A I की गाथा फाइल में ( भाग -4) :: विकुति


      [ पूर्व संक्षिप्त -  भारत सरकार से फ़ैक्स सन्देश मुख्य सचिव को प्राप्त होता है।फ़ैक्स की प्रति मुख्य सचिव के निजी सचिव ख़ुद लेकर प्रमुख सचिव ,विज्ञान के पास जाते हैं।प्रमुख सचिव निदेशालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक को अपने चैम्बर में तलब कर लेते हैं ,विभागीय अधिकारियों एवं कार्मिकों को दफ़्तर में ही ,अग्रेतर आदेशों तक , रुकने का फ़रमान भी जारी कर दिया जाता है। प्रमुख सचिव विज्ञान अपने कक्ष में अधिकारियों से गम्भीर मंत्रणा करने में व्यस्त हैं और दूसरी ओर मुख्य सचिव मा0 मुख्यमंत्री जी को इन तथ्यों से अवगत कराने एवं उनका मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए छटपटा रहे हैं। मा0 मुख्यमंत्री जी महामंडलेश्वरों एवं संत समाज के गणमान्य व्यक्तियों के सम्मेलन में व्यस्त हैं जिसके चलते उनसे बात नहीं हो पा रही है। रात्रि दस बजे तक बात करने में सफलता न मिलने के कारण मुख्य सचिव अपना दफ़्तर बन्द कराने के आदेश देते हैं और प्रमुख सचिव विज्ञान को भी कार्यालय बन्द कराने के निर्देश देते हैं। आगे की कथा नीचे प्रस्तुत है ।]...

         वैसे मुख्य सचिव ,मा0 मुख्यमंत्री जी से वार्ता करने की प्रतीक्षा में देर रात तक प्रतीक्षा करते रहे पर सफल नहीं हो पाये। अब दफ्तर बन्द करवा कर वे अपने आवास की ओर प्रस्थान तो कर दिये पर उनका मन बहुत उद्विग्न था। त्वरित निस्तारण क्षमता , सुनियोजित कार्य प्रणाली और अप्रतिम सजगता के चलते ही उन्हे सेवानिवृत्ति के बाद यह तीसरा सेवा विस्तार दिया गया था। सरकार की मेहरबानी की लाज भी तो उन्हें रखनी ही थी। एक अन्तिम प्रयास के तौर पर उन्होंने ' दिवस अधिकारी '-( डे ऑफिसर ) अभिषेक सिंह , सचिव मुख्यमंत्री ,से मोबाइल पर बात करने का प्रयास किया। अभिषेक से तो बात हो गयी ,प्रकरण भी बता दिया गया पर मुख्यमंत्री जी से वार्ता नहीं हो सकती थी। अभिषेक ने यह भी बताया था कि कल से दो दिनों तक मुख्यमंत्री जी मुख्यालय से बाहर रहेंगे।उनका बहुत टाईट शिड्यूल है। मा0 प्रधानमंत्री जी का आगमन होने वाला है ,उसी की तैयारी में वे ख़ुद घटना स्थल पर अपनी मौजूदगी सुनिश्चित करेंगे । कहने का आशय यह कि आगामी दो दिनों में भी उनसे मार्गदर्शन नहीं मिल सकता है।

         मुख्य सचिव के पास विशद प्रशासनिक अनुभव है। उन्होंने तत्काल ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव ( A C S ) कौशलेन्द्र सिंह को मोबाइल घुमा दिया ,हालचाल पूछा , प्रधानमंत्री जी के ऊर्जा संबंधी सौगात कार्यक्रम की तैयारियों के विषय में भी जानकारी लिया और पी एम के संसदीय क्षेत्र में दौरा प्रोग्राम बना लिया। डी0 जी0 पी0 को भी आगाह कर दिया कि उनको भी साथ चलना है। अगले दिन सूबे के तीन तीन आला ऑफिसर सुबह 11 बजे तक पी एम संसदीय क्षेत्र के मुख्यालय पर पहुँच गये। सर्किट हाउस पर नाश्ता किया और फिर मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर 36 एकड़ भूमि पर बनाये जा रहे पण्डाल के निरीक्षण के लिए प्रस्थान किये। मा0 मुख्यमंत्री जी भी ऊर्जा मन्त्री सहित वहीं मौजूद थे। मुख्यमंत्री जी अपने तीनों प्रिय अधिकारियों को सम्मुख पाकर अति प्रसन्न हुए। मुख्य सचिव की ओर मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री जी ने स्नेह पूर्वक कहा -  " मिश्र जी ( मुख्य सचिव ) , आप का सन्देश मुझे मिला था।आप किसी प्रकरण ,शायद कृत्रिम मेधा , पर कुछ बात करना चाह रहे थे।  अपनी व्यस्तता के चलते आप को समय नहीं दे सका था। उससे भी तात्कालिक महत्व के प्रकरण मेरे सामने थे। खैर इस बिन्दु पर दो दिन बाद विस्तार से चर्चा की जा सकेगी। फिलहाल आदरणीय प्रधानमंत्री जी के दौरे की सफलता पर हम सभी लोगों को मिल कर अपना सर्वोत्तम योगदान देना है। अभी लंच के समय थोड़ी बहुत बात हो सकती है। 'प्रसाद ' भी ग्रहण करते रहेंगे और समस्याएं भी निपटाते रहेंगे। एक पंथ दो काज हो जायेगा। "  थोड़े समय बाद मुख्यमंत्री जी को एक बात अचानक याद आ गयी। दरअसल  सभा स्थल के लिये 36 एकड़ जमीन समतल की जानी थी ,हेलीपैड भी बनना था।फसले पूरी तैयार भी नहीं थीं और कुछ भू भाग पर सब्जियां उगाई गयी थीं। हार्वेस्टर चलाया गया और समतलीकरण भी किया गया था। जनहित में किसानों को मुआवज़ा देने की घोषणा भी कर दी गयी। मुख्यमंत्री जी ने कहा - " किसानों को मुआवज़े की रकम का भुगतान किया जाना है। वैसे कमिश्नर ,डी एम तो लगे हुए हैं फिर भी आप प्रकरण में हस्तक्षेप कर शीघ्रता से कार्य सम्पन्न करा दें ताकि विरोधियों के मुंह पर लगाम लग सके।"  ' जी , बहुत अच्छा सर। मैं अभी कमिशनर से टाई - अप कर मामले को देखता हूँ। '  डी0 जी0 पी0 को भी अपनी उपस्थिति का संज्ञान कराना था। अतः वे भी बोल पड़े - ' सर , कोई विरोधी दल का सदस्य इस प्रकरण पर अपना मुँह नहीं खोलेगा। यह हमारी पुलिस ऐसी ही  व्यवस्था सुनिश्चित करेगी। बदमाशों को आप के नाम से ख़ौफ़ है तो विरोधियों को आप की अनूठी कार्य पद्धति से। कहीं कोई अशोभन कार्य नहीं होगा , सर।'

उपस्थित मंत्रीगण और सभी आला अधिकारी गण खुले मन से मुख्यमंत्री जी की सोच और संकल्प की प्रशंसा में व्यस्त थे।अपनी प्रशंसा सुन कर मुख्यमंत्री जी भी मंद मंद मुस्कराहट बिखेर देते थे। कभी किसी को ऐसा लगा ही नहीं कि वे एक महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम देने के लिये एकत्र हुए हैं। सभी प्रिविलेज्ड क्लास के लोग थे और महज निर्देश देना ही इनका मुख्य कार्य था।यह पुनीत कार्य सभी लोग दक्षता पूर्वक कर रहे थे। देखते ही देखते लंच का समय भी सन्निकट आ गया। सभी लोग  अपनी अपनी ए0सी0 गाड़ियों पर सवार हो गये। घटनास्थल से 15 किलोमीटर की दूरी पर एक पाँच सितारा होटल में लंच की व्यवस्था की गई थी। चाहे अपने प्रधानमंत्री जी हों या मुख्यमंत्री जी , केवल श्रीअन्न से निर्मित भोजन ही ग्रहण करते हैं। होटल में ऐसी ही व्यवस्था की गई थी। मुख्यमंत्री जी ,ऊर्जा मंत्री जी एवं अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए एक छोटे से हॉल में ' प्रसाद ग्रहण करने की व्यवस्था की गई थी। अन्य अधिकारियों एवं स्टॉफ के लिये एक बड़े हॉल में खाद्य सामग्री सजा दी गयी थी। लोग अपने अपने खेमे में यथा समय पहुँच गये।

         मुख्यमंत्री जी के साथ जिन भाग्यशाली अधिकारियों को प्रसाद ग्रहण करना था , हॉल में भोजन की व्यवस्था देख पशोपेश में पड़ गये। कुर्सी मेज पर बैठ कर भोजन करने की व्यवस्था नहीं थी अपितु सनातन की प्राचीन परम्परा के अनुसार प्रसाद ग्रहण करना था। जमीन पर दो पंक्तियों में गद्देदार कालीन बिछे थे जिन पर सफेद चादरें थीं। सामने छोटी छोटी चौकी लगी थी जिस पर थाली रखी जानी थी। थालियां भी धातु निर्मित नहीं थीं बल्कि 'ओ डी ओ पी ' वाले बेहद खूबसूरत पत्तल थे ,कटोरियां मिट्टी से बनी थीं ,गिलास भी मिट्टी के ही थे। मिट्टी और श्री अन्न की सोंधी सोंधी खुशबू आ रही थी। पानी में केवड़ा जल डाल दिया गया था जिसकी सुगंघ गज़ब ढा रही थी। यह सब तो ठीक था पर अधेड़ावस्था में पहुँच चुके आला अधिकारियों को अपने बढ़े हुए उदर और कमजोर होते घुटनों के चलते जमीन पर बैठने में उनकी नानी याद आ गयी। खाने का उत्साह ठंडा पड़ गया  और श्री अन्न को पचाने की चिन्ता प्रमुख हो गयी थी। राजनेता गण तो बहुधा ढीले ढाले परंपरागत लिबास में ही रहते हैं अतः उन्हें जमीन पर बैठ कर भोजन ग्रहण करने में असुविधा कम होती है पर अधिकारियों को महासंग्राम लड़ कर जमीन पर बैठने की विवशता थी।

         सभी लोग आसन ग्रहण कर लिये।मुख्यमंत्री जी के दाहिनी ओर ऊर्जा मंत्री जी और बायीं ओर मुख्य सचिव को स्थान मिल सका था। डी जी पी मुख्य सचिव के बगल में आसन जमा लिये थे। शेष अधिकारी सामने वाली पंक्ति में एडजस्ट हो गये थे। सबसे पहले आम का पना मिट्टी के गिलासों में सींक डाल कर सर्व किया गया।स्वाद थोड़ा तीखा अवश्य था पर सभी ने प्रशंसा के पुल बांध दिये। खैर मुख्य थाली भी परसी गयी जिसमें करेला की भुजिया , आलू दम और कटहल की रसेदार सब्जी थी।आम की मीठी चटनी ,खीरे का सलाद और मूंग का पापड़ भी था। ऑर्गेनिक अरहर की दाल , काला नमक चावल ,मोटे अनाज वाले फुलके , सादी दही ,जीरा नमक आदि सब कुछ था।

             चौकियों पर थाली आने के पूर्व थोड़ी हल्की फुल्की बातें प्रारम्भ हुईं। मुख्यमंत्री जी ने मुख्य सचिव से स्नेह पूर्वक कहा - " मिश्र जी , आप सुपर क्लास वन अधिकारी के साथ ही साथ ज्योतिष में भी दख़ल रखते हैं क्या ?  बिना कुछ कहे मेरा मंतव्य समझ जाना और मेरी पसन्द ,नापसन्द जान लेना ,आप की विलक्षण प्रतिभा का द्योतक है। पूर्व मेला अधिकारी ( महाकुम्भ ) को ' इन्वेस्ट यू0 पी0 ' के सी0 ई0 ओ0 के पद पर तैनाती का प्रस्ताव मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने आप का प्रस्ताव भी अप्रूव कर दिया है।फाइल कल तक आप के पास पहुँच जायेगी। आदेश जारी करा दीजिएगा। कर्मठ एवं लगनशील अधिकारियों को प्राथमिकता मिलनी ही चाहिए।".  मुख्य सचिव को अपनी काबिलियत पर थोड़ा गर्व का अनुभव हुआ। वे आत्ममुग्ध से हो गये और स्वगत सोच में उलझ गये -'  मैंने अपने बाल धूप में नहीं सफ़ेद किये हैं बल्कि अनुभव अर्जित किया है। अनेक मुख्यमंत्रियों ,प्रधानमंत्रियों की गुड बुक में रहा हूँ।उनके मनमाफिक परिणाम भी दिया हूँ तभी तो रिटायरमेंट के बाद भी कैडर की पोस्ट पर बैठा हूँ।' स्वगत चिन्तन के बाद मुख्य सचिव ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि - " सर , मैं बेशक ज्योतिषी नहीं हूँ पर मेरी पैदाईश एक संस्कारी ब्राह्मण कुल में हुई थी। मेरे पिताजी काशी हिन्दू विश्व विद्यालय में ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष थे। उनकी छत्रछाया में रहते हुए थोड़ा इल्म मुझे भी है। दूसरी बात यह है सर ,कि मैं मनोविज्ञान का विद्यार्थी था और मैंने असामान्य मनोविज्ञान में पी एच डी डिग्री भी हासिल किया है। तीसरी बात है सर ,आप जैसे समदर्शी और पारखी व्यक्ति के अधीन काम करने का सौभाग्य एवं सुअवसर भी मिला है। मुख्य सचिव ऐसे खुशनुमा माहौल का लाभ उठाना चाहते थे अतः सीधे A I पर पहुँच गये।उन्होंने निवेदन किया कि दो दिन बाद होने वाली बैठक की टिप्स यदि मिल जाती तो वे तदनुसार तैयारी करा लेते।

            मुख्यमंत्री जी ने कहा - " देखिए मिश्र जी , मैं देशज आदमी हूँ। मेरी नज़र में संस्कृत ,संस्कृति और सनातन ही सर्वोपरि है।जनता भी इसी मूड में हो गयी है। संस्कृत भाषा की उन्नति के लिए मैंने बीड़ा उठा लिया है।गली कूचों में किराये के मकान में चलने वाले संस्कृत विद्यालयों को मैंने अनुदानित कराया है।इसके पीछे की सोच यह है कि हमारे प्राचीन ग्रन्थ केवल संस्कृत में ही हैं।यह बात दीगर है कि आज वेदों आदि का अनुवाद हिन्दी में अवश्य हो गया है पर ओरिजनल वेद पढ़ने की बात ही निराली है।"  मुख्यमंत्री जी की जिह्वा पर साक्षात सरस्वती  विराजती हैं। मन मे विचार आते जाते हैं और वे धाराप्रवाह बोलते जाते हैं। उन्होंने फिर कहना शुरू किया - " मिश्र जी , हमें किसी अन्य देश की टेक्नोलॉजी की नकल नहीं करनी है। हमारी अपेक्षा भी नहीं है कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिये किसी अन्य देश के साथ समझौता किया जाये। हमारी अपनी विरासत है ,हमारा अपना विज्ञान है , हमारी अपनी सोच है तो हम स्वदेशी A I का निर्माण करेंगे। एक लोचा अवश्य है कि आधुनिक वैज्ञानिक और शोधकर्ता आँग्ल भाषा में विज्ञान पढ़े हैं और आँग्ल भाषा में ही सोचते विचारते हैं। संस्कृत के ज्ञान का सर्वथा अभाव है। खैर हर समस्या का कोई न कोई हल तो निकलता ही है। मेरा अपना मानना है कि हमें केवल शंकरन एवं माधवन के सहारे ही नहीं रहना है बल्कि वेद मर्मज्ञों की शागिर्दी करनी होगी। प्रदेश के नामचीन संस्कृत एवं वेदों के अध्येताओं की शरण में जाना होगा। गोरक्ष पीठ में भी एक समृद्ध पुस्तकालय है जिसमें अद्भुत प्राचीन ग्रन्थ हैं ,उनका भी अध्ययन कराना होगा और विशुद्ध भारतीय कृत्रिम मेधा का निर्माण करना होगा। इस दिशा में आप हाथ पांव चलाइये और कुछ नयी चीज निकलवाईये। कहा गया है कि 'जिन खोजा तिन पाइयाँ '। जब हम अपने बूते पर बिना किसी विदेशी मदद के जनसंख्या में शीर्ष पर जा सकते हैं तो यह A I किस खेत की मूली है।" मुख्य सचिव प्राप्त अद्भुत मार्गदर्शन से अभिभूत हुए।

            डॉ0 मलखान सिंह ,डी0 जी0 पी0 को यदि चुप रहना पड़ता है तो उनका वायु विकार बढ़ने लगता है। वैसे भी उच्चाधिकारी गण तो सदैव अवसर की तलाश में ही रहते हैं कि कैसे ख़ुशामद की जाये और अपने पद पर निष्कंटक विराजमान रहा जाये। डॉ0 मलखान सिंह सैन्य विज्ञान में एम0 एस-सी0 हैं तथा क्राइम विज्ञान में पी एच डी हैं।इनकाउंटर के विशेषज्ञ भी हैं। उनके काम करने का ढ़ंग भी अन्यों से विरत है।उनका आदर्श है - ' urin less ,move more ' और इसी के बल पर उन्हें सफलता पूर्वक महाकुम्भ के आयोजन को निपटाने के लिये ' सर्वोत्कृष्ट अधिकारी ' का तमगा भी मिल चुका है। खैर उन्होंने बात का संदर्भ बदलने की चेष्टा किया और बोले - " सर वर्तमान में अमेरिका और चीन के मध्य टैरिफ वार चल रहा है। दोनों एक दूसरे पर टैरिफ थोपने पर अपना शान समझ रहे हैं।यही दोनों देश  ए0 आई0 के जनक भी हैं।जब तक ये आपस में लड़ते रहेंगे ,इनका शोध भी कुप्रभावित होगा और इसी बीच भारत अपना स्वदेशी A I विकसित कर लेगा। सर , आप का क्या ख्याल है ?".  मुख्यमंत्री जी प्रसन्न हुए कि हर बात में उनके मार्गदर्शन की अपेक्षा रहती है। वे बोले - " मलखान , टैरिफ आदि की  छोटी मोटी बातों पर हम लोगों को चिन्ता करने की जरूरत ही नहीं है। कल्कि अवतार प्रधानमंत्री जी इन बातों को कोई अहमियत नहीं देते हैं।जिस दिन उतारू हो जायेंगे उसी दिन अमेरिका चीन की दोस्ती करा सकते हैं। कूटनीति के वे अद्भुत ज्ञाता हैं। देखा नहीं कि 26/11 की घटना के मास्टर माइंड तसव्वुर राना को बिना टैरिफ का भुगतान किये ही आयात कर लिये हैं।"  मुख्यमंत्री जी के इस अद्भुत विचार पर सभी अधिकारी गण न केवल अपनी बत्तीसी दिखलाये अपितु सिर हिला कर आभार भी जताए। मुख्यमंत्री जी ने वार्तालाप को यह कहते हुए विराम देना चाहा कि - " हमें अपने सही इतिहास की जानकारी रखनी चाहिए और इसके लिये खोज भी करना चाहिए। ए0 एस0 आई0 का जॉइन्ट डायरेक्टर  मृदुल उपाध्याय बहुत मेहनत से इतिहास की खोज ख़बर कर के संभल के ' शाही जामा मस्जिद ' का ऐतिहासिक नाम का पता लगा लिया है। नए नाम ' जुमा मस्जिद ' का बोर्ड भी तैयार करा लिया है जो एस एस पी दफ़्तर में रखवा दिया है। कभी भी ऐतिहासिक नाम का बोर्ड लग सकता है।"  अब मुख्यमंत्री जी मलखान सिंह की ओर मुखातिब हुए और बोले - " मलखान , तुम्हें ज्ञात ही होगा कि वक्फ संशोधन कानून अस्तित्व में आ गया है। तुम्हें सतर्क रहना होगा कि कहीं कोई अप्रिय घटना न घटित होने पाये।"  डी जी पी ने बताया कि - " सर , मेरी पूरी तैयारी है। हज़ारों एकड़ जमीन मुक्त करायी जायेगी और कोई चू तक नहीं करेगा।".

         अब खाना परसा जाने लगा था।शान्त होकर प्रसाद ग्रहण करने की बारी थी।अधिकतर अधिकारियों ने श्री अन्न से बनायी गयी एक रोटी से अधिक नहीं लिये। चावल दाल से ही पेट भरना पड़ा था। मुख्य सचिव बोनलेस फिश एवं बोनलेस चिकेन के शौकीन हैं पर विवशता में श्री अन्न की मोटी रोटी हाथ से ही खाये अन्यथा छुरी कांटे से खाने के अभ्यस्त हैं। जल भी महज़ दो घूँट ही पिये थे। कारण यह था कि वे मेडिकेटेड वॉटर ( न्यून सान्द्रता वाला अल्कोहल मिश्रित जल ) पीने के आदी हैं।इसी के बल पर वे अपनी ऊर्जा संरक्षित रखने में कामयाब हैं और बिना थके 18 घण्टे काम करते हैं।

         खैर लंच के बाद मुख्यमंत्री जी आराम फरमाने चले गये। मुख्य सचिव ,डी जी पी एवं ए सी एस ,ऊर्जा हेलीकॉप्टर से मुख्यालय के लिए रवाना हो गये।शेष अधिकारी धूप में कार्यों का निरीक्षण करने के लिए प्रस्थान कर लिये।

    ----- क्रमशः --------***.....

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