संस्कारी AI :: विकुति
अमेरिका ने AI बना लिया। चीन ने भी बना लिया। हमने भी बना लिया... बनाने की घोषणा कर दी है, और घोषणा हमारी सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी है। अमेरिका का AI कंपनियों की लैब में तैयार हुआ, चीन का AI सरकारी और स्टार्टअप प्रयोगशालाओं में विकसित हुआ, और हमारा AI? हमारे AI ने ‘मन की बात’ में जन्म लिया । AI खुद आश्चर्य में है कि वह पहले आएगा या नया चुनावी घोषणा-पत्र ।
अब यह AI भी धर्मसंकट में है। सोच रहा है कि उसे सिलिकॉन वैली का बेटा बनना है या "अखंड भारत" का ब्रह्मास्त्र? अमेरिका के AI ने ‘मशीन लर्निंग’ से ज्ञान अर्जित किया, चीन के AI ने डेटा साइंस पढ़ा, और हमारा AI अभी भी भगवद गीता के श्लोकों से ‘मोटिवेशनल लर्निंग’ कर रहा है।
हम अनोखें लोग हैं तो इस बात को स्वीकार करने में किसी को समस्या नहीं होनी चाहिए की हमारे यहाँ AI बनाने का तरीका भी अनोखा होगा। चीन ने डेटा साइंटिस्ट्स को बिठाकर बनाया, अमेरिका ने तगड़े रिसर्चरों को काम पर लगाया, और हमने सुबह-सुबह गोबर से लीपे आंगन में संकल्प लिया और ट्विटर पर पोस्ट कर दिया—"10 महीने में भारत का स्वदेशी AI आ रहा है!" अब AI भी कन्फ्यूज है—"मुझे लैब में बनाना है या फिर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के मंच पर उद्घाटन करवाना है?"
अमेरिका और चीन के वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत कर AI बना रहे थे, और हम? हम घोषणा करके, नारियल फोड़कर, और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के स्टिकर लगाकर । जब अमेरिका ने AI पर 500 बिलियन डॉलर झोंक दिए, चीन ने अपने टॉप वैज्ञानिक लगा दिए, तब हम भी पूरी ताकत झोंक देंगे "एक अद्भुत लोगो डिजाइन करने में!" इस बात का ध्यान रखने की ज़रूरत होगी की कोडिंग की शुरुआत ॐ के साथ की जाय।
AI बनाने के लिए दुनियाभर के रिसर्चर्स को अमेरिका ने इन्वाइट किया, चाइना ने डाटा चोरी किया ,हम भी WhatsApp पर मैसेज वायरल करेंगे "मित्रों, घर बैठे AI बनाइए और 5 लाख महीना कमाइए!" अमेरिका में AI तैयार होते ही उसको ओपन-सोर्स कर दिया गया, चीन ने उसे ओपन सौर्स करते हुए अपने नागरिकों की निगरानी में लगा दिया, और हमारा AI तैयार होते ही बोलेगा और सबसे पहले ट्विटर पर लिखेगा "जय श्री राम!"
हम एक संस्कारी राष्ट्र हैं अतः हमें अब यह भी तय करना है कि हमारा AI केवल गणना करेगा या फिर "संस्कृति-संरक्षण" भी करेगा। समय की मांग है की हमें सबसे पहले AI को धर्म, राष्ट्रवाद और ‘सामाजिक मूल्यों’ की क्लास में भेजा जाये । उसे बताया जाये कि अगर कोई उससे पूछे—"देश में महंगाई क्यों बढ़ रही है?"तो वह यह न कहे कि "आर्थिक नीतियाँ गलत हैं" बल्कि यह कहे—"यह सब ईश्वर की लीला है, सब्र रखो, अच्छे दिन आएँगे!"
जब AI की डेडलाइन पूरी हो जाएगी और लोग पूछेंगे—"AI बना या नहीं?" तो उत्तर मिलेगा"भाइयों और बहनों, AI तो बन गया, लेकिन हमें ‘घरेलू मूल्यों’ के अनुसार इसे संस्कारी बनाने में समय लग रहा है!" यानी अगर AI से पूछा जाएगा—"देश में बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है?" तो वह तपाक से जवाब देगा—"सकारात्मक सोच रखिए, युवाओं में स्टार्टअप की भावना बढ़ी है!"अगर उससे पूछा जाएगा—"भ्रष्टाचार क्यों बढ़ रहा है?"तो AI तुरंत सुधार कर बोलेगा—"आपको गलतफहमी हुई है, यहाँ सब अमृतकाल में हैं!"
अमेरिका और चीन के AI का नैतिक दायरा सीमित था, लेकिन हमारा AI इस स्तर तक नैतिक होगा कि जब उससे पूछा जाएगा—"लोकतंत्र के चार स्तंभ कौन-कौन से हैं?" तो वह जवाब देगा—"धर्म, संस्कृति, गौ-माता और WhatsApp यूनिवर्सिटी!"
अमेरिका और चीन का AI बड़ी समस्याओं का समाधान निकाल रहा है। अमेरिका का AI रिसर्च कर रहा है कि कैंसर का इलाज कैसे खोजें। चीन का AI इस बात की गणना कर रहा है कि अगला अंतरिक्ष मिशन कब और कहाँ भेजना है। और हमारा AI अभी तक यह तय कर रहा होगा कि उसकी भाषा संस्कृत होनी चाहिए या हिंदी, और उसका पहला शब्द ‘जय श्री राम’ होना चाहिए या ‘विकास’!
अमेरिका का AI डेटा विश्लेषण कर बताता है कि उनकी GDP कितनी बढ़ेगी। चीन का AI हर नागरिक की आदतें जानकर नीति तय करता है। हमारे AI से जब पूछा जाएगा कि देश की GDP क्या है, तो वह जवाब देगा—"पहले जानो कि रामराज्य कैसे आएगा, फिर GDP अपने आप आ जाएगी!" अमेरिकी और चीनी AI वैज्ञानिकों की रिसर्च का नतीजा होते हैं। हमारा AI व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से पीएचडी लेकर आएगा और बताएगा कि "रावण की लंका में 10 सिर का ब्रेन-कंप्यूटर पहले ही था!"
अमेरिका और चीन सामान्य लोग हैं उन्होंने AI बनाने के लिए सुपरकंप्यूटर, डेटा और वैज्ञानिक लगाये करोड़ो खर्च किये। लेकिन हमारे यहाँ ऐसा कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी अरे जब बिना फैक्ट्री लगाए हम 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन सकते है, जब बिना इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारे विश्वगुरु बना जा सकता है, तो बिना डेटा और वैज्ञानिकों के AI क्यों नहीं बनाया जा सकता? अमेरिका और चीन अपने AI को लगातार सुधार रहे हैं और अपना समय ख़राब कर रहे हैं । ये वाला कोडिंग हमारी पहले से रेडी है हमारे AI अपनी गलती पर इसका दोष सीधे सीधे नेहरु पर डाल देगा ।
जब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपने AI से पूछा—"कैसे जलवायु परिवर्तन को रोका जाए?" तो AI ने CO₂ उत्सर्जन कम करने के तरीके बताए। जब चीनियों ने पूछा—"अगला आर्थिक संकट कब आएगा?"तो उनके AI ने 50 साल का डेटा निकाल दिया। और जब हमने अपने AI से पूछा जायेगा "भारत कब विश्वगुरु बनेगा?" तो वह पहले शंख बजाएगा , फिर योग मुद्रा में बैठकर जवाब देगा "2047 में, जब हम सब पुनः रामराज्य की ओर बढ़ेंगे!"
जब कोई विदेशी पत्रकार AI से पूछ लेगा "क्या भारत में मीडिया स्वतंत्र है?" तो AI पहले घबरा जायेगा, फिर पसीना-पसीना होगा , और आखिर में बोलेगा" वसुधैव कुटुंबकम जो बोले सो निहाल!"
जब अमेरिका और चीन ने AI का इस्तेमाल रिसर्च, मशीन लर्निंग और वैज्ञानिक प्रयोगों में किया, तब हमने इसमें ‘Election Management System’ डाल दिया। AI से पूछा जायेगा —"अगले चुनाव का ट्रेंड क्या रहेगा?" तो उसने चुपचाप स्क्रीन पर लिखा—"अबकी बार... वही सरकार!"
हमारे यहाँ लोग संस्कारी हैं इसलिए सरकार को यह ध्यान रखना होगा की वह गुण उसमे भी विद्यमान रहे इस मामले में वो चीन की अच्छी नक़ल कर सकता है । अतः कोड कुछ इस प्रकार लिखे जाय की वह संस्कारी बना रहे और आलोचना और तार्किक विश्लेषण से दूर रहे । संस्कार और संस्कृति रक्षण के लिए यह एक आवश्यक आवश्यकता होगी । जब उससे पूछा जाये "बेरोजगारी दर कितनी है?" तो उसको हँसते हुए उत्तर देना चाहिए —"युवाओं में स्टार्टअप की भावना बढ़ी है!" जब उससे पूछा जाये —"देश की GDP कितनी है?" तो जवाब आना चाहिए "GDP से ज्यादा ज़रूरी है आत्मनिर्भरता!"
अमेरिका और चीन का AI कंपनियों को फायदे पहुँचाने के लिए मार्केट एनालिसिस कर रहा है। हमारा AI बताएगा कि "राहु की महादशा चल रही है, इसलिए शेयर बाजार गिर रहा है!"
जब अमेरिका और चीन का AI अगले 10 साल की योजना बना रहा रहा होगा , तब हमारा AI भी व्यस्त रहेगा कि"कौन-सी नई घोषणाएं की जाए?" AI से पूछा जायेगा —"क्या भारत 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनेगा?" तो वो कहेगा —"पहले यह बताओ कि भारत सोने की चिड़िया था या नहीं?"
अमेरिका और चीन के AI के पास लॉजिक और डेटा होगा हमारे AI के पास भावना और भक्ति होगी , वहां AI से रोबोट्स बनाए जायेंगे , और हम AI को ‘संस्कार शिविरों’ में भेजा जायेगा ताकि उसमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी जा सके।
जब बाकी दुनिया 6G, Quantum AI और सुपरइंटेलिजेंस की ओर बढ़ रही होगी, तब हमारे न्यूज़ चैनलों पर डिबेट हो रही होगी—"क्या AI को मंदिर में स्थान देना चाहिए?"क्या यह विष्णु का 11 वा अवतार है ?
जब तक अमेरिका और चीन AI गैर ज़रूरी वैज्ञानिक खोजे कर रहे होंगे , हमारा AI ‘सनातनी’ बन चुका होगा वह पंचांग देखकर बताएगा कि भारत 2047 तक विश्वगुरु बनेगा या नहीं। और जब दुनिया 6G और Quantum AI पर होगी, हमारे न्यूज़ चैनलों पर बहस होगी—"क्या AI के अंदर आत्मा होती है?"
और यही हमारी टेक्नोलॉजी की असली विजय होगी!
बहुत ही जबर्दस्त।
ReplyDelete