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Showing posts from February, 2025

भए प्रकट कृपाला : विकुति

  भगवान ने करवट बदली । एक रोम टूटकर धरती पर गिर गया। भगवान को खबर भी नहीं हुई, एक विरूप   अवतार के रूप में खड़ा हो गया ।   हाथ जोड़कर बोला “ आज्ञा प्रभु   !”   “तू तो मेरी इच्छा ना होते हुए भी उत्पन्न हो गया है तुझे क्या कहूँ? तू मेरा लघुतम  रूप है इसलिए तेरा वध भी उचित नहीं है और अभी मृत्युलोक में कोई बड़ी समस्या भी नहीं है ।  तो मै  तेरे इस सगुण रूप का क्या करूँ   ?   बैकुण्ठ में इस रूप का कोई उपयोग भी नहीं है। “ विरूप अवतार ने विनयपूर्वक कहा कि   “ हे सर्वशक्तिमान !   यह सत्य है कि आपके पूर्ण अवतार के लायक कोई विकट समस्या इस समय धरती पर नहीं है लेकिन आपके इस दासा नुदास के लायक कई समस्याएं विद्यमान हैं । धरती पर बंधुत्व ,  सहिष्णुता आदि तीव्र गति से विकसित हो रहे हैं   । अतः लिंचिंग , दंगों आदि में उत्तरोत्तर कमी आ रही है । एक समूह तीव्र गति से अपनी संख्या बढ़ाकर पृथ्वी पर अधिकार करना चाहता है। अतएव हिंदू खतरे में आ गया है। “ भगवान अचंभित होते हुए बोले “   हे !   वत्स ये हिंदू कौन है ? तथा लिंचिंग और दंगे क्या...

चंगेजी च्यवनप्राश का सौदागर : ViKuTi

  वह बाजार के बीच एक छोटी सी खाली जगह पर दुकान लगाए खड़ा था । उसका काम लगभग सांडे का तेल,   हींग ,   जाफरान या खानदानी शफाखाने की ताकत की दवाई बेचने वालों जैसा ही था। लेकिन उसकी धज अलग थी, सिर पर शानदार पगड़ी और बदन पर सुन्दर रंगीन कुर्ता - पजामा,    कीमती सदरी साहित सजे थे । वह लगातार बोल रहा था … ....  । हाजरीन मैं ,   ईरान ,   तूरान ,पारस ,अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए आज हिंदुस्तान की सरजमीं पर हाजिर हुआ हूँ। कदरदान ,  मेहरबां, मेरे पास न तो सोना है, न चांदी है,   न हीं हीरे जवाहरात या अफगानिस्तान के मेवे है। मेरे पास तो बस खुदा की नियामत यह डिब्बा है जो मैं कौड़ियों के मोल बेच रहा हूँ । अब आप पूछेंगे इसमें है क्या ? तो हज़रात आपको यकीन आए या ना आए इसमें खाली उसी नुस्खे का च्यवनप्राश है,   जो शाहेजहाँ चंगेज खान हुजूर नौश फरमाया करते थे । अपनी हर लड़ाई से पहले आली हुजूर इसका एक लुक्मा जरूर गटकते थे और फतेह हासिल करते थे । अब आप जरूर पूछेंगे ,  यह नुस्खा मुझे मिला कहाँ से ?   हुजूर यह एक दुख भरी कहानी है ,  मुद्दतों...

मस्तिष्क में क्वांटम! चीन के वैज्ञानिकों ये क्या कर रहे हो ? ViKuTi

    आख़िरकार, विज्ञान ने वह बात भी कह दी, जिसे अब तक बस आध्यात्मिक गुरुओं और नुक्कड़ पर गप्प मारने वाले चायवालों का ही विशेषाधिकार समझा जाता था—कि हमारे दिमाग़ में कुछ तो बहुत ऊँचे दर्जे की गुप्त क्रियाएँ चल रही हैं। अब तक विज्ञान की किताबों में पढ़ते आए थे कि न्यूटन ने सेब गिरते देखा और गुरुत्वाकर्षण खोज लिया। लेकिन चीन के वैज्ञानिकों ने दुनिया को बता दिया कि असली विज्ञान सेब गिरने में नहीं, दिमाग़ के भीतर ' स्पूकी एक्शन'  में छुपा था! अब तक हम अचंभित होते थे कि कुछ लोग बिना वजह किसी भी विषय पर अचानक विशेषज्ञ कैसे बन जाते हैं—जैसे भयंकर मंदी में बैठे -बीते ही मुन्नू पनवाड़ी  अर्थशास्त्री  बनजाते थे , टपरी पर बैठे चुहड़ युद्ध और राजनीती की भविष्यवाणी करने  लगते हैं, कोई टीम इंडिया को खेलने पर ज्ञान पेलने लगता है, तो कोई पर्यावरण विशेषज्ञ .  अभी तक लेखक यह आकस्मिक उपजी विद्वता का कारण समझ नहीं पाया था ,   अब समझ में आया कि यह कोई साधारण ज्ञान नहीं, बल्कि क्वांटम एंटैंगलमेंट का खेल था । यानी दिमाग़ के न्यूरॉन्स बिना तार के जुड़ सकते हैं, विचार बिना पू...