Posts

Showing posts from July, 2025

लीला -ए- मोबाइल( प्रथम अंक) ::विकुति

  लीला -ए- मोबाइल( प्रथम अंक)   ( एकवचन ,द्विवचन , बहुवचन)   _______________________ बहुवचन-------- वह तीनों जिगरी दोस्त थे। जाब से छूटने पर ,एक चाय की दुकान पर इकट्ठा होते थे गप -शप करते थे और चाय पीकर घर चले जाते थे। एक दिन की, आंखों देखी दास्तान ,इस प्रकार है:-- तीनों नियत समय पर अड्डे पर पहुंच गए। दो मोबाइल पर बात करते-करते  आए, और धप -धप कुर्सियों पर बैठ गए। तीसरा मोबाइल पर कोई नंबर लगाते हुए आया और बैठ गया। 10 मिनट तक बात करने के बाद नंबर दो की बात खत्म हुई, और उसने चाय का ऑर्डर दे दिया । नंबर 3 ने मोबाइल पर झुके झुके कहा “यहां सिग्नल बहुत पुअर होता है ,मिल ही नहीं रहा है” तब तक नंबर दो कि मोबाइल पर घंटी बजने लगी उसने झपटकर मोबाइल उठाया और बात करने लगा। नंबर एक की बात अभी जारी थी। अचानक नंबर 3 का नंबर लग गया, और वह उत्तेजित स्वर में बात करने लगा। तभी नंबर एक की कॉल खत्म हो गई, उसने मोबाइल को सहलाते हुए चारों ओर देखा और पूछा “चाय का आर्डर हो गया क्या? किसी ने जवाब नहीं दिया। उसने चाय का आर्डर दोहरा दिया ,इसी बीच उसका मोबाइल प्रकाशित हुआ और कोई छोटी धुन भी, बजी ...

मेवा लाल का सीरियल :: विकुति

  _________________ मेवा लाल मूलतः हलवाई हैं।उनकी मिठाइयां, खस्ते और कचौरियां शहर भर में प्रसिद्ध हैं । दूर दूर से भी जो  लोग शहर में आते हैं मेवालाल के खस्ते कचौड़ियां जरूर खाते हैं और घर भी ले जाते हैं। मेवा लाल के पिताजी भी हलवाई  थे , वह जमीन पर बैठकर खस्ते कचौड़ियां तलते थे तब भी यह दुकान बहुत चलती थी। मेवा लाल जब बड़े हुए तो उनको दुकान कि   हालत ठीक नहीं लगती थी। मेवालाल शहर के मशहूर अंग्रेजी स्कूल में कई जमात पढे थे ,वे आज की दुनिया के रंग ढंग जानते थे, इसलिए वे अपने पिताजी से अक्सर कहा करते थे “बापू दुकान से अच्छी आमदनी हो रही है, पैसे रुपए की कोई कमी नहीं है, क्यों न दुकान की थोड़ी साज सज्जा बदल दी जाए ,थोड़ा अच्छा रंग रोगन हो जाए ,फर्श पर टाइल्स या पत्थर लगवा दिया जाए ,शीशे की खिड़की दरवाजे हो जाएं लोगों के बैठने के लिए हाल में पंखे, एसी ,लगवा दिया जाए” । उनके इस विचार से उनके पिताजी कभी सहमत नहीं हुए। उनका कहना था” बेटा जमाना बहुत खराब है ,आज के दिन तो अपनी भी रोटी खानी है ,तो छुपा के खानी है ,दुकान जैसी भी है बहुत ठीक है ,इसी में बरकत है ,फालतू पैसे खर्च...

जेल से छूटे कैदी का विकास दर्शन :: विकुति

  ______________________ रिहाई का कागज लेकर मैं तेज कदमों से फाटक पर पहुंचा। वहां पर खड़े सिपाही को  मैंने सलाम किया। सिपाही एक बाल बच्चेदार नरम दिल इंसान था। बोला “रिहाई हो गई , बेटा घर जाओ ,ठीक से रहना”। “जी हाकीम”   मैंने कहा। छोटा वाला फाटक खोलते -खोलते, उसने  कहा “कभी-कभी आते रहना, पुराने लोगों से मिलकर अच्छा लगता है ,और कभी कोई गलती सही हो गई हो तो माफ करना ,यह तो नौकरी है नरम-गरम करना ही पड़ता है”। मैं बहुत लज्जित हुआ ,सोचा सिपाही जी कितने भले आदमी है, मैं इनको पहचान ही नहीं पाया । मैं धीरे से बाहर निकला और एक बार फिर उनको सलाम कर मुड़ गया । फाटक पर मिलाई करने वालों की भीड़ थी । लेकिन मुझे कोई लेने नहीं आया था। फिर मैंने सोचा अरे!फूल माला लेकर लेने तो लोग, लिंचरो को आते हैं, दंगाइयों को आते हैं ,झूठे मामले में फंसा दिए गए बाहुबलियों को आते हैं ,और कभी-कभी पार्टी के नेताओं को भी आते हैं और मैं तो इनमें से कोई भी नहीं हूं। मैंने तुरंत इस विचार को झटक दिया। इसके बाद मैं घर पहुंचने की योजना बनाने लगा। लगभग दो-तीन घटे की बस यात्रा तो तय है। अभी दुविधा यह थी कि बस ...

नौजवानों के नाम एक संदेश ( ज्ञान) :: विकुति

    आप जानते हैं जितना भी अच्छा या बड़ा ज्ञान हमें मिला है वह सब मुफ्त में मिला है। हमारे ऋषियों ,मुनियों और महापुरुषों द्वारा दिया गया समस्त ज्ञान इसी श्रेणी में आता है। मैं भी आपके हित में एक ऐसे ही ज्ञान का उद्घाटन करने जा रहा हूं। जाहिर है यह भी निशुल्क होगा। में केवल करुणा बस इस ज्ञान को प्रकट कर रहा हूं। श्रद्धा पूर्वक ग्रहण करेंगे तो फायदे में रहेंगे। इसमें मेरा किसी प्रकार का कोई स्वार्थ नहीं है। सबसे पहले मैं आपसे एक प्रश्न करता हूं । आपकी सबसे बड़ी समस्या क्या है? प्रश्न यह भी हो सकता है कि आप करते क्या हैं? आप कह सकते हैं कि मैं सिनेमा देखता हूं ,मोबाइल पर , Youtube ,व्हाट्सएप या फेसबुक को , उलटता, पलटता हूं  क्रिकेट देखता हूं ,प्रधानमंत्री की रैली, रोड शो में जाता हूं नारा लगाता हूं , मोदी -  मोदी चिल्लाता हूं, दशहरा, दिवाली, रामनवमी ,महावीर जयंती आदि मनाता हूं और क्या करता हूं? आपका यह जवाब बहुत सही है और यही नहीं यदि आपके मां-बाप थोड़े भी जागरूक रहे होंगे ,तो आपके पास बीए,एम ए  B.Ed, ला, ,आदि की डिग्रियां भी होगी। लेकिन बुरा मत मानिएगा इसमें आपका ...