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Showing posts from February, 2025

जैसे भतीजों के दिन बहुरे:: विकुति

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    देश में सर्वत्र हंसी-खुशी का माहौल था ।   सर्वप्रथम एक प्रदेश में एक विशेष राइफल प्राप्त हुई ,   इसे स्नाइपर राइफल कहा गया ।   इस घटना से पूरा देश हिल गया और चारों तरफ चिंता फैल गई ,  फिर देश के कर्ण धारों ने बड़ी-बड़ी धाराएं लगाकर उस प्रदेश को बंद कर दिया ,  जो की बहुत जरूरी भी था ।  सिपाहियों और फौजियों को छोड़कर शेष जनता अपने-अपने घरों में बैठकर आनंद उत्सव मनाने लगी। ऐसे सामूहिक अवकाश का समय कहां मिलता है   ! कुछ दुराचारी किस्म के लोग या नेता भी थे ,  उन्हें भी जेल या घरों में बंद कर दिया गया ।   जब माहौल शांतिपूर्ण और कोलाहल से रहित हो गया ,  तो दिल्ली में थोड़ी हलचल हुई ,  और बरसात के एक सुहाने दिन देश की सबसे बड़ी बाधा को धीरे से खिसका दिया गया   ।    फिर क्या था !   चारों तरफ उत्साह और उल्लास की लहर आ गई।   लोग सड़कों पर आ गए उत्साह से भ रे  लोग सर्वत्र जुलूस निकालने लगे ,   नारे ल गा ने लगे और बड़े साहब ,  छोटे साहब को भर भर कर बधाइयां धन्यवाद भेजने लगे ।     ल...

हरि इच्छा बलवान :: विकुति

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      मरना तो एक दिन सबको है !  आप सुनना चाहें या ना चाहे मैं उसे सत्य कथा को आपको सुनाऊंगा जरूर,   जिसे सुनकर आपका दिल खुश हो । कृपया ध्यान और श्रद्धापूर्वक सुनिएगा । बड़े मियां को नींद नहीं आ रही थी । करवट बदलते रात बीत रही थी । उन्होंने कई बार पानी पिया ध्यान की सारी विधियां आजमाली, कोई फायदा नहीं हुआ । परेशान होकर बड़े मियां ब्रह्म मुहूर्त से पहले ही उठ बैठे । बाहर निकल कर उन्होंने आसन किया, ध्यान किया, मिट्टी पर चले, कंकड़ पत्थर पर चले, घास पर चले और चट्टान पर लेटे ,   पर जी की जलन कम नहीं हुई । सूरज की किरण के साथ उन्होंने पुलिस को बुला लिया जल्दी ही पुलिस आ गई और फरसी लगाकर पुलिस ने अदब से हाजिरी लगाई । हुजूर की लाल आंखें देखकर पुलिस ने समझा हुजूर गुस्से में हैं लेकिन ऐसा था नहीं । हुजूर नींद से भरे थे बोले “एक आदमी है उसका नाम स्टैंड स्वामी है ।   स्टैंड भी और स्वामी भी !   कैसा आदमी है ?   पुलिस में अर्ज किया “हुजूर बजा फरमाते हैं ।स्टैंड भी और स्वामी भी निहायत मक्कार और शातिर आदमी है हुजूर । हम तो कहते हैं वह देशद्रोही भी है । लोग...

कठिन सवाल का सरल जवाब :: विकुति

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  जब मेरी समझ में कुछ न आया तो मैं लाल बुझक्कड़ को ढूंढने लगा I वह मिले एक पेड़ के नीचे चारपाई पर चित्त I मैंने उन्हें आहिस्ता से जगाया I एक बारगी वे उखड़ गए I   “ मैं ज्ञानी हूं तो क्या मुझे सोने भी ना दोगे ?”   मैंने अत्यंत विनय पूर्वक कहा “बात ही कुछ ऐसी है भाई चुनाव का रिजल्ट आ गया है और मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है की कोई कैसे जीता ?   और कोई कैसे हार गया ? ” लाल भाई ने जम्हाई ली ,   अपने ज्ञान की गठरी खोली और बोले “   इसमें क्या दिक्कत है ?   चुनाव और कुश्ती में एक जीतता है दूसरा हारता है I इसमें मैं क्या बताऊं ? “   “ फिर भी भाई कोई न कोई कारण तो होगा ही मैं कारण जानने के लिए मर रहा हूं I मेरी मदद करो I    लाल भाई उठकर बैठ गए खैनी मलकर मुंह में डाला और बोले “इस प्रसंग में मुझे कुछ पुरानी यादें आ रही हैं I जब हम छोटे थे ,   गांव में कई बुजुर्ग ऐसे थे ,जो अंग्रेजी राज्य के मुरीद थे I अक्सर कहा करते थे ,यह भी कोई राज है ?   गवर्नमेंट (अंग्रेजी)    के राज्य में जिस दिन बाजार में लाल पगड़ी दिख जाती थी ,   पूर...