A I की गाथा फाइल में ( भाग -5):: विकुति
[ पूर्वावलोकन - भारत सरकार से ए0 आई0 निर्मित किये जाने संबंधी फ़ैक्स संदेश मिलने के बाद मची उठापटक और मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में लाने की उधेड़बुन में चीफ साहब को गर्मी के दिन में काशी नगरी की यात्रा करनी पड़ी थी। मुख्यमंत्री जी अन्य कार्यों में अति व्यस्त थे पर दोपहर में लंच के समय उनका मार्गदर्शन प्राप्त हो सका था। अपना निजी ए0 आई0 संस्कृत ,संस्कृति एवं सनातन पर आधारित देशज होने पर बल दिया गया था। संस्कृत एवं दर्शन के मर्मज्ञों से विचार विनिमय एवं वेदों के अध्येता विद्वानों से संपर्क करने और गोरक्ष धाम के समृद्ध पुस्तकालय में संरक्षित संस्कृत ग्रंथों की गहनता से छानबीन करने का सुझाव प्राप्त हुआ था। अगले दो दिनों बाद मुख्यमंत्री जी के साथ बैठक भी की जानी थी जिसमें बनाई गई रणनीति पर प्रजेंटेशन भी देना था। कार्य वृहद था ,भागदौड़ भी संभावित थी ,अध्ययन भी आवश्यक था और साथ ही प्रजेंटेशन भी तैयार करना था। एक ओर चीफ साहब के हाथ पांव फूल रहे थे तो दूसरी ओर श्रीअन्न ग्रहण करने से उनका हाज़मा भी बिगड़ गया था।पूरी रात उन्हें ठीक से नींद भी नहीं आयी थी पर वे आकस्मिक अवकाश भी लेने की स्थिति में नहीं थे। आगे की कथा नीचे प्रस्तुत है।]...
चीफ साहब को दफ़्तर आने की मजबूरी थी।कल पाँच घण्टे बाहर रहने के कारण फाइलों का ढेर लग गया होगा और A I के मल्टी टास्क को भी अंजाम देना था।उदर विकार की स्थिति उन्हें अलग से मुह चिढ़ा रही थी। सुबह उन्होंने हल्का नाश्ता करने का निर्णय लिया और पके हुए तरबूज से निकाले गये सात - आठ क्यूब्स ही ग्रहण किये और दफ़्तर के लिए निकल लिये। दफ़्तर के कार्मिक पूर्व की भाँति सजग और चुस्त मिले। अपनी कुर्सी पर इत्मीनान से विराजमान हुए।बड़ी मेज पर सैकड़ों फाइलें लाल हरी झंडी के साथ पड़ी थीं पर उन्हें निपटाने की ज़हमत उन्होंने मोल नहीं लिया। मस्तिष्क में केवल A I का भूत ही उछल कूद मचाये था। विघ्नहर्ता भगवान गणेश की आराधना के लिये आवश्यक सामग्री लेकर निजी सचिव ,पाण्डेय उपस्थित हुआ। चीफ साहब का चेहरा देखते ही उसे तत्काल भान हो गया कि ' कुछ तो गड़बड़ है '। पूजा आराधना के बाद चीफ साहब पुनः अपनी कुर्सी पर तशरीफ़ रक्खे।चपरासी कल्लन सिंह साफ गिलास में वाटर कंटेनर से पानी निकाल कर उनकी मेज़ पर रख कर जैसे ही जाने को हुआ ,चीफ साहब ने उसे निर्देशित किया कि अगले 15 मिनट तक कोई मेरे चैम्बर में नहीं आयेगा। पूरे कमरे में नीरवता व्याप्त थी।चीफ़ साहब कमरे में चहलकदमी करने लगे और कार्य की शुरुआत कहाँ से की जाये ,पर गम्भीर चिन्तन करने लगे। कभी कभी वेगवती गंधहीन अपान वायु कमरे की नीरवता में खलल डाल रही थी।
चीफ साहब प्रयोगधर्मी व्यक्ति हैं। उन्हें पहले से ही ज्ञात है कि वेदों के ज्ञान पर आधारित A I का निर्माण सम्भव नहीं है फिर भी मुख्यमंत्री जी के आग्रह को ठुकरा नहीं सकते हैं।यही नौकरी की विवशता होती है। 'दिल को बहलाने के लिये गालिब ये खयाल अच्छा है ' की तर्ज पर काम करने में ही कल्याण है। पहले उन्होंने ख़ुद पर तीन तरह की चिकित्सा पद्धति के परिणाम को आजमाने की सोच लिया।कुछ अन्य निर्देश भी देने थे अतः उन्होंने अपने निजी सचिव पाण्डेय एवं अपने एस0 ओ0 ( स्टॉफ ऑफिसर ) , मंजीत को फ़ौरन दफ़्तर में उपस्थित होने को बोल दिया। आदेश मिलते ही दोनों लोग कलम खोले ,डायरी लिये कार्यालय में उपस्थित हो गये और मिलने वाले निर्देशों की प्रतीक्षा करने लगे। चीफ़ साहब पहले अपने निजी सचिव की ओर मुखातिब हुए और बोले - " पाण्डेय ,कल दोपहर से ही मुझे 'अन -इज़ीनेस' फील हो रहा है।पहले होमियोपैथी डॉक्टर प्रवीन माथुर को बुला लो। कोई बहुत जल्दी नहीं है। " फिर मंजीत सिंह की ओर मुखातिब हुए और सामने रखी कुर्सी पर बैठ कर निर्देश नोट करने का इशारा किया। मंजीत कुर्सी पर बैठ अपनी डायरी खोल कर सावधान मुद्रा में आ गये थे। अब चीफ साहब ने क्रमवार कई निर्देश देने शुरू किये -" मंजीत कई जरूरी काम निपटाने हैं। पहले ए0 सी0 एस0 नियुक्ति विभाग से सम्पर्क कर के पता करो कि वर्तमान में ऑप्शनल के रूप मे संस्कृत विषय लेकर आईएएस बनने वाले कुछ लोग अभी सेवारत हैं क्या ? सम्भव है कुछ पी सी एस से प्रोमोटेड लोग मिल ही जायें। यदि ऐसे अधिकारी मिलें तो उनसे पूछना है कि क्या वे लोग वेदों का अध्ययन किये है अथवा नहीं ? दूसरा काम है लखनऊ यूनिवर्सिटी और डॉ0 सम्पूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपतियों से वार्ता कर यह ज्ञात करना है कि क्या संस्कृत के पाठ्यक्रम में वेद ज्ञान शामिल है अथवा नहीं ? क्या उनके पुस्तकालयों में चारो वेद हैं अथवा नहीं ?. तीसरा काम यह है कि लखनऊ विश्व विद्यालय के दर्शन विभाग के किसी ऐसे प्रोफेसर से बात करनी है जो भारतीय दर्शन का प्रकांड विद्वान हो और उससे यह ज्ञात करना है कि वेद को प्रमाण स्वीकारने वाले छह दर्शनों में क्या A I के विषय मे भी कुछ कहा गया है अथवा नहीं ? यदि विशिष्ट रूप से A I के विषय में कोई सूत्र मिले तो उससे अवगत कराने का आग्रह भी कर लिया जाये। खगोल एवं ज्योतिष विभाग से भी संपर्क कर यही सवालात करने हैं। चौथा काम यह है कि गोरक्ष धाम लाइब्रेरी के प्रमुख ज्ञानेन्द चतुर्वेदी जी से भी दूरभाष पर सम्पर्क कर के यह निवेदन करना है कि वे ऐसे ग्रन्थों की खोजबीन करवा लें जिनमें A I से सम्बंधित कोई सामग्री संगृहीत हो। पांचवा काम यह है कि सौ संस्कृत पुस्तकों के रचयिता और ज्ञानपीठ पुरष्कार प्राप्त पण्डित रामभद्राचार्य जी से भी सम्पर्क करके आग्रह करना है कि वे कृपया वेदों में A I से सम्बंधित ज्ञान का पर्दाफाश करें ताकि देशज कृत्रिम मेधा का भारतीय संस्करण तैयार किया जा सके।" मंजीत विनम्रता से ' जी , सर। बहुत अच्छा " कह कर ,चीफ साहब से विदा ले लिया। उसे आज भारी टास्क मिल चुका है। दिन भर इसी में व्यस्त रहेगा।
चीफ साहब ने चैन की सांस लिया। अचानक उन्हें याद आया कि प्रमुख सचिव ,विज्ञान को भी कुछ टास्क सौंप दिया जाये।आखिर यह सब काम तो उनके ही विभाग का है तो वे भी हाथ पैर मारे और प्रजेंटेशन आदि की तैयारी करें। यही सोच कर उन्होंने लाल फोन पर बज़र दिया। फौरन निजी सचिव पाण्डेय की आवाज़ आयी - " जी ,सर हुकुम ।" चीफ साहब ने प्रमुख सचिव विज्ञान से वार्ता कराने का आदेश देकर फोन का चोंगा पटक दिया। थोड़ी ही देर बाद काले वाले फोन पर निजी सचिव ने बज़र दिया और ' शर्मा जी ,लाईन पर हैं ' कहते हुए चोंगा रख दिया। अब शर्मा जी ने आदर सहित चीफ साहब को अभिवादन किया और निर्देश नोट करने के लिये डायरी खोल लिये। चीफ साहब ने कहा - " अरे यार शर्मा ,तुम किस दुनियां में खोये रहते हो। इतना बड़ा टास्क पड़ा हुआ है और तुम उसे कैजुअली ले रहे हो। तुमने मुझसे संपर्क करने का प्रयास भी नहीं किया और कान में तेल डाल पड़े हो। खैर सुनो ,कल मा0 मुख्यमंत्री जी से A I के विषय में निर्देश प्राप्त करने का सुअवसर मिला था। उनका कहना है कि हमें शंकरन और श्रीधरन अथवा माधवन के सहारे ही नहीं बैठे रहना है बल्कि वेदों ,ऋचाओं के प्रकाण्ड विद्वानों से सम्पर्क कर यह ज्ञात भी करना है कि किस वेद में A I से संबंधित कौन सा सूक्त है और उसमें क्या कहा गया है। कथित सुक्त को एलोवरेट कैसे किया जाना होगा ,यह तकनीक भी उन लोगों से ज्ञात करनी होगी और फिर युद्ध स्तर पर काम करना होगा। दो दिनों बाद मुख्यमंत्री जी बैठक करेंगे और तुम्हारे विभाग को प्रजेंटेशन भी देना होगा। पार्टनर यथाशीघ्र कार्यवाही प्रारम्भ कर दो ताकि बैठक में भद न पिटे 'most urgent task ,you ever have " कहते हुए चीफ़ साहब ने अपनी वाणी को विराम दिया। प्रमुख सचिव विज्ञान तो receiving end पर थे। केवल ,जी सर कहने के अलावे उनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था।
चीफ़ साहब सभी को आवश्यक टास्क सौप कर थोड़ा सुकून महसूस कर रहे थे। निश्चेष्ट अपनी कुर्सी पर आराम की मुद्रा में बैठे हुए थे।फाइलें निपटाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं रह गयी थी और आज की सभी बैठकें भी स्थगित करने का मूड बना लिये थे। इसी बीच काले वाले फोन की घंटी किर्र किर्र करने लगी।उठाया तो मालूम हुआ कि डॉ प्रवीन माथुर आ गए हैं।उन्हें अपने कक्ष में भेजने का आदेश उन्होंने अपने पी एस पाण्डेय को दे दिया था। दरवाजा खुला और डॉ0 माथुर लंगड़ाते हुए कमरे में प्रवेश किये। दरअसल डॉ0 माथुर पैर से दिव्यांग हैं पर अनुभवी भी हैं।चीफ साहब का इशारा पाकर वे बैठ गए थे और अपना रक्तचाप मापक उपकरण दुरुस्त करने लगे। चीफ साहब ने अवगत कराया कि - " रक्तचाप की समस्या नहीं है डॉ0 माथुर।दरअसल कल मैंने मुख्यमंत्री जी के साथ श्री अन्न का सेवन कर लिया था और आम की मीठी चटनी ,आम का पना और सत्तू का शर्बत पी लिया था।तभी से ब्लोटिंग और फ्लैटूलेन्स की शिकायत हो गयी है।थोड़ा सिरदर्द भी है। कोई सटीक दवा तजबीज कर दे दीजिए।" डॉ0 माथुर ने अपने दिमाग पर जोर दिया और अपना मेडिसिन किट खोल कर एक दवा शीशी में बनाने लगे। दवा सौंपते हुए उन्होंने कहा कि - " सर एक ब्राड स्पेक्ट्रम दवा दे रहा हूँ।यह नक्स वोमिका 30 एक्स है ,जिसका इस्तेमाल आम तौर पर पाचन संबंधी समस्याओं जैसे अपच, मतली और सूजन के इलाज के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल तनाव, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द और नींद की गड़बड़ी के लक्षणों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। लगभग बीस मिनट बाद आप को पूर्ण आराम मिल जायेगा।". दवा देते हुए डॉ0 माथुर कृतज्ञता का अनुभव कर रहे थे। अभिवादन के बाद वे चले गये और चीफ साहब ने दवा का सेवन भी कर लिया।
चीफ साहब अभी होम्योपैथी दवा के मैकेनिज्म पर विचार ही कर रहे थे कि लाल वाला फोन घनघना उठा। पी एस पाण्डेय बता रहे थे कि जल जीवन मिशन की बैठक के प्रतिभागी गण सभा कक्ष में आ गए हैं। दूसरे स्टॉफ ऑफिसर चन्द्रभानु दुबे जी भी सभा कक्ष में चले गये हैं। इसी बीच चन्द्रभानु भी सभाकक्ष के छोटे दरवाजे से प्रवेश किये और बैठक में चलने का आग्रह करने लगे। चीफ साहब ने कहा - " चन्द्रभानु , तुम अवगत करा दो कि अपरिहार्य परिस्थितियों में आज की बैठक स्थगित कर दी गयी है। अगली बैठक की सूचना यथासमय दे दी जायेगी। और हाँ , पाण्डेय को यह भी बोल दो कि आज की सभी बैठकों को स्थगित होने की सूचना सम्बन्धितों को उपलब्ध करा दे।" चीफ साहब को मालूम है कि आज न तो मुख्यमंत्री से कॉल आयेगी और न ही पी एम ओ से कोई निर्देश आयेगा। आज दोनों बिग बॉस काशी नगरी में जनता को ऊर्जा सौगात देने में व्यस्त होंगे।
चीफ साहब को अपेक्षित राहत नहीं मिली और उन्होंने सचिवालय आयुर्वेदिक डिस्पेन्सरी के प्रभारी चिकित्सक डॉ0 मनोज बाजपेयी को अपने दफ्तर में उपस्थित होने के लिये कहने हेतु अपने पी एस को निर्देश दे दिया। चीफ को यह भान था कि उदर रोगों की रामबाण दवा आयुर्वेद में मौजूद है। थोड़े समय बाद ही चपरासी कल्लन सिंह सिर पर साफा बांधे कमरे में आये और सूचना दिये कि डॉ0 बाजपेयी अन्दर आने की अनुमति चाह रहे हैं। चीफ साहब ने इशारे से ही डॉ0 को भीतर आने के लिये कहलवा दिया। अब डॉ0 साहब आकर विनीत भाव से सामने खड़े हो गये। चीफ का इशारा पाकर कुर्सी पर आसीन हो गये और मर्ज के बारे में जानने की उत्सुकता व्यक्त किये। चीफ ने विस्तार से अपनी शिकायतें उन्हें बता दिया। डॉ0 बाजपेयी ने गहरी सांस लिया और सर्वोत्तम दवा की तलाश में जुट गये और बोले - " सर , कोई खास बात नहीं है।यह विपरीत आहार का नतीजा है। मीठी चटनी ,नमकीन पना और नमकीन सत्तू का शर्बत लेने की वजह से अफारा हो गया है। मैं लवणभास्कर चूर्ण और हिंग्वाष्टक चूर्ण दोनों दे रहा हूँ। एक एक खुराक पाँच मिनट के अन्तराल पर गर्म पानी के साथ लेने की कृपा करें। 'गैसों हर ' की एक टिकिया भी कृपया ले लीजिए।भगवान धन्वंतरि की दया से आप अगले 15 मिनट में राहत महसूस करेंगे।".
चीफ़ साहब अज़ीब पशोपेश में थे। न तो होमियोपैथी की दवा से राहत मिली थी और न ही आयुर्वेदिक दवा से ही।अब तो अन्तिम विकल्प एलोपैथी मेडिसिन ही थी। यही सोच कर उन्होंने पी एस पाण्डेय को फोन किया कि वे डॉ0 नलिनी घोष अथवा डॉ0 एस0 नार्लीकर ,में से जो भी उपलब्ध हो ,बुलवा लें। लगभग बीस मिनट बाद डॉ0 नार्लीकर उपस्थित हो गये थे। बाइज्जत उन्हें चीफ़ साहब के चैम्बर में ले जाया गया। चीफ़ साहब ने उनको अपनी बीमारी के विषय में ब्रीफ किया और कोई सूटेबल दवा की फरमाइश किया।चीफ़ साहब बोले - " well dr. Narlikar ,You know my case history. I am suffering from gastroesophageal reflux disease ( GERD). Please suggest some harmless and effective medicine for my ailment." डॉ0 नार्लीकर एक पहुँचे हुए फिजीशियन थे। उन्होंने सोच समझ कर बाजार में नई आयी दवा पैंटोसिड डी एस आर कैप्सूल प्रतिदिन तीन दिनों तक खाने को बोला। मुख्य सचिव की प्रश्नवाचक निगाहें डॉ0 नार्लीकर के चेहरे पर टिक गयीं।उन्हें समझते देर नहीं लगा कि चीफ साहब दवा के घटकों और साइड इफेक्ट के बारे में जानना चाहते हैं। वे बहुत ही शालीनता से बताने लगे - " सर ,यह दवा सन फार्मा ने निर्मित किया है और बहुत ही प्रभावशाली भी है।इसमें दो घटक हैं - Domperidone और Pantoprazole. इसमें पहला घटक indigestion and stomach pain से छुटकारा दिलाता है और दूसरा घटक excess stomach acid formation को block कर देता है।इसका असर दवा लेने के पाँच मिनट बाद ही शुरू हो जाता है। डॉ0 नार्लीकर ने दस कैप्सूल का एक पत्ता चीफ साहब के हवाले कर दिया। चीफ़ साहब ने चाय का आर्डर भी कर दिया और दवा खा भी लिया। थोड़ा गपशप हुआ और चाय भी आ गयी। दवा ने असर करना प्रारंभ भी कर दिया था ,आराम मिलने लगा था। चाय पीने के बाद डॉ0 नार्लीकर वापस चले गये।
इस प्रकार प्रयोगधर्मी चीफ साहब को A I के निर्माण का रहस्य भी पता लग गया। यह सही है कि वेदों को अपौरुषेय कहा जाता है।भारतीय दर्शन की छह शाखाएं वेद को प्रमाण के रूप में स्वीकारती भी हैं।पर दर्शन और विज्ञान को एक स्वीकारना थोड़ा कठिन लगता है। संस्कृत ग्रंथों ,ऋचाओं ,सूक्तों आदि से A I के निर्माण की प्रक्रिया की खोज करना टेढ़ी खीर साबित होगी। वर्तमान में ग्रोक ,जेमिनी ,मेटा ए आई और चैट जी पी टी ,चार मॉडल उपलब्ध हैं। बेहतर तो यही रहेगा कि इन चारों के धनात्मक पक्ष को स्वीकारते और ऋणात्मक पक्ष को नकारते हुए एक नवीन A I का निर्माण किया जाये पर न तो प्रधानमंत्री जी इस बात से सहमत होंगे और न ही मुख्यमंत्री जी। नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला होगा पर मुझे क्या लेना देना है। मुझे जहाँ तक पहुचना था उससे भी आगे पहुँच गया हूँ।तीन तीन बार सेवा विस्तार भी मिल चुका है। शायद इसके बाद न मिल सके।अभी पाँच महीने की अवधि भी शेष है।चार चार वरिष्ठ सहकर्मी चीफ बनने की चाह लिये रिटायर भी हो गये।अगले 15 दिनों में एक अन्य सहकर्मी भी सेवा निवृत्त हो जायेंगे। मुझे इसका अफसोस भी है।पर सही बात तो यह है कि मिलने वाला अवसर कोई छोड़ना नहीं चाहता है।
अब लंच का समय अति सन्निकट है। चीफ़ साहब ने यह निर्णय ले लिया है कि लंच के बाद वे कार्यालय नहीं आयेंगे।बाकी प्रमुख सचिव विज्ञान और स्टॉफ ऑफिसर मंजीत दोनों जिम्मेदार अधिकारी हैं और अपने अपने मिशन में लगे ही रहेंगे। यही सोचते हुए चीफ साहब ने गाड़ी लगवाने के आदेश अपने पी एस को देकर ख़ुद वॉशरूम में फ्रेश होने चले गये।थोड़ी देर में चपरासी कल्लन सिंह ,रामनिहोर ने ब्रीफकेस ,वॉटर कंटेनर आदि सम्भाल कर निकल चुके और दरवाजे के बाहर गनर अपनी कारबाईन कन्धे पर लाद कर सावधान मुद्रा में आ गया। साहब तेज कदमों से चलते हुए पोर्टिको तक पहुँच कर अपनी कार में बैठ गये।कार स्टार्ट हुई और तीव्र गति से परिसर से बाहर निकल गयी।
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