छी हुई और कोर्ट भी अच्छा हुआ तो कहेगा घर गिराने की जिम्मेदारी तय की जाए। फिर 5- 6 साल यह तय करने में गुजर जाएंगे की आखिर जिम्मेदार है कौन? DM कहेगा कि SP ने गिरवाया, SP कहेगा कमिश्नर ने गिरवाया कमिश्नर कहेगा पौर ने गिरवाया, पौर कहेगा महापौर ने गिरवाया , महापौर कहेगा इंजीनियर ने गिरवाया, इंजीनियर कहेगा ठेकेदार ने गिरवाया, ठेकेदार कहेगा ड्राइवर ने गिराया और अंत में ड्राइवर जेल चला जायेगा। इस बीच बाबा ठंडाई लेकर ठेका बजाता रहेगा। अब 15- 20 साल बाद इस त्वरित न्याय को देखो और इसे चांटो। विचार करो इस झमेले में कही बाबा का नाम भी आया?
मस्क भाई आप।का शुभचिंतक होने की वजह से मैं यह सब बातें कह रहा हूँ, आप से मेरा कोई विरोध नहीं है। इन बातों का बुरा मत मानिएगा।
अब मैं कुछ सुझाव देना चाहूंगा। पहला सुझाव साज-सज्जा से संबंधित है। मै चाहूंगा कि जिस कक्ष में ग्रोक स्थापित हो उस कक्ष को प्रतिदिन गोबर, यथा संभव गाय के गोबर से लिपा जाए। तथा ग्रोक के आसान के ऊपर एक लाल वस्त्र बिछा कर रखा जाए तथा आसान को जल फूल, अक्षत आदि से पवित्र कर कार्य आरम्भ किया जाए। कार्य आरम्भ के पूर्व जय श्री राम का नारा ऊंची आवाज में लगाया जाए क्योंकि श्री गणेश जी आज कल “वोग”में नहीं है। यह सब छोटी छोटी बाते है लेकिन इनका फायदा बहुत है।
मेरा अगला सुझाव यह की जैसा आप जानते है ग्रोक में भूत और वर्तमान तो है लेकिन भविष्य नहीं है। इसका परिणाम यह है कि भविष्य फल के अभाव में भारत में एक बड़ा ग्राहक वर्ग छिटक जा रहा है। भारत में कोई अखबार , पत्रिका या टीवी चैनल भविष्य फल के आधार पर ही चल पाता हैं। चूंकि मशीन यह काम नहीं कर पाएगी इस लिए मेरा सुझाव है कि धंधे के लिहाज से 10- 12 ज्योतिषी दक्षिणा के आधार पर रख लिए जाए। संस्कृत , हिंदी या अंग्रेजी में जातक का भविष्य फल बताने वाले बहुतेरे ज्योतिषी आसानी से मिल जायेगे। लेकिन यदि पैसे को दिक्कत न हो (जो आप को नहीं हीं होगी) तो भागेश्वर बाबा को रख लिया जाए । वे अकेले ही सारा काम सम्भाल लेंगे ग्राहकों को केवल पर्ची लगाने का कष्ट करना होगा।
मुझे उम्मीद है आप को मेरे सुझाव पसंद आएंगे। यदि सुझाव पसंद नहीं आते है तो यह मेरी समस्या नहीं है आप जाइए भाड़ में हमारा क्या? हमारे तो भागेश्वर बाबा हैं ही ।
आपका
विकुति
( भोजपुरी में काका वही है जो हरियाणवी में ताऊ है)
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